नई दिल्ली| गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बिहार की वर्चुअल रैली में लालटेन युग, चारा घोटाला और जंगल राज जैसे मुद्दों को उछालकर चुनावी बिगुल फूंक दिया। विपक्ष पर उन्होंने चुन-चुन वार किए। भाषण उनका चुनावी टोन सेट करने वाला रहा, लेकिन वह यह भी कहने से नहीं चूके कि इस रैली का चुनाव से संबंध नहीं है। नवंबर में संभावित बिहार के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की।
भाजपा के इतिहास की इस पहली वर्चुवल रैली में अमित शाह ने उन सभी मुद्दों को छुआ, जो आगामी विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करने वाले हैं। उन्होंने जहां बिहार का बखान किया, तो बगैर नाम लिए लालू यादव-राबड़ी के मुख्यमंत्रित्व काल वाली राजद सरकारों पर बिहार की बदहाली का ठीकड़ा भी फोड़ा। उन्होंने 1995 से 2005 तक के शासनकाल को बिहार की बदहाली का कसूरवार ठहराया।
अमित शाह ने कहा, “बिहार में हम लालटेन युग से एलईडी युग तक आए हैं। लूट एंड ऑर्डर से लॉ एंड ऑर्डर तक की यात्रा हमने की है। जंगल राज से जनता राज तक हम आए हैं। बाहुबल से विकास बल तक आए हैं और चारा घोटाले से डीबीटी तक की यात्रा मोदी जी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक तय की है।”
बिहार के हर विधानसभा चुनाव में लालू यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल(राजद) की घेराबंदी करने के लिए भाजपा चारा घोटाला और जंगल राज जैसे मुद्दों को हमेशा उठाती आई है। ऐसे में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर उपलब्धियों को बताने के लिए आयोजित इस वर्चुअल रैली में जब अमित शाह ने लालू-राबड़ी यादव के शासनकाल को कटघरे में खड़ा करने वाले मुद्दों को उठाना शुरू किया तो मामला विधानसभा चुनाव से जुड़ता दिखा।
अमित शाह ने जहां कहा कि यह समय राजनीति का नहीं है, लेकिन यह भी कहने से नहीं चूके कि आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार फिर बहुमत से सरकार में आने वाली है। अमित शाह ने बगैर नाम लिए लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहा, “मैं परिवारवादी लोगों को आज कहता हूं कि अपना चेहरा आईना मैं देख लीजिए, 1990-2005 इनके शासन में बिहार की विकास दर 3.19 प्रतिशत थी, आज नीतीश के नेतृत्व में ये 11.3 प्रतिशत तक विकास दर पहुंचाने का काम एनडीए की सरकार ने किया है।”
लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की समस्या बिहार चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकती है। इससे वाकिफ गृहमंत्री अमित शाह ने प्रवासी मजदूरों के जख्मों पर भी मरहम लगाने की कोशिश की। बिहार के मजदूरों के पसीने का महत्व बताते हुए अमित शाह ने उनसे जुड़ने की कोशिश की। अमित शाह ने कहा, “देश का कोई भी हिस्सा चाहे मुंबई, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु हो, जो विकसित है इसकी नींव में जाएंगे तो मेरे बिहार के प्रवासी मजदूर के पसीने की महक आती है। बिहार के व्यक्ति का पसीना इस देश के विकास की नींव में है। देश का कोई भी कोना हो, उसके विकास की नींव में बिहार के व्यक्ति के पसीने की महक है। जो लोग उन्हें अपमानित करते हैं वो प्रवासी मजदूरों के जज्बे को नहीं समझते हैं।”
गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से बिहार के लिए किए गए कार्य भी गिनाए। बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की चर्चा करते हुए कहा कि इसे मोदी सरकार ने वास्तविकता में बदला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा, ” नीतीश जी और सुशील जी दोनों प्रसिद्धि करने में थोड़े से कच्चे हैं। वो रोड पर खड़े होकर थाली नहीं बजाते हैं, वो चुपचाप सहायता के लिए काम करने वाले लोग हैं। उनके नेतृत्व में बिहार सरकार ने बहुत अच्छे से ये लड़ाई लड़ी है।”
अमित शाह यह बताने से नहीं चूके कि मोदी सरकार की योजनाओं से सबसे ज्यादा लाभ पूर्वी भारत के हिस्से में शामिल बिहार जैसे राज्यों को हुआ है। अमित शाह ने कोरोना काल में इस वर्चुअल रैली को लेकर विपक्ष के सवालों का भी जवाब दिया। अमित शाह ने विपक्ष नेताओं से कहा, “मैं कहता हूं कि किसने उन्हें रोका है, दिल्ली में बैठकर मौज करने की जगह, दिल्ली से लेकर पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते।”
–आईएएनएस
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