नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने बुधवार को स्पष्ट किया कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से बाहर के लोग अगर चुनावी कानूनों के तहत पात्र हैं, और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यदि एनआरसी को अंतिम रूप नहीं भी दिया जाता है, तो वे वोट डाल सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ.पी.रावत ने मीडिया से कहा, “क्यों नहीं। मान लीजिए कि मेरा नाम एनआरसी में नहीं है, लेकिन अगर मैं जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मानदंड पूरा करता हूं तो इसका मतलब है कि मैं भारतीय नागरिक हूं। इसमें 18 साल की आयु और सामान्य तौर पर इलाके का निवासी होना है–तो मैं मतदाता बन सकता हूं।”
रावत ने कहा, “चुनाव आयोग (ईसी) का मतदाता नामांकन कार्य एनआरसी से अलग है। अंतिम रूप से मतदाता सूची चार जनवरी, 2019 को प्रकाशित की जाएगी, जो आम चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाएगी।”
उन्होंने कहा, “भारत निर्वाचन आयोग अपने उद्देश्य ‘कोई मतदाता पीछे नहीं छूटे’ के साथ असम में मुख्य निर्वाचन अधिकारी से राज्य एनआरसी समन्वयक के साथ निकटता से समन्वय स्थापित करने के लिए कहा है, ताकि सभी पात्र लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सके।”
उन्होंने कहा कि यह एनआरसी मसौदा है और अगले एक महीने में सभी 40 लाख लोगों को उन्हें मसौदे से बाहर रखने के कारणों की वजह बताई जाएगी।
रावत इस तरह की आशंकाओं पर बोल रहे थे कि जो एनआरसी से बाहर रखे गए हैं, वे मतदान नहीं कर पाएंगे।
–आईएएनएस
और भी हैं
मुस्लिम महिलाओं और शिया धर्मगुरु ने वक्फ बिल का किया समर्थन
देश में गठबंधन हो रहा मजबूत, रणनीति के तहत बदली उपचुनाव की तारीख : डिंपल यादव
महाकुंभ 2025 : सनातन की अलख जगाने श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े का कुंभ नगरी में प्रवेश