मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में मदर्स डे की पूर्वसंध्या पर युवा कलाकारों ने पेंटिंग बनाकर अपनी मां को समर्पित किया। उन्होंने पेंटिंग में मां के महत्व को दर्शाया है।
पेंटिंग में एक बच्चे को मां की गोद में इस तरह दिखाया गया है, जैसे उस मां के लिए उसका बच्चा सबसे बड़ा तोहफा हो। मां के लिए बनाई गई पेंटिंग देखकर वहां पर मौजूद लोगों के दिल को छू गई, मन भाव विभोर हो गया।
कहा जाता है कि दुनिया में मां से बढ़ कर किसी के लिए कुछ भी अहम नहीं है। अपने बच्चों के लिए मां उसकी पहली गुरु होती होती है। मां समाज में चलने के लिए एक नई जिंदगी की राह आसान करती है।
जब सारी दुनिया सो जाती है तो एक मां अपने बच्चे की एक आहट पर उठ कर बैठ जाती है, उसे गले से लगाकर तबतक थपथपी देती है, जब तक उसका बच्चा आराम से सो नहीं जाता। नौ महीने अपनी कोख में रखने वाली मां उस बच्चे के लिए कितनी अहम होगी इसका अंदाजा उस मां से बेहतर जोई नहीं बता सकता।
यही वजह है कि दुनियाभर में मां के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। भारत में मदर्स डे मई माह के दूसरे रविवार को मनाते हैं। मदर्स डे का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है। बताया जाता है की प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में मदर्स डे को मनाया जाता था।
कहा जाता है की 1912 में एना जार्विस ने ‘सेकेंड संडे इन मे’ और ‘मदर डे’ को ट्रेडमार्क बनाया और मदर डे इंटरनेशनल एसोसिएशन का सृजन किया गया। मदर्स डे के मौके पर भारत में अलग-अलग जगहों पर कई आयोजन कर उन्हें सम्मानित किए जाने का रिवाज है। इस दिन बच्चे अपनी मां के लिए पेंटिंग बनाते है तो कई जगह उन्हें सम्मानित किया जाता है।
–आईएएनएस
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