एस.पी. चोपड़ा, दिल्ली। यहाँ ऋषभ विहार में चल रहे 1008 श्री मज्जिनेन्द्र ऋषभदेव जिन बिम्ब पंचकल्याणक मानस्तम्भ प्रतिष्ठा महामहोत्सव एवं विश्व शांति कल्याण कामना महायज्ञ में आज भगवान का जन्म कल्याणक एवं जन्माभिषेक का आयोजन भव्य एवं विशाल रुप में किया गया। प्रातः भगवान की भव्य शौभा यात्रा निकाली गई।
शौभा यात्रा में अनेक बैण्ड, नपीरी, कछ्छी घोडी़,पंजाबी भांगडा़,एवं हाथी – घोडे़ सहित अनेक झांकियाँ शामिल थी । शौभा यात्रा में शामिल बेटी बचाओ – बेटी पढा़ओ एवं भ्रूण हत्या नहीं करने का संदेश देने वाली झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र थी इस झांकी में विभिन्न माध्यमों से गर्भ में बेटी को न मारने एवं बेटी बचाओ – बेटी पढा़ओ का सजीव चित्रण किया गया था।
अंत में ऐरावत हाथी पर श्री जी को लेकर सौधर्म इंद्र विराजमान था। श्री जी के आगे नृत्य करते श्रद्धालू इस शौभा यात्रा को और अधिख शौभायमान कर रहे थे। यात्रा के मार्ग में अनेक स्थानों पर श्री जी की आरती की गई । विभिन्न मार्गों से होती हुई शौभा यात्रा पांडूकशिला पर पहूँची वहाँ पर 1008 कलशों से श्री जी का अभिषेक किया गया।
अभिषेक के समय वहाँ का नजा़रा अद्भूत व भक्तिमय हो रहा था। एक जैसे परिधान में सजे श्रद्धालू हाथों में चांदी कि कलश लिये लाईन में खडे़ हुए अपनी बारी की प्रतिक्षा कर रहे थे उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो प्रत्येक श्रद्धालू जल्दी से जल्दी श्री जी का अभिषेक करने को आतुर हो बीच बीच में वहाँ मौजूद हजारों श्रद्धालू जयकारों से गगन गुंजायमान कर रहे थे। इसी दौरान हैलिकाॅप्टर से पुष्प वर्षा होने लगी जिसे देखकर समूचा वातावरण जयकारों से गूँज उठा।
इस अवसर पर पंचकल्याणक की व्याख्या करते हुए उपाध्याय नयन सागर जी ने बताया कि इसके माध्यम से हम यह समझाने का प्रयास करते हैं धर्म दिलों जोड़ने में है बांटने में नहीं। धर्म हमेशा शांति की बात करता है।पंचकल्याणक एक शांति दूत है जो हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन कर सकता है।
मानस्तमभ की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि मान का अर्थ है अभिमान तथा स्तम्भ का अर्थ है रोक देना, दबा देना या नष्ट कर देना यानि आभिमान का मर्दन कर देना। वगैर मानस्तम्भ के मंदिर का निर्माण पूर्ण नहीं होता।
आयोजन समिति के अध्यक्ष विजय कुमार जैन एवं मंत्री विपुल जैन ने बताया कि विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के साथ बुधवार को पंचकल्याणक सम्पन्न हो जाएगा इस दिन भव्य रथ यात्रा के साथ प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को पांडाल से मंदिर जी में लेजाकर वेदियों एवं मानस्तम्भ में विराजमान किया जाएगा। 30 नवम्बर गुरूवार को महामस्तिकाभिषेक होगा।
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