नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पार्टी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है जबकि विपक्ष इस मामले पर वोट बैंक की राजनीति कर रहा है।
एनआरसी का मसौदा सोमवार को असम में जारी किया गया था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि देश और इसके लोगों की सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने अन्य पार्टियों से बांग्लादेशी घुसपैठियों पर अपना रुख साफ करने को कहा।
शाह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एनआरसी का मामला भाजपा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखना हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी भारतीय को सूची से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा, “जो लोग अपनी नागरिकता साबित करने में सक्षम नहीं हुए, उन्हें पहली सूची से बाहर कर दिया गया।”
कांग्रेस को यह याद दिलाते हुए कि एनआरसी का विचार उसका ही था, शाह ने कहा, “असम समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 अगस्त 1984 को हस्ताक्षर किए थे। मैं कांग्रेस से यह पूछना चाहता हूं कि वह आज एनआरसी पर कैसे सवाल उठा सकती है?”
एनआरसी की पहली सूची पर भ्रांतियां फैलाने का आरोप विपक्ष पर लगाते हुए शाह ने कहा, “कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, जो असम एनआरसी के खिलाफ बात कर रहे हैं, उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठियों पर अपना रुख साफ करना चाहिए।”
राज्यसभा सांसद ने कहा कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हुई है और सूची को बनाने के लिए सबसे पारदर्शी प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है।
एनआरसी को पूरा नहीं करने के लिए कांग्रेस पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा, “आपके पास सूची को तैयार करने और घुसपैठिए को वापस भेजने की हिम्मत नहीं थी।”
उन्होंने पूछा, “वोट बैंक की राजनीति के लिए आप एनआरसी प्रक्रिया पर कैसे सवाल उठा सकते हैं?”
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को राजनीतिक मुद्दों पर अपना रुख बदलने के लिए जाना जाता है। शाह ने कहा, “हम कांग्रेस से अपना रुख साफ करने और वोट बैंक की राजनीति में शामिल नहीं होने का आग्रह करते हैं।”
उन्होंने कहा कि कोई भी देश अगर घुसपैठियों को इजाजत देता है तो वह कार्य नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “भाजपा सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में एनआरसी असम लागू करेगी।”
उन्होंने साफ किया कि जिन 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी के मसौदे में नहीं हैं, वे संदिग्ध विदेशी हैं और ‘उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का मौका दिया जाएगा।’
शाह ने कहा कि विपक्षी दल विदेशियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में बात कर रहे हैं। उन्होंने पूछा, “क्या वे देश के नागरिकों के मानवाधिकारों की परवाह नहीं करते हैं? क्या यह असम के लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है, क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन नहीं है?”
उन्होंने कहा, “सभी नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एनआरसी लाया गया है।”
वोट बैंक की राजनीति करने के लिए विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा, “वोट बैंक की राजनीति को राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए। हमने कभी भी वोट बैंक की राजनीति नहीं की। हमने हमेशा अवैध आव्रजकों को निकालने की मांग की है।”
उन्होंने विपक्षी दलों पर भाजपा को देश विभाजित करने की कोशिश करने वाली पार्टी के रूप में चित्रित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “लेकिन, मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि असम समझौते पर राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे।”
तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए भाजपा प्रमुख ने कहा, “यह एक संवेदनशील मुद्दा है। ममता बनर्जी इसे वोट बैंक की राजनीति के लिए उठा रही हैं।”
–आईएएनएस
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