नई दिल्ली: कर्मचारी चयन आयोग, यानी एसएससी देश में सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए सबसे बड़ी चयन संस्थान है। सीजीएल, सीएचएसएल, एमटीएस, सीपीओ, जेई, स्टेनो, हिंदी अनुवादक, जीडी कॉन्स्टेबल जैसी कई परीक्षाओं का आयोजन एसएससी करती है। बड़े अफ़सोस की बात है कि लगभग हर परीक्षा कार्यप्रणाली की स्थिति आज दयनीय है। ज़्यादातर सरकारी सीटें बिकी होती है। सबको पता है कि मेरिट के बजाए, पैसे और पैरवी से नौकरियां मिल रही हैं। युवाओं में अपने भविष्य को लेकर भारी अनिश्चितता और असुरक्षा है। इस स्तर पर धांधली और भ्रष्टाचार बिना राजनीतिक शह के संभव नहीं है।
हमारे पास देशभर से छात्रों की शिकायतें आ रही हैं, एसएससी में भ्रष्टाचार के सबूत भेजे जा रहे हैं। यदि एक एक मामले की चर्चा करने लग जाएं तो घंटे लग जाएंगे। सीजीएल का घपला तो जगजाहिर हो चुका है। लेकिन हम आज आपसे एमटीएस और सीएचएसएल परीक्षाओं में हो रही सनसनीख़ेज़ धांधली से संबंधित भी कुछ बातें और कागज़ात रखेंगे।
4 मार्च से सीएचएसएल 2017 की प्रारंभिक परीक्षाएं हो रही हैं जिनमें भारी अनियमितता और बड़े स्तर पर घपले की ख़बरें आ रही हैं। इनमें से एक मामला है संदीप नाम के अभ्यर्थी के प्रवेश पत्र का। स्वराज इंडिया ने आज ख़ुलासा किया कि संदीप के नाम से, उसीके हस्ताक्षर और उसीकी फ़ोटो के साथ 700 से भी ज़्यादा एडमिट कार्ड मिले हैं। योगेंद्र यादव और अनुपम ने प्रेस वार्ता में कागज़ात पेश करते हुए बताया कि इन सभी प्रवेश पत्रों में एक ही परीक्षा केंद्र निर्धारित किया गया।
इसके अलावा एमटीएस 2016 पर भी स्वराज इंडिया ने गंभीर सवाल उठाए। पार्टी का कहना है कि 10,300 भर्तियों के लिए होने वाली इस परीक्षा में भी धांधली होने के प्रथम दृष्टया सबूत हैं। एमटीएस 2016 की प्राथमिक परीक्षा 16 सितंबर 2017 से 31 अक्टूबर 2017 तक हुआ जिसका परिणाम जनवरी 2018 में आया। लगभग डेढ़ लाख छात्रों को पेपर 2 के लिए क्वालीफाई हुए जिनकी परीक्षा 28 जनवरी को हुई। इसके बाद कई छात्रों को संदिग्ध फ़ोन कॉल्स आने लगे जिसमें सीट की ख़रीद फ़रोख़्त की बात पता चली। फ़ोन करने वाला ख़ुद को एसएससी कर्मचारी बताते हुए छात्र को एक या दो अंक से कट-ऑफ छूटने की बात कहते थे। प्रेस वार्ता के दौरान ऑडियो रिकॉर्ड भी सुनाया गया जिसमें 50 हज़ार में परीक्षा के अंक बढ़ाने की बात हो रही थी। तभी ख़बर आई कि एसएससी ने 23,511 अभ्यर्थियों को सेलेक्ट करके कागज़ात वेरिफाई करने के लिए बुला लिया है। हैरत की बात है कि पेपर 2 की जाँच के बिना ही अभ्यर्थियों को अचानक पेपर 1 को आधार बताकर चुन लिया गया।
सीजीएल टियर 2 के 21 फ़रवरी की परीक्षा में जिस सचिन चौहान का स्क्रीनशॉट वाईरल हुआ था, उस बारे में एसएससी चेयरमैन का कहना है कि परीक्षा केंद्र के अंदर ही माइक्रोचिप से फ़ोटो ली गई होगी। लेकिन स्क्रीनशॉट में साफ़ तौर पर ऐसे दो सॉफ्टवेयर के आइकॉन्स देखे जा सकते हैं जिनसे रिमोट एक्सेस के सहारे किसी और जगह कम्प्यूटर का स्क्रीन साझा किया जा सकता है। जबकि किसी भी ऑनलाईन परीक्षा के सॉफ्टवेयर की शर्त होती है कि उसी कम्प्यूटर में इंटरनेट नहीं चलेगा।
स्वराज इंडिया ने स्पष्ट किया कि इन्हीं कारणों से छात्र एसएससी द्वारा आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं के कार्यप्रणाली की निष्पक्ष सीबीआई जाँच की मांग कर रहे हैं, ना कि सिर्फ़ सीजीएल टियर 2 (17 से 22 फ़रवरी) की।
अत्यंत ही अफ़सोस की बात है कि दुनिया के सबसे युवा देश के प्रधानमंत्री जो कई मुद्दों ट्वीट करते रहते हैं, देश के भविष्य से संबंधित इस संवेदनशील मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठे हैं। इतना ही नहीं, 11 दिनों से सड़क पर जीवन बिता रहे छात्रों से मिलने अब तक कोई भी सरकार का प्रतिनिधि नहीं आया है। सुनवाई करना तो दूर, केंद्र में शाषण कर रही पार्टी ने इस ऐतिहासिक आंदोलन को तोड़ने और कमज़ोर करने के लिए तरह तरह की तिकड़मबाज़ी की है। एसएससी और बीजेपी ने छात्रों को बदनाम करने से लेकर आंदोलन को समर्थन दे रहे लोगों और समूहों को धमकाने तक की कोशिश की है। लेकिन देशभर के युवाओं के अटूट जज़्बे और संघर्ष करने की क्षमता ने आंदोलन को दिन ब दिन मजबूत बनाया है।
स्वराज इंडिया ने मांग किया है कि केंद्र सरकार यदि देश के भविष्य के प्रति तनिक भी गंभीर हैं तो एसएससी छात्रों के दोनों मुख्य मांगों को मान लें। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया के मामले में भ्रष्टाचार ख़त्म करने के सार्थक प्रयास हो और पारदर्शिता जवाबदेही बने।
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