इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस ने किसानों के धरना, प्रदर्शन पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सात करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए है।
कितने किसानों की मौत हुई?-
राज्यसभा में सांसद एम. मोहम्मद अब्दुल्ला ने सरकार से सवाल पूछा, कि वर्ष 2020 से लेकर अब तक दिल्ली की सीमा पर धरना, प्रदर्शन में कितने किसानों की मृत्यु हुई?, क्या सरकार ने किसी मुआवजे की घोषणा की है?, दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों के धरना प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा उपलब्ध कराने पर कितनी राशि व्यय की गई?
सांसद कुमार केतकर ने सरकार से सवाल पूछा, कि क्या गृह मंत्रालय ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच अन्य कारकों सहित पानी की कमी, मौसम की स्थिति के कारण हुई मौतों और आत्महत्या का आंकड़ा एकत्र किया है?, मंत्रालय ने आय संबंधी मुआवजे और नौकरी के अवसरों के रुप में मृतकों के परिवारों को सहायता देने के लिए किसी नीति की घोषणा की है?
7 करोड़ से ज्यादा खर्च –
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने किसानों के विभिन्न धरना, प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए 7,38,42,914 रुपए ( 20 नवंबर 2021 तक)खर्च किए है।
राज्य का विषय है-
किसानों की मौतों के आंकड़ों के बारे में मंत्री ने बताया कि संविधान की सातवीं अनूसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सरकार के विषय हैंं। इस संबंध में सूचना संबंधित राज्य सरकारों द्वारा रखी जाती हैंं। इस प्रकार की घटनाओं में मुआवजे के मामलों पर भी संबंधित राज्य सरकारें कार्रवाई करती हैं।
सत्ता के लठैत बने आईपीएस-
उल्लेखनीय है कि किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने अभूतपूर्व कार्य किए। दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी बड़ी नुकीली कीलें सड़कों पर गाड दी गई , लोहे और सीमेंट के बैरीकेड की कई कई कतारें और कंटीले तार लगा दिए। रास्ता बंद करने के लिए सड़क पर बड़े बड़े कंटेनर रख दिए। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सीमाओं पर रास्तों को बंद करने के लिए ऐसे ऐसे इंतजाम किए, जैसे कि किसी दुश्मन देश की सेना को घुसने से रोकना है। सिंघु बार्डर पर किसानों के लिए जा रहे दिल्ली सरकार के पानी के टैंकरों को रोकने से पुलिस का अमानवीय और संवेदनहीन चेहरा भी उजागर हुआ। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव और आईपीएस अफसरों ने सत्ता के लठैत की तरह कार्य किया। पुलिस द्वारा रास्ते बंद कर देने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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