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Tushar Gandhi the great-grandson of Mohandas Karamchand Gandhi during D Mehra Memorial Lecture at 38 International Kolkata Book Fair 2014 in Kolkata on Feb.4, 2014. (Photo: IANS)

खादी कैलेंडर में गांधी की जगह मोदी, सियासी घमासान शुरू

 

नई दिल्ली। खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर व डायरी पर महात्मा गांधी की जगह इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर ने ले ली है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को सियासी संग्राम छिड़ गया। विपक्षी पार्टियों ने जहां इसकी कड़ी निंदा की, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व केंद्र सरकार ने अपना बचाव करने के लिए कानूनों का हवाला दिया। आईएएनएस ने गुरुवार को अपनी एक खबर में बताया था कि केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी के कवर पेज पर ‘चरखे पर सूत कातते महात्मा गांधी की चिर-परिचित तस्वीर’ की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर ने ले ली है।

 

नोटबंदी को लेकर पहले से ही विपक्ष का कोप झेल रहे नरेंद्र मोदी शुक्रवार को न केवल विपक्षी पार्टियों, बल्कि सहयोगी शिवसेना और महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी की खिल्ली के पात्र बन गए। केवीआईसी के इस नायाब कदम की सबसे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खिल्ली उड़ाई।

 

मंगलयान की सफल लॉन्चिंग का श्रेय नरेंद्र मोदी के लेने का संदर्भ देते हुए राहुल ने आईएएनएस की खबर को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मंगलयान का प्रभाव।”

 

विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर इस घटना की निंदा की और जोर देकर कहा कि राष्ट्रपिता को ‘बदला’ नहीं जा सकता। गांधीजी की तस्वीर को बदले जाने को ‘पापकर्म’ करार देते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा दुर्भाग्यवश प्रधानमंत्री की पहचान बन चुकी है।”

 

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीतराम येचुरी व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने भी इसकी आलोचना की। भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी इस कदम की आलोचना की। पार्टी के सांसद आनंद अदसुल ने कहा कि बापू की तस्वीर को हटाना बड़ा पाप है।

 

गांधीजी के परपौत्र तुषार गांधी ने कहा कि यह कदम महात्मा की विरासत को छीनने का प्रयास है। उन्होंने केवीआईसी को भंग करने की मांग की।

 

तुषार गांधी ने आईएएनएस से कहा, “बात केवल तस्वीर की नहीं है। यह मायने नहीं रखता कि वे कितना बहाना बनाते हैं, वे गांधीवादी विचारधारा में यकीन ही नहीं करते। इसलिए सत्यनिष्ठा बरतने का सवाल ही पैदा नहीं होता। यह बस महात्मा गांधी की विरासत को छीनने का एक निराशाजनक प्रयास है।” उन्होंने केवीआईसी पर खादी को एक बेबस कपड़े में तब्दील करने का आरोप लगाया।

 

तुषार गांधी ने इससे पहले कहा, “केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी से बापू की तस्वीर को हटाकर लाखों रुपये के सूट पसंद करने वाले प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाना मंत्रालय का एक कपटपूर्ण कृत्य है।”

 

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में उत्कल गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष प्रहलाद कुमार सिन्हा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर की जगह मोदी की तस्वीर लगाने की ‘केवीआईसी की शर्मनाक करतूत’ को ‘चाटुकारिता की पराकाष्ठा’ करार देते हुए इसकी निंदा की।

 

सिन्हा ने लिखा, “इस कृत्य से गांधीजी का आदर करने वाले तथा उनके मूल्यों का सम्मान करने वाले करोड़ों लोगों की भावना को ठेस पहुंची है।” बढ़ती आलोचना व खिल्ली के बीच केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना तथा केंद्र सरकार ने मुद्दे को कमतर आंकते हुए अपने कदम का बचाव किया।

 

सक्सेना ने कहा, “साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012, 2013 तथा 2016 में केवीआईसी द्वारा जारी कैंलेंडर व डायरी में महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी, इसलिए हमने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया।”

 

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खादी का सबसे बड़ा ब्रैंड एंबेसेडर बताया और दावा किया कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत अपील के कारण ही साल 2015 से खादी की बिक्री में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई। सक्सेना ने यह भी कहा कि कवर पेज पर मोदी की तस्वीर यह दर्शाती है कि उच्चतम स्तर पर भी सरकार खादी के प्रति प्रतिबद्ध है।

 

वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मामले के राजनीतिकरण के लिए विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने दलील दी, “ऐसा कोई नियम नहीं है कि कवर पेज पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर हो।” और उन वर्षो की और इशारा किया, जिस साल केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी में गांधीजी की तस्वीर नहीं छपी थी। उन्होंने दावा किया कि केंद्र में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान खादी की बिक्री में पांच से सात फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई, लेकिन बीते दो वर्षो में ‘अप्रत्याशित’ 34 फीसदी की वृद्धि हुई है।

 

सवाल यह है कि भाजपा का यह दावा क्या मोदी को गांधी की जगह दिला सकता है? राष्ट्रपिता की गरिमा दिला सकता है?

(आईएएनएस)

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