एस.पी. चोपड़ा, नई दिल्ली: पौराणिक काल से लेकर आज तक भारत में किन्नर समाज ने सनातन धर्म और देश के झंडे को ऊंचा रखने के लिए अपना पूरा योगदान दिया है। धर्म और देश की रक्षा के लिए हम हमेशा तैयार रहे हैं। प्राचीन समय में किन्नरों का स्थान मंदिरों में होता था। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में किन्नरों की मुख्य भूमिका थी। इसके बाद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की लड़ाई में किन्नरों की अत्याधिक सक्रियता को देखते हुए अंग्रेजों ने बाकायदा कानून पास करके किन्नर समाज को अपराधी घोषित किया था।
आजादी के बाद 1949 में इस कानून को रद्द किया गया। पिछले काफी समय से यह बात मन को कचोट रही थी कि इतनी गौशालाएं, इतने संगठन और सरकारी योजनाओं के बाद भी गौ माता की हालत में सुधार क्यों नहीं हो रहा। काफी गौसेवकों से भी बातचीत हुई। इसी दौरान लगभग दो वर्ष पहले घायल व बीमार गायों के लिए काम करने वाले संगठन गौपुत्र सेना के बारे में सुनने को मिला और गौपुत्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संपत सिंह से मुलाकात भी हुई। अप्रत्यक्ष तौर पर संगठन में कार्य भी शुरु किया।
संपत सिंह के निवेदन पर कुछ दिन पहले समाज के लोगों से बातचीत कर फैसला लिया गया कि गौ माता को उसका उचित स्थान दिलाने के लिए अब किन्नर समाज को ही आगे आना पड़ेगा। इसलिए मैं किन्नर समाज के अपने साथियों सहित गौपुत्र सेना और संपत सिंह को आशीर्वाद देने और इनके साथ मिलकर कार्य करने की घोषणा आज करती हूं। यह बात स्थानीय प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए किन्नर डोली सिंह गुरु जी ने कही।
इससे पूर्व गौपुत्र सेना के बारे में विस्तार से बताते हुए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौपुत्र संपत सिंह ने कहा कि 12 वर्ष पहले सडक़ पर एक घायल बछड़े को देखकर उनके अंदर घायल व बीमार बेजुबान जीवों की सेवा का भाव जागृत हुआ। इसके बाद हरियाणा के एक छोटे से शहर हिसार से गौवंश की सेवा के लिए गौ-सेवार्थ मिशन एक रुपया-एक रोटी की शुरुआत की गई। इसके बाद युवाओं का साथ मिलता गया और आज वही गौ-सेवार्थ मिशन भारतवर्ष के 16 राज्यों में निष्ठावान सक्रिय कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रीय संगठन का रूप ले चुका है।
आज गौपुत्र सेना के साथ युवाओं के साथ-साथ मजदूर, किसान, नौकरीपेशा से लेकर व्यापारी और कर्मचारी तक हर तबका जुड़ा हुआ है। गौपुत्र सैनिकों के द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिदिन लगभग 1500 से 2000 गौवंश का नि:शुल्क उपचार किया जाता है। गौपुत्र सेना आज पूरे देश में सडक़ की गौशाला के नाम से अपनी पहचान रखती है। गौ-पुत्र सेना वर्तमान में 50 से लेकर 250 की क्षमता वाली विकलांग गौशालाओं का संचालन भी कर रही है, जिनमें ठीक होने के बाद गौवंश को विभिन्न गौशालाओं में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
कुछ क्षेत्रों में गौपुत्र सैनिकों द्वारा अपने निजी वाहनों का प्रयोग घायल व बीमार गौवंश की सेवा के लिए एंबुलेंस तक के रूप में भी किया जा रहा है। राष्ट्रवादी संगठन गौपुत्र सेना गौवंश के साथ-साथ अन्य प्राणियों की सेवा व रक्षा के लिए भी कार्य करता है।
आज पत्रकार वार्ता के दौरान गौपुत्र संपत सिंह ने किन्नर डोली सिंह गुरुजी को गौपुत्र सेना का संरक्षक व राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी घोषित किया। इसके साथ-साथ दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी का पुनर्गठन करते हुए किरणपाल मान को गौपुत्र सेना दिल्ली इकाई का अध्यक्ष भी घोषित किया गया। संपत सिंह ने किन्नर डोली सिंह गुरु जी व नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष किरणपाल मान को पगड़ी पहना कर उनका स्वागत किया।
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