बैंकाक: वरिष्ठ अभिनेता अनुपम खेर तीन दशक से ज्यादा समय से फिल्म उद्योग का हिस्सा हैं और 500 से ज्यादा फिल्मों में नजर आ चुके हैं। शिमला जैसे शहर से अपना सफर शुरू करने वाले दिग्गज अभिनेता ने बाद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कलाकारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। अभिनेता का कहना है कि बिना किसी गॉडफादर के या बिना फिल्मी पृष्ठभूमि के अपना काम दिखाना और खुद को साबित करना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
अपने सफर के बारे में अनुपम ने आईएएनएस को बताया, “मैंने अपनी जिंदगी को ‘कुछ भी हो सकता है’ जैसे तथ्य के इर्द-गिर्द रखा, तो शिमला जैसे छोटे शहर से आकर आईफा के 19वें संस्करण का हिस्सा बनने के काबिल बनना एक बड़ी उपलब्धि की अनुभूति कराता है।”
उन्होंने कहा, “न कि सिर्फ अभिनेता के तौर पर, बल्कि एक शख्स के तौर पर जो एक छोटे से शहर से आता है, जहां भगवान, देश और फिल्म उद्योग ने मुझे बिना किसी गॉडफादर या फिल्मी पृष्ठभूमि के बिना अपना काम दिखाने का मौका दिया।”
अनुपम (63) ने 1984 में फिल्म ‘सारांश’ से आगाज किया था और बाद में वह ‘चालबाज’, ‘लम्हे’, ‘खेल’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ जैसी फिल्मों में नजर आए।
हिंदी फिल्मों में काम करने के अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराही गई कई फिल्मों जैसे ‘बेंड इट लाइक बेकहम’, ‘लस्ट कॉशन’ और डेविड ओ रसेल की ऑस्कर विजेता फिल्म ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ में भी वह दिखाई दिए हैं।
अभिनेता का कहना है कि मनोरंजन उद्योग में उनकी दूसरी पारी अब शुरू हो रही है।
अनुपम ने कहा कि आपके अपने साथियों द्वारा आपकी उपलब्धियों का जश्न मनाए जाने पर बहुत अच्छा महसूस होता है। उन्होंने कहा कि वह जो कर रहे हैं यह उसका बस एक अंतराल है और उनकी दूसरी पारी अब शुरू होती है और इसकी शुरुआत 500वीं फिल्म से हुई है।
इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी (आईफा) में अनुपम को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
–आईएएनएस
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