संतोष कुमार पाठक
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के दिग्गज नेताओं में शुमार गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद से ही अब राज्य की राजनीति में उनके भविष्य को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। राज्य में अपनी पकड़ मजबूत बनाने और पार्टी के विस्तार अभियान में जुटी भाजपा ने आजाद के इस्तीफे के सहारे जमकर कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधा लेकिन राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह भी तय माना जा रहा है कि आजाद फिलहाल भाजपा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं।
दरअसल, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके आजाद जम्मू के डोडा से ताल्लुक रखते हैं लेकिन राज्य की राजनीति में उनकी पहचान कश्मीर घाटी के नेता के रूप में रही है। जम्मू में पहले से ही मजबूत रही भाजपा कश्मीर घाटी में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के मिशन में जुटी है और ऐसे में यह कहा जा रहा था कि आजाद के साथ आने से भाजपा को फायदा हो सकता है। लेकिन गुलाम नबी आजाद खेमे की तरफ से फिलहाल यह साफ कर दिया गया है कि वो भाजपा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। यह कहा जा रहा है कि गुलाम बनी आजाद एक नया राजनीतिक दल बनाकर फिर से राज्य की राजनीति में सक्रिय होने जा रहे हैं। आजाद के इस्तीफे के बाद जिस अंदाज में प्रदेश के कई नेताओं ने अपना इस्तीफा दिया, उससे भी यह साफ-साफ नजर आने लगा कि आजाद अपनी नई पार्टी बनाकर राज्य की राजनीति में अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं, विरोधियों को भी और साथ आने वालों को भी।
भाजपा भी आजाद के इस्तीफे पर फिलहाल सधी हुई प्रतिक्रिया ही दे रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू कश्मीर के प्रभारी तरुण चुग ने आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मसला बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह चरम पर है और कांग्रेस में घुटन का वातावरण है। जम्मू एवं कश्मीर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताते हुए कांग्रेस आलाकमान पर गुलाम नबी आजाद को लगातार प्रताड़ित कर, अपमानित कर कांग्रेस से इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने जम्मू कश्मीर में हुए जी-23 नेताओं के सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं में रोष था और जिस तरह का माहौल कांग्रेस में बन गया था उस माहौल में तो यह लावा फूटना ही था। लेकिन गुलाम नबी आजाद के भाजपा में शामिल होने या आजाद के साथ भविष्य में किसी तरह का संबंध होने के सवाल को फिलहाल भाजपा नेता टालते ही नजर आ रहे हैं।
दरअसल, राज्य के राजनीतिक हालात को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि नई पार्टी बनाने के बावजूद इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि आजाद अपनी नई पार्टी के जरिए भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं और ऐसे में अगर कामयाबी मिली तो भाजपा, आजाद को बड़ी भूमिका भी दे सकती है लेकिन इसे लेकर दोनों में से कोई भी फिलहाल अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।
एक तरफ भाजपा नेता साफ-साफ कह रहे हैं कि उनका मकसद फिलहाल जम्मू कश्मीर में पार्टी के संगठन को मजबूत करना है, पार्टी के जनाधार को बढाना है और इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पार्टी के दिग्गज नेता और मोदी सरकार के मंत्री लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं। भाजपा पूरे जम्मू कश्मीर में बूथ स्तर तक पार्टी संगठन के विस्तार को लेकर काम कर रही है। यह कहा जा रहा है कि नई पार्टी के गठन के बाद गुलाम नबी आजाद भी पूरे राज्य में अपनी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे लेकिन राज्य की राजनीति में फिर से सक्रिय हुए आजाद किंग बनेंगे या किंगमेकर और बनेंगे तो किसके साथ जाकर, इसके लिए विधान सभा चुनाव तक का इंतजार करना पड़ेगा।
–आईएएनएस
और भी हैं
एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में महायुति को बहुमत, एमवीए को झटका
मध्य प्रदेश की पहली मेडिसिटी का उज्जैन में भूमि पूजन
भारत बातचीत के जरिए जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने का समर्थक : राजनाथ सिंह