इस्लामाबाद। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने शनिवार को कहा कि वह शरणार्थियों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश से आहत हैं, जिसके तहत देश में शरणार्थियों की संख्या सीमित करने का फैसला लिया गया है। मलाला ने फेसबुक पर लिखा है, “मैं आहत हूं कि ट्रंप युद्धग्रस्त क्षेत्रों से आ रहे बच्चों, मांओं और पिताओं के लिए अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं आहत हूं कि अमेरिका शरणार्थियों और आव्रजकों का स्वागत करने वाले अपने इतिहास से पीछे हट रहा है। ये वे लोग हैं, जिन्होंने देश के निर्माण में योगदान दिया और बदले में सिर्फ एक नई जिंदगी के लिए निष्पक्ष अवसर चाहा। इसके लिए ये हमेशा कड़ी मेहनत करने को तत्पर रहे।”
मलाला ने आगे लिखा, “मैं आहत हूं उन सीरियाई शरणार्थी बच्चों के लिए, जिन्होंने युद्ध के छह वर्षो के दौरान दुख व तकलीफें झेलीं, जबकि इस पूरे प्रकरण में उनका कोई दोष नहीं।”
मलाला ने सोमालिया, यमन और मिस्र जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रों से भाग कर अमेरिका में साल 2014 में शरण लेने वाली जायनाब का उदाहण दिया और कहा कि वह जायनाब जैसी लड़कियों के लिए आहत हैं।
मलाला ने कहा, “जनाब, जो मिस्र में अशांति और युद्ध के बीच वहां से भाग गई थी और इस दौरान अपनी छोटी बहन से बिछड़ गई थी, उसे अपनी बहन से मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब वह धुंधली पड़ गई है।”
मलाला ने कहा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप से अपील करती हूं कि दुनियाभर में अनिश्चितता व अशांति के दौर में वह उन बच्चों व परिवारों को पीठ न दिखाएं, जो दुनिया में सर्वाधिक असहाय हैं।”
(आईएएनएस)
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