नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कृषि अर्थशास्त्रियों की तीन सदस्यीय समिति ने तीन कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दी है। समिति में भूपिंदर सिंह मान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री, दक्षिण एशिया के निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान, अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष और अनिल घणावत, अध्यक्ष, शेतकरी संगठन शामिल हैं। मान ने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से आम जनता के विचार और सुझाव भी मांगे थे, जो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए थे।
आईएएनएस से बात करते हुए, अनिल घणावत ने पुष्टि की कि समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन सामग्री पर कोई विवरण नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए सामग्री तब तक सार्वजनिक नहीं करेंगे, जबतक मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे मामले की सुनवाई नहीं करते। मामले में सुनवाई 5 अप्रैल के बाद होने की उम्मीद है, जब अदालत होली की छुट्टी के बाद फिर से खुल जाएगी।
समिति ने दो महीने के लिए तीन कृषि कानूनों पर कई किसान संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया। समिति ने एपीएमसी के अधिकारियों जैसे अन्य हितधारकों के अलावा कई किसान संगठनों से बात की।
कई किसान यूनियन नवंबर के अंत से विभिन्न दिल्ली सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं, और उन्होंने शीर्ष अदालत की नियुक्त समिति के साथ चर्चा करने से इनकार कर दिया था। किसान संघ लगातार तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
12 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के कार्यन्वयन पर रोक लगा दी थी।
–आईएएनएस
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