इंद्र वशिष्ठ
जहांगीर पुरी दंगों के मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि दंगों में शामिल एक आरोपी दंगे के बाद उत्तर पश्चिम जिले की डीसीपी ऊषा रंगनानी के बगल में ही बैठा हुआ था।
दंगों में शामिल इस अभियुक्त तबरेज को अपराध शाखा ने 7 मई को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने दावा किया कि तबरेज भी हिंसा में सक्रिय रूप से शामिल था।
दंगा करने वाला डीसीपी की बगल में-
एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें इलाके में दंगे के बाद एक अमन कमेटी की सभा को पहले डीसीपी उषा रंगनानी संबोधित करती हैं। उसके बाद डीसीपी उषा रंगनानी माइक बगल में बैठे तबरेज को सौंप देती हैं। तबरेज ने सभा को संबोधित किया कि ‘तिरंगा यात्रा निकालेंगे, शांति का संदेश देंगे लोगों को’।
यह सबको मालूम है कि डीसीपी की बगल में वहीं व्यक्ति बैठ सकता है जिसे पुलिस अफसर चाहे यानी जिसकी एसएचओ या वरिष्ठ अफसरों से अच्छी पहचान/ नजदीकी/ दोस्ती हो।
थाना पुलिस की तफ्तीश और खुफिया तंत्र का यह आलम है कि उसे यह पता ही नहीं चला कि तबरेज दंगा करने में शामिल है।
जहांगीर पुरी दंगा: 36 लोग गिरफ्तार –
पुलिस ने 7 मई को बताया कि जहीर खान उर्फ जलील (48) और अनाबुल उर्फ शेख (32) को शुक्रवार को जहांगीरपुरी से गिरफ्तार किया गया, वहीं तीसरे आरोपी तबरेज (40) को भी शनिवार को उसी इलाके से गिरफ्तार किया गया। हिंसा के दिन से ही जहीर खान और अनाबुल दोनों फरार थे।
इसके साथ ही जहांगीर पुरी दंगा मामले में पुलिस अब तक तीन नाबालिगों समेत 36 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
आईपीएस की काबिलियत पर सवाल-
भले ही एक बार को कोई शिकायतकर्ता डीसीपी से न मिल पाए, लेकिन आपराधिक मामलों में शामिल या भडकाऊ भाषण देने वाले तक आईपीएस अफसरों की बगल मे बैठ या खड़े हो जाते हैं।
दिल्ली में साल 2020 में कपिल मिश्रा ने तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्य के बगल में खड़े होकर ही भड़काऊ भाषण दिया था। अब जहांगीर दंगों में शामिल आरोपी तबरेज का डीसीपी के बगल में बैठ कर सभा को संबोधित करने का मामला सामने आया है।
इससे आईपीएस अफसरों की पेशेवर काबिलियत और समझदारी पर सवालिया निशान लग जाता है। किस व्यक्ति के साथ उठना-बैठना या मंच साझा करना चाहिए क्या आईपीएस को इतनी मामूली सी बात की भी समझ नहीं है।
डीसीपी की बगल में खड़े हो कर भड़काऊ भाषण-
24 फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के दौरान बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उत्तर पूर्वी जिला के तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या उसके साथ खड़े है। तभी कपिल मिश्रा ने विवादित भाषण दिया था।
दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी-
23 फरवरी 2020 को कपिल मिश्रा के भडकाऊ भाषण के बाद ही सीएए समर्थक और विरोधी आमने-सामने आ गए और हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा की चपेट में आने से 53 लोगों की मौत हो गई थी।
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