नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में 70 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है। यहां के लोग स्रोत सिर्फ 30 फीसदी प्रदूषण पैदा कर रहे हैं। केंद्र सरकार की एजेंसी आईआईटीएम के डाटा का सीएसई ने विश्लेषण किया। जिससे खुलासा हुआ कि पिछले पांच साल में दिल्ली के अंदर पैदा होने वाला प्रदूषण कम हुआ है। दिल्ली में 2016 में 64 फीसदी प्रदूषण बाहर का था और 36 फीसद प्रदूषण दिल्ली के अंदर का था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने माना कि पराली जलने की घटनाएं का प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 35 से 40 फ़ीसदी तक हुई है। जिसका असर दिल्ली के अंदर दिख रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दिल्ली-एनसीआर से जुड़े सभी पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाएं। दीर्घकालीन स्थायी समाधान के लिए वैज्ञानिक आधार पर संयुक्त एक्शन प्लान बनाकर हर राज्य की जिम्मेदारी तय की जाए।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण को लेकर पिछले कई दिनों से लगातार बहस चल रही है कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसकी मुख्य वजह क्या है? दिल्ली के अंदर का प्रदूषण है, दिल्ली के बाहर का प्रदूषण है, गाड़ियों का प्रदूषण है या पराली का प्रदूषण है, निर्माण का प्रदूषण है या बायोमॉस बर्निंग का प्रदूषण है। कोर्ट से लेकर विशेषज्ञों के बीच में लगातार यह बात चल रही है। दिल्ली के अंदर 2016 में एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) के द्वारा सोर्स अपोर्समेंट स्टडी की गई थी। उस स्टडी में इस बात को सामने रखा था कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसमें 64 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के बाहर से आता है। 36 फीसद प्रदूषण दिल्ली के अंदर का है। चूंकि यह स्टडी 2016 की थी, तो यह सवाल पैदा होता था कि क्या 2016 की स्थिति वर्तमान में बनी हुई है या उसमें कुछ परिवर्तन हुए हैं। आज की वर्तमान स्थिति क्या है? आज दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण है, उसमें किसका कितना योगदान है?
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) प्रदूषण पर काम करने वाली एक जानमानी है। दिल्ली में केंद्र सरकार की संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैनेजमेंट (आईआईटीएम) भी है। आईआईटीएम का एप सफर है। आईआईटीएम सफर के माध्यम से प्रदूषण का सारा डाटा जारी करता है। इसके द्वारा डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) का जो डाटा है, उसको लेकर सीएसई ने 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक 15 दिनों का प्रति घंटे के हिसाब से डाटा विश्लेषण किया। सीएसई ने केंद्र सरकार के ऐप सफर द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा को विश्लेषण किया और विश्लेषण के आधार पर सीएसई ने रिपोर्ट जारी की है। वह रिपोर्ट कहती है कि 31 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के अंदर का है और 69 फीसदी प्रदूषण दिल्ली के बाहर का है। दिल्ली के अंदर बाहर से 69 फीसदी प्रदूषण आ रहा है। अगर मोटा-मोटा कहें कि दिल्ली के अंदर का स्रोत 30 फीसदी प्रदूषण पैदा कर रहे हैं और 70 फीसदी बाहर से दिल्ली में प्रदूषण आ रहा है। सफर के डेटा का विश्लेषण करके सीएसई ने जो रिपोर्ट जारी की है, यह रिपोर्ट 2016 के टेरी की तरफ से जारी डाटा से मेल खाती है। टेरी के डेटा में दिल्ली का प्रदूषण 36 फीसद था और आज वह प्रदूषण घट कर 31 फीसद हो गया है। दिल्ली के अंदर जो बाहर से प्रदूषण आता था वह पहले 64 फीसद था। अब जो सीएसई की रिपोर्ट आई है उसके अनुसार बाहर का प्रदूषण बढ़कर 69 फीसद हो गया है।
इस रिपोर्ट में दिखाए गए चार्ट के अनुसार उस दौरान 14 फीसद बायोमॉस बर्निंग का प्रदूषण था। उसके बाद से लगातार पराली की घटनाएं बढ़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी कल केंद्र सरकार ने इस बात को स्वीकार किया कि जो 4 फीसदी का डाटा दिया था, वह पूरे साल का डाटा है। इस समय प्रदूषण में पराली का योगदान करीब 35 से 40 फीसदी है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सभी पार्टियों और तमाम लोगों के द्वारा बार-बार जो दिल्ली के लोगों को गालियां दी जा रही हैं कि दिल्ली वालों से जहर घोल दिया है तो यह बिल्कुल गलत है। 2016 का टेरी का डेटा भी वही बात कहता है और अभी सीएसई का इस साल का डेटा भी यही बात कह रहा है। यह केंद्र सरकार के डेटा का विश्लेषण है कि दिल्ली के अंदर जो प्रदूषण पैदा हो रहा है, वह केवल 30 फीसद ही है और 70 फीसद प्रदूषण दिल्ली में बाहर से आ रहा है। दिल्ली के अंदर का प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार लगातार काम कर रही है, लेकिन जो 70 फीसदी प्रदूषण बाहर से आ रहा है, उसे कम करने के लिए दिल्ली के लोग एड़ी चोटी का भी जोर लगा दें, तो इस बाहर के प्रदूषण को दिल्ली के लोग कम नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इसलिए बार-बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन कर रहे हैं कि संयुक्त बैठक करके संयुक्त एक्शन प्लान बनाना पड़ेगा। संयुक्त एक्शन प्लान बनाए बिना और उसको जमीन पर लागू किए बिना दिल्ली वालों को निजात नहीं मिल सकती है। दिल्ली के अंदर का जो प्रदूषण है उसके लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली के अंदर का प्रदूषण सिर्फ 30 फ़ीसदी है और बाहर का प्रदूषण 70 फ़ीसदी है। ऐसे में बाहर का प्रदूषण कैसे कम होगा।
दिल्ली के अंदर हम एंटी डस्ट अभियान 2 महीने से चला रहे हैं। लेकिन दिल्ली के बाहर नहीं चल रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने सितंबर में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के संबंधित मंत्रियों के साथ संयुक्त बैठक की थी। तब भी कहा था कि दिल्ली के अंदर हमने 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की है। जिससे दिल्ली के अंदर जो जेनसेट से प्रदूषण होता था उसे नियंत्रित किया है। एनसीआर के अंदर 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की जाए, तभी जेनसेट के प्रदूषण को रोका जा सकता है। दिल्ली के अंदर डेढ़ हजार उद्योग प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन से चलते थे, उसको पीएनजी में कन्वर्ट किया है। कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) के डाटा के मुताबिक एनसीआर के अंदर यह काम होना था लेकिन नहीं किया गया। कई जगहों पर थोड़े बहुत काम करके कागज भर कर खानापूर्ति कर दी गई।
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर ईट-भट्टे नहीं चलते हैं लेकिन जितने आसपास के भट्टे हैं उनको एडवांस तकनीक पर ले जाने की बात हर बार होती है लेकिन होता कुछ भी नहीं है। पूरा प्रदूषण आज का दिल्ली के अंदर आ रहा है। अभी इमरजेंसी में थर्मल पावर प्लांट को बंद करने की बात कही गई है। कई सालों से यह बात चल रही है लेकिन हर बात इस बात को टाल दिया जाता है कि उसे एडवांस तकनीकी पर ले जाया जाए। लेकिन उन्हें एडवांस तकनीकी पर नहीं ले जाया जा रहा है। चारों तरफ दिल्ली के निर्माण कार्य चल रहे हैं। बिना किसी मानक को पूरा किए बिना चल रहे हैं। उस पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई नहीं दिखती है। इस समय खासतौर पर 54 फीसदी प्रदूषण के जो स्त्रोत हैं वह स्थाई है। सुप्रीम कोर्ट में कल केंद्र सरकार ने इस बात को माना है कि पराली जलने की घटनाएं और उनका प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 35 से 40 फ़ीसदी हुई है। जिसका असर दिल्ली के अंदर दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों से निवेदन करता हूं कि दिल्ली के 30 फ़ीसदी प्रदूषण को हमें कम करने की जरूरत है। हम प्राथमिकता के आधार पर अपने हिस्से के प्रदूषण को और कम करेंगे। इसलिए वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान को चला रहे हैं। दिल्ली के अंदर पूरा सार्वजनिक परिवहन सीएनजी पर चलता है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहे हैं। लेकिन पूरे एनसीआर के अंदर जहां से 54 फ़ीसदी प्रदूषण से आ रहा है वहां पर डीजल की सभी गाड़ियों को अनुमति है। इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है। वह निर्णय दिल्ली सरकार नहीं ले सकते। इसलिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन है कि इसको लेकर दिल्ली-एनसीआर से जुड़े सभी पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई जाए। डाटा के आधार पर एक वैज्ञानिक आधार पर संयुक्त एक्शन प्लान बने। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को क्या- क्या करना है वह निश्चित किया जाए। इसके अलावा जिम्मेदारी तय की जाए। अगर कोई राज्य उसको लागू नहीं कर रहा है तो फिर उस पर कार्रवाई करने के लिए नीति बनाई जाए। तात्कालिक एक्शन प्लान तो हम उठा रहे हैं, लेकिन तात्कालिक के साथ दीर्घकालिक एक्शन प्लान बनाकर बाहर से आ रहे 70 फ़ीसदी प्रदूषण को नियंत्रित करने की जरूरत है। इसमें दिल्ली सरकार हर तरह का सहयोग केंद्र सरकार को देने को तैयार है। जिससे कि हम मिलकर इस प्रदूषण की समस्या का तात्कालिक और स्थाई तौर पर भी समाधान कर सकते हैं।
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