भोपाल| मध्यप्रदेश के धार जिले की एक जल संरचना में हुए जल रिसाव से शासन -प्रशासन से लेकर आम लोगों तक की सांस अटक गई थी, कई गांव खाली कराने पड़े थे, बड़ी तादाद में फसलों केा नुकसान हुआ, अब सियासी बहस इस पर आकर ठहर गई है कि 304 करोड़ की लागत से बन रही यह जल संरचना बांध है या तालाब। जब पानी का रिसाव हुआ तो कारम बांध कहा गया और अब तालाब बताया जा रहा है।
ज्ञात हेा कि बीते दिनों धार जिले की कारम नदी पर बन रही जल संरचना में रिसाव हो गया था, जिससे आसपास के दो दर्जन से ज्यादा गांव के लेागों की जिंदगी मुश्किल में पड़ गई थी। तब प्रशासन ने गांव केा खाली कराया और पानी की निकासी शुरू की। राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने धार में डेरा डाला था। आगरा-मुम्बई मार्ग के आवागमन पर भी असर पड़ा था। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में बैठकर पानी निकासी की हर स्थिति पर नजर रखी थी। साथ ही जांच के आदेश हुए थे।
राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, इसे कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया है, जिसमें उन्हें कहते हुए दिखाया गया है कि मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि उसमे गेट नहीं लगे थे, इसलिए उसे बड़ा डेम कहना या बांध कहना वैसा नहीं है, वह तालाब नुमा क्षेत्र था और मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है, मध्यप्रदेश के धार जिले के कारम डैम क्षतिग्रस्त मामले में 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी दोषी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शिवराज सरकार ने चार सदस्यीय जांच समिति बनाकर पांच दिन में इसकी जांच कर, कार्रवाई करने का दावा किया था, लेकिन 11 दिन हो चले है, जांच रिपोर्ट कहां है, किसके पास है, अभी तक उसका ही पता नहीं और अभी तक कोई कार्रवाई नहीं।
उन्होंने आगे कहा, इस बांध को लेकर जिस तरह की बयानबाजियां हो रही हैं, उसी से समझा जा सकता है कि सरकार लीपा पोती में और दोषियों को बचाने में लग गयी है। बड़ा ही शर्मनाक है कि 304 करोड़ रुपये इस बांध के निर्माण के नाम पर बर्बाद कर दिये गये और अब जिम्मेदार दोषियों को बचाने के लिये इसे तालाब बताने में लग गये है। कांग्रेस इस भ्रष्टाचार पर चुप नहीं बैठेगी, जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो जाती, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
–आईएएनएस
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