नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और प्रदेश के कानून मंत्री द्वारा कोलकाता में सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी और समर्थकों के साथ निचली अदालत के पास धरने को मंजूरी नहीं दी थी। शीर्ष अदालत ने नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं के नजरबंदी आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
हालांकि, इस दौरान सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली शीर्ष अदालत में दायर की गई अपनी अपील वापस ले ली। सीबीआई ने नजरबंदी के आदेश के खिलाफ सभी दलीलों को लेकर उच्च न्यायालय में वापस जाने का विकल्प चुना।
इस मामले में रोजाना नया मोड़ आता जा रहा है। सीबीआई ने मंगलवार को नारद स्कैम मामले में 4 नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील को वापस ले ली। बता दें कि सीबीआई ने एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के धरने के कारण आरोपी व्यक्तियों को पीड़ित क्यों बनाया जाए?
अदालत ने कहा कि आप उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे बढ़ सकते हैं जिन्होंने कानून अपने हाथ में लिया है। पीठ ने कहा कि वह एजेंसी पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के धरने की सराहना नहीं करती।
पीठ ने कहा, हम नागरिकों की स्वतंत्रता को राजनेताओं के किसी भी अवैध कृत्य के साथ मिलाना पसंद नहीं करते हैं। हम ऐसा नहीं करेंगे।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है और इसे देखते हुए शीर्ष अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या वह उच्च न्यायालय के खिलाफ अपील वापस लेना चाहेगी।
मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि सीबीआई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेगी, जिसमें टीएमसी नेताओं को नजरबंद करने का आदेश दिया गया था।
2016 के नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई के अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों फरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी के साथ ही वर्तमान विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर सोवन चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार करने के बाद राजनीति गर्मा चुकी है। कोलकाता में 17 मई को गिरफ्तारी के बाद से इस मामले में भारी ड्रामा देखने को मिला है। इस कथित टेप में कई राजनेता और एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी कथित रूप से एक फर्जी कंपनी को अनौपचारिक लाभ प्रदान करने के लिए नकदी स्वीकार करते पाए गए थे।
–आईएएनएस
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