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निर्भया मामले में 4 दोषियों की फांसी बरकरार

नई दिल्ली :  सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। अदालत ने चार दोषियों में से तीन द्वारा दाखिल की गई समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया।

निर्भया की 2012 में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिका में पुनर्विचार के आधार नहीं हैं।

दोषी करार दिए गए मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) व विनय शर्मा (23) ने सर्वोच्च न्यायलय के 5 मई, 2017 के मौत की सजा को कायम रखने के फैसले को वापस लेने की मांग की थी। इस सजा का फैसला निचली अदालत ने दिया था, जिसकी उच्च न्यायलय ने पुष्टि की थी। चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह (31) ने समीक्षा याचिका नहीं दायर की थी।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिका के जरिए अदालत द्वारा न्याय देने में हुई त्रुटि को दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों द्वारा दाखिल याचिकाओं में अदालत की गलती का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के फांसी की सजा की पुष्टि के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई 38 दिनों तक चली। इसमें बचाव पक्ष के वकीलों को अपने मामले को पूरा रखने का अवसर दिया गया।

इसमें कहा गया, “समीक्षा याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। रिकॉर्ड में प्रत्यक्ष तौर पर दिखना चाहिए कि न्याय देने में गलती हुई है।”

न्यायमूर्ति भूषण ने कहा, “फांसी की सजा पाए दोषी अदालत के फैसले में गलती दिखाने में विफल रहे हैं। अपील के दौरान दोषियों को विस्तारपूर्वक सुना गया और अपने फैसले के पुनर्विचार के लिए कोई आधार नहीं दिखता है।”

पीड़िता की मां आशा देवी ने उम्मीद जताई कि दोषियों को जल्द फांसी होगी।

उन्होंने कहा, “आगे और लड़ाई है, लेकिन हमें फिर से एक बार न्याय मिला है। हमें उम्मीद है कि वैध औपचारिकताओं का ख्याल रखा जाएगा और अपराधियों को जल्द से जल्द फांसी दिया जाएगा।”

केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि वह मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट हैं।

अब दोषियों के पास मौत की सजा पर फिर से विचार करने के लिए एक विकल्प क्यूरेटिव याचिका है।

क्यूरेटिव याचिका फांसी की सजा को इस आधार पर चुनौती देती है कि साक्ष्य या कानूनी बिंदु पर चर्चा नहीं हुई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

अगर क्यूरेटिव याचिका खारिज हो जाती है तो राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल कर सकते हैं।

एक युवा पेशेवर निर्भया के साथ चलती बस में पांच लोगों ने मिलकर बेरहमी के साथ दुष्कर्म किया था। पांच आरोपियों में से एक ने 16 दिसंबर, 2012 को जेल में आत्महत्या कर ली थी।

इस घटना से देश भर में आक्रोश पैदा हो गया था। निर्भया की सिंगापुर की एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

–आईएएनएस

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