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नीतीश कुमार की जर्नी ब्रेक

 

वीरेंद्र यादव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू सरकार ने अपना 11 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया यानी न्याय के साथ विकास यात्रा का 11 साल। कांग्रेस के श्रीकृष्ण सिंह के बाद पहली बार एक पार्टी ने सत्ता का 11 वर्ष पूरा किया। इन 11 वर्षों में कुछ महीने को छोड़कर नीतीश कुमार का एकछत्र शासन रहा। राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव के साथ नीतीश के सहयोगी बदलते रहे, लेकिन सत्ता कायम रही।

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11 वर्षों का न्याय के साथ विकास यात्रा ‘महागठबंधन सरकार का एक वर्ष’ में बदला
‘न्याय के साथ विकास यात्रा’ 10 वर्षों तक निर्बाध रूप से जारी रही। लेकिन नीतीश कुमार को 11वें वर्ष में ‘जर्नी ब्रेक’ करनी पड़ी। 11वां वर्ष ‘महागठबंधन सरकार का एक’ वर्ष में तब्दील हो गया। सरकार द्वारा जारी रिपार्ट कार्ड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात पन्नों में अपना ‘दो शब्द’ लिखा है, जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का चर्चा की है। दो शब्द के अंतिम पाराग्राफ में सीएम ने लिखा है- ‘महागठबंधन सरकार के साझा कार्यक्रम के संकल्प को दोहराते हुए सुशासन के कार्यक्रम (2015-20) निर्धारित किये गये हैं। सरकार के एक वर्ष पूरा होने के पूर्व ही सभी सात निश्चय को लागू कर योजनाओं का कार्यान्वयन प्रारंभ कर दिया है। महागठबंधन सरकार के प्रथम वर्ष के इस रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से सुशासन के कार्यक्रम के बिंदुओं से संबंधित विकास कार्य एवं उपलब्धियों को संकलित कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।’

दलों की पहचान का संकट
मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट कार्ड को महागठबंधन सरकार का साझा कार्यक्रम कहा है। 140 पन्नों के रिपोर्ट कार्ड में सरकार की उपलब्धियों का दावा किया गया है और आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं। लेकिन रिपोर्ट कार्ड ने नीतीश की मजबूरियों को भी उजागर कर दिया है। भाजपा के साथ नीतीश ने साढ़े साल सात तक शासन किया, लेकिन रिपोर्ट कार्ड के कवर पर एनडीए सरकार की रिपोर्ट कार्ड नहीं लिखा। यह अलग बात है कि नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के पूर्व 2005 में राज्यव्यापी न्याय यात्रा निकाली थी और उसे ही सत्ता में आने के बाद विकास से जोड़ दिया और सरकार का नारा दिया- न्याय के साथ विकास यात्रा।

 
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बदल गया थीम
लेकिन राजद और कांग्रेस के समर्थन और साझेदारी से बनी नीतीश कुमार की जदयू सरकार का थीम बदल गया है, नारा भी बदल गया। रिपोर्ट कार्ड में दो शब्दों पर ज्यादा फोकस किया गया है- सात निश्चय (नीतीश निश्चय) और सुशासन के कार्यक्रम। इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल सीएम अपने सभी संबोधनों में करते हैं। इसकी छाप भी रिपोर्ट कार्ड में है। रिपोर्ट कार्ड के हर पन्ने पर कम से कम एक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। तस्वीर के चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि योजनाओं के शुभारंभ, उद्घाटन या शिलान्यास के मौके पर सीएम की मौजूदगी नजर आए। कुछ तस्वीरों में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को फोकस किया गया है, जबकि अन्य मंत्रियों की तलाश मुश्किल हो गयी है। रिपोर्ट कार्ड पूरी तरह नीतीश कुमार पर केंद्रित है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को समायोजित करने का प्रयास किया गया है, ताकि अनदेखी का आरोप नहीं लगे।

रिपोर्ट कार्ड से गायब हैं राजद, जदयू व कांग्रेस
रिपोर्ट कार्ड में सभी विभागों की उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। विभागों के साथ ही सात निश्चय और सुशासन के कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है। 20 नवंबर को कानुपर रेल हादसे के कारण रिपोर्ट कार्ड का लोकार्पण स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 21 नवंबर को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट पर रिपोर्ट कार्ड को जारी कर दिया गया। इस बार रिपोर्ट कार्ड की प्रतियां भी कम छापी गयी हैं। इसकी वजह ऑनलाइन उपलब्धता बतायी गयी। रिपोर्ट कार्ड में महागठबंधन के तीनों का दलों के नाम की चर्चा नहीं है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि गठबंधन में कौन से दल शामिल हैं। सीएम ने अपने दो शब्द में लिखा है कि – ‘गत विधान सभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के उपरांत महागठबंधन सरकार का गठन हुआ।’ सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने बताया कि रिपोर्ट कार्ड में महागठबंधन को एकाकार करने की कोशिश की गयी है ताकि दलों की पहचान पर कोई विवाद खड़ा नहीं हो। इसी कारण राजद, जदयू और कांग्रेस के नामों की चर्चा के बजाय महागठबंधन सरकार जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

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