नई दिल्ली | महाराष्ट्र सरकार और रेल मंत्रालय के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में शासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, और पूरा प्रशासनिक ढांचा चरमरा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में नेतृत्व नाम की कोई चीज है ही नहीं, जिसका सीधा असर दिहाड़ी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने पर पड़ रहा है। रेल मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें निर्देश दिया है कि किसी भी तरह से दिहाड़ी मजदूरों की मुश्किलों को कम किया जाए। उन्होंने कहा, “आज शाम छह बजे तक 145 ट्रेनों में से 85 को रवाना किया जाना था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा यात्रियों के अरेंजमेंट नहीं किए जाने से सिर्फ 27 का ही परिचालन हो पाया है।”
रेल मंत्री ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि राज्य सरकार यात्रियों के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध करा रही है, जिसकी वजह से कई श्रमिक विशेष ट्रेनों का संचालन नहीं हो पा रहा है।
इससे पहले गोयल ने ट्वीट कर कहा था, “महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध पर हमने आज 145 श्रमिक विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की थी। ये ट्रेने सुबह से तैयार खड़ी हैं। मैं महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि यह सुनिश्चित करने में पूर्ण सहयोग दें कि परेशान प्रवासी श्रमिक अपने घर पहुंचे और श्रमिकों को समय पर स्टेशन पहुंचाया जाए, और विलंब न करें। इससे समूचा नेटवर्क और योजना प्रभावित होगी।”
गौरतलब है कि इससे पहले रेलवे ने 25 मई को महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों को निकालने के लिए 125 ट्रेनों की योजना तैयार की थी, लेकिन राज्य सरकार देर रात दो बजे तक सिर्फ 41 ट्रेनों के लिए ही जानकारी दे पाई थी।
रेलवे ने बताया कि 26 मई को महाराष्ट्र से जिन 145 श्रमिक ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई गई है, उनमें 68 ट्रेनें उत्तर प्रदेश, 27 बिहार, 41 पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड और केरल के लिए एक-एक ट्रेन और ओडिशा और तमिलनाडु के लिए दो-दो ट्रेन चलाने की योजना है।
— आईएएनएस
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