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पुराने संसद भवन में पीएम मोदी के आखिरी भाषण की खास बातें

 दिल्ली ( आईएएनएस)। पुराने संसद भवन में लोक सभा में अपना आखिरी भाषण देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर अपने पूर्ववर्ती पीएम मनमोहन सिंह के योगदान को सराहा। पिछले 75 वर्षों में दोनों सदनों को मिलाकर 7,500 के लगभग जनप्रतिनिधि (सांसद), जिसमें 600 के लगभग महिला जनप्रतिनिधि भी शामिल रही है, के योगदान की तारीफ की।

साथ ही पीएम मोदी ने संसद भवन के कर्मचारियों और मीडिया के योगदान की भी सराहना की, आज इस ऐतिहासिक भवन ( पुराने संसद भवन) से विदा लेने को भावुक पल बताया और साथ ही संसद के नए भवन में भारत के लोकतंत्र की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने की कामना भी की।

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें 

Prime Minister Narendra Modi addresses the media And Union Ministers Pralhad Joshi, Jitendra Singh, Arjun Ram Meghwal and V Muraleedharan on the first day of the special session of Parliament, in New Delhi, Monday, Sept. 18, 2023. are also seen.(Photo : Hamid Ali)

देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले, उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है।

— ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा हमारे देशवासियों का लगा था। हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।

— 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है और इस सदन के सभी सदस्यों ने उसमें सक्रियता से योगदान दिया है।

— अमृतकाल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास, नई उमंग, नए सपने, नए संकल्प और राष्ट्र का नया सामर्थ्य उसे भर रहा है। आज चारों तरफ भारतवासियों की उपलब्धि की चर्चा गौरव के साथ हो रही है।

— चंद्रयान-3 की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है। इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान, तकनीक, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है, वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है।

— जी-20 की सफलता किसी व्यक्ति या दल की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है। भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन जी20 का स्थाई सदस्य बना।

— हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत ‘विश्व मित्र’ के रूप में अपनी जगह बना पाया है। आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है।

— इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है।

— दुनिया भर में लोग भारत की उपलब्धियों की तारीफ कर रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता भारत की क्षमता का एक नया पक्ष दर्शाती है जो नवाचार, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और हमारे वैज्ञानिकों की क्षमताओं से संबंधित है।

— जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था।

— मैं कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है और भारत के सामान्य मानव की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा का प्रतिबिंब है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब परिवार का बच्चा पार्लियामेंट में पहुंच गया। प्रारंभ में यहां महिलाओं की संख्या कम थी। लेकिन धीरे-धीरे माताओं, बहनों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है।

— करीब-करीब 7,500 से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है।

— आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन और सदन के सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं, आज मैं उनको भी नमन करता हूं। वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है।

— आज भारत विश्वमित्र के रूप में पहचाना जा रहा है! पूरी दुनिया भारत को मित्र के रूप में देख रही है; इसका मुख्य कारण वेदों से लेकर विवेकानन्द तक की हमारी संस्कृति है। ‘सबका साथ सबका विकास’ का मंत्र हमें दुनिया को एकजुट करने में मदद कर रहा है।

— आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं। एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है।

— ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी।

— हमारे शास्त्रों में माना गया है कि किसी एक स्थान पर अनेक बार जब एक ही लय में उच्चारण होता है तो वह तपोभूमि बन जाता है। नाद की ताकत होती है, जो स्थान को सिद्ध स्थान में परिवर्तित कर देती है। मैं मानता हूं कि इस सदन में 7,500 प्रतिनिधियों की जो वाणी यहां गूंजी है, उसने इसे तीर्थक्षेत्र बना दिया है। लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति आज से 50 साल बाद जब यहां देखने के लिए भी आएगा तो उसे उस गूंज की अनुभति होगी कि कभी भारत की आत्मा की आवाज यहां गूंजती थी।

— आज़ादी के बाद के दौर में कई विद्वान लोगों ने भारत के बारे में तरह-तरह की चिंताएँ उठाईं। उन्होंने इस बात पर आशंका जताई कि क्या भारत आगे बढ़ पाएगा या नहीं, क्या यह एकजुट रहेगा या नहीं, क्या भारत में लोकतंत्र बचेगा या नहीं। लेकिन ये इसी संसद की ताकत है कि दुनिया को गलत साबित कर दिया गया। तमाम शंकाओं और अंधकार के बावजूद भारत फला-फूला।

— बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था, इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था, और इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का एहसास कराते हुए लोकतंत्र की वापसी भी देखी थी।

— सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषय और उनका समाधान भी इसी सदन में हुआ। धारा 370 इसी सदन ने हटाया, यह हमेशा याद रखेगा। वन नेशन वन टैक्स, जीएसटी का निर्णय भी इसी सदन ने किया। ‘वन रैंक, वन पेंशन’ भी इसी सदन ने देखा। गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बिना किसी विवाद के इसी सदन में हुआ।

 

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