ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी अवामी लीग पार्टी के 71वें स्थापना दिवस पर देशवासियों, पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों को बधाई देते हुए कहा कि देश में कोई भी गरीब या बेघर नहीं रहेगा।
अवामी लीग की अध्यक्ष हसीना ने सोमवार को संसद में कहा कि उनकी पार्टी हमेशा लोगों के कल्याण के लिए काम करेगी।
अवामी लीग के 71वें स्थापना दिवस पर एक अनिर्धारित चर्चा में शामिल होते हुए उन्होंने कहा, “राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुररहमान के लिए यह हमारी प्रतिबद्धता है कि हम हमेशा लोगों के कल्याण के लिए काम करेंगे।”
हसीना ने कहा, “इस दिन, हम प्रतिज्ञा ले रहे हैं कि हम देश को गरीबी और भुखमरी से मुक्त कर राष्ट्रपिता के ‘सोनार बांग्ला’ के सपने को साकार करेंगे।”
उन्होंने इस अवसर पर एक संदेश में बंगबंधु शेख मुजीबुररहमान, अवामी लीग के संस्थापक अध्यक्ष अब्दुल हमीद खान भसानी, महासचिव शम्सुल हक और हुसैन शहीद सुहरावर्दी को याद किया।
हसीना ने कहा कि लोकतंत्र की स्थापना के लिए 21 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद, 1996 में अवामी लीग ने सत्ता में वापसी की और देश को 2001 तक सफलतापूर्वक चलाया।
उन्होंने कहा कि अवामी लीग सरकार ने खाद्य-घाटे वाले बांग्लादेश को खाद्य-अधिशेष देश में बदल दिया, 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मान्यता दी गई और भारत के साथ गंगा के पानी के बंटवारे और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) शांति पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने दावा किया कि अवामी लीग सरकार के उस पांच साल के कार्यकाल को राष्ट्रीय इतिहास में गौरवशाली काल के रूप में याद किया जाएगा।
हसीना ने कहा कि इतिहास से बंगबंधु के नाम को मिटाने की कोशिशें हुई थीं ‘लेकिन यह संभव नहीं था। सच्चाई को मिटाया नहीं जा सकता। राष्ट्रपिता शारीरिक रूप से हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनका अस्तित्व बांग्ला लोगों के दिलों में बना हुआ है..हमें उनकी इच्छा पूरी करनी होगी, हम भूख, गरीबी से मुक्त सोनार बांग्ला बनाएंगे।’
राष्ट्र के लिए अवामी लीग और उसके नेताओं के योगदान और बलिदानों को याद करते हुए हसीना ने कहा कि यह दिन देश के लिए बहुत खास है क्योंकि आजादी का जो सूरज पलासी की लड़ाई में नवाब सिराज-उद-दौला की हार के साथ डूब गया था, वह 23 जून 1949 को ढाका के रोज गार्डन में अवामी लीग के गठन के साथ फिर उदित हुआ। देश ने पार्टी के नेतृत्व में 1971 में स्वतंत्रता हासिल की।
–आईएएनएस
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