भोपाल। मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में डाक मतपत्रों का मामला राज्य की राजधानी से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक गर्माया हुआ है। कांग्रेस इस मामले में सीधे तौर पर बालाघाट के कलेक्टर गिरीश मिश्रा को न केवल घेर रही है बल्कि उनके निलंबन की मांग पर जोर दे रही है।
ज्ञात हो कि सोमवार की शाम को एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कई कर्मचारी एक कार्यालय के भीतर थे, जिसे स्ट्रांग रूम बताया गया और डाक मतपत्रों की गिनती किए जाने का आरोप लगा। इस मामले में एक अधिकारी को निलंबित किया गया, वहीं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने माना कि तय समय से पहले स्ट्रांग रूम को खोला गया। इसी के चलते एक अधिकारी पर कार्रवाई हुई है।
इसके बाद कलेक्टर गिरीश मिश्रा का बयान आया, जिसमें उन्होंने स्ट्रांग रूम खोलने की जानकारी न होने की बात कही, जबकि कांग्रेस के बालाघाट के एक नेता ने बाद ने माना कि वे शुरू में कुछ भ्रमित थे मगर बाद में प्रशासन की कार्रवाई से संतुष्ट हैं, क्योंकि डाक मतपत्रों की गिनती नहीं हुई बल्कि उनकी गड्डी बनाई गई थी। दूसरी ओर इस मामले पर कांग्रेस का रवैया आक्रामक है, एक दल ने दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात कर इस मामले की शिकायत की, भोपाल में कांग्रेस ने एक शिकायत राज्य निर्वाचन के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जे.पी. धनोपिया ने मप्र निर्वाचन आयोग को एक फिर एक शिकायत सौंपते हुए कहा कि 27 नवम्बर को गुरुनानक जयंती का अवकाश होने के बावजूद जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर बालाघाट डॉ. गिरीश मिश्रा के निर्देश पर कर्मचारियों द्वारा बालाघाट में पोस्टल वोट से संबंधित स्ट्रांग रूम को खोलकर पोस्टल वोट्स के साथ छेड़छाड़ करने का अनुचित कार्य किया गया, जिसका जागरूक कार्यकर्ताओं द्वारा वीडियो बनाकर वायरल किया गया।
धनोपिया ने कहा कि आगामी 3 दिसम्बर को मतगणना होना नियत है, लेकिन कलेक्टर द्वारा 27 नवम्बर को ही बालाघाट जिले की समस्त विधानसभाओं के पोस्टल वोट जो कि स्ट्रांग रूम में रखे हुये थे, के साथ छेड़छाड़ की गई। कलेक्टर के निर्देश पर किया गया उक्त कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। नोडल अधिकारी को निलंबित किया गया तथा कलेक्टर जो कि सभी गतिविधियों के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होने के बावजूद उन्हें बचाने का कार्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं कलेक्टर के विरूद्ध की गई शिकायत को संबंधित कलेक्टर को जांच दे दी गई, इससे जाहिर होता है कि पोस्टल वोट के साथ हुई छेडछाड को गंभीरता से नहीं लिया गया है।
–आईएएनएस
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