पटना बिहार में जदयू के एनडीए से बाहर होकर महागठबंधन के साथ चले जाने के बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई। सात दलों के सहयोग से महागठबंधन की सरकार बन जाने के बाद विपक्ष में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बच गई है। ऐसे में अब भाजपा अपने कुनबे को बढ़ाने में जुट गई है। यही कारण है कि भाजपा अब अपने पुराने साथी चिराग पासवान को साथ लाने की जुगत में है।
वैसे, माना जाता है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की नजदीकियां भाजपा से पुरानी हैं। भाजपा से अलग होने के बावजूद चिराग भाजपा के खिलाफ ज्यादा मुखर नहीं रहे हैं।
भाजपा भी जानती है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और राजद के साथ आने के बाद बिहार की सियासत में परेशानी बढ़ी है।
भाजपा को एहसास है कि जब भी भाजपा, राजद और जदयू में दो दल साथ होते हैं तो उन्हें लाभ मिलता है, ऐसे में भाजपा भी चिराग के जरिए एक मजबूत सहयोगी चाह रही है।
सूत्र बताते हैं कि इसके लिए भाजपा ने एक से दो सांसदों को इसकी जिम्मेदारी भी दे दी है। सूत्र तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि नीतीश के एनडीए से बाहर जाने के बाद चिराग के एनडीए में लौटना बड़ी बाधा नहीं है। हालांकि चिराग की शर्त है कि फिर से नीतीश कुमार किसी भी परिस्थिति में एनडीए में नहीं आए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी लोजपा दो धड़ों में बंट गई है। लोजपा का एक गुट राष्ट्रीय लोजपा के प्रमुख पशुपति कुमार पारस फिलहाल एनडीए में हैं और केंद्र में मंत्री हैं।
भाजपा चाहती है कि लोजपा का दोनो गुट एनडीए के साथ रहे। वैसे, यह माना जाता है कि लोजपा का वोट बैंक चिराग पासवान के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में भाजपा की नजर चिराग पर गड़ी हुई है।
बिहार एनडीए से मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी पहले ही बाहर हो चुकी है। जदयू के एनडीए से बाहर होने के बाद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी महागठबंधन के साथ हो गई है।
भाजपा और लोजपा के नेता इस मामले में हालांकि खुलकर बहुत कुछ नहीं बोल रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर हालांकि इतना जरूर कहते हैं कि चिराग पासवान राष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए के प्रत्याशी का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने कहा हर गठबंधन अपने आकार को बढ़ाना चाहता है।
–आईएएनएस
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