उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर हथियार वैक्सीन है। आज पूरे विश्व की सरकारें अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने में युद्धस्तर पर जुटी हुई है, दिल्ली में भी दिल्ली सरकार ने वैक्सीनेशन कार्यक्रम के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की। दिल्ली में 18-45 आयुवर्ग के लिए 400 और 45+ आयुवर्ग के लिए 650 वैक्सीन सेंटर स्थापित किए गए लेकिन केंद्र की बदइंतजामी और वैक्सीन की कमी से दिल्ली में युवाओं के लिए शुरू किए गए केंद्रों को बंद करना पड़ा है साथ ही 45+ आयुवर्ग के लोगों के लिए वैक्सीन की कमी से कोवैक्सीन के सेंटर बंद करने पड़े है। ये हाल दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देश में है कई राज्यों के कई जिलों में वैक्सीन न मिलने से युवाओं के लिए केंद्रों की शुरुआत भी नहीं कि गई है।उपमुख्यमंत्री ने कहा कि वैक्सीन की कमी होने के कारण आज भारत कोरोना की इतनी मार झेल रहा है इसके लिए केवल केंद्र सरकार जिम्मेदार है। क्योंकि केंद्र सरकार वैक्सीन मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल हो चुकी है। जब दिल्ली सरकार ने केंद्र से युवाओं के लिए वैक्सीन मांगी तो केंद्र ने सिर्फ 4 लाख वैक्सीन देकर बोला कि बाकी वैक्सीन के लिए फाइजर, मोडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों के साथ ग्लोबल टेंडर जारी करो। जब दिल्ली सरकार ने वैक्सीन के लिए इन कंपनियों से बात की तो जबाब मिला कि वे केवल केंद्र से वैक्सीन को लेकर डील करेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत के वैक्सीनेशन कार्यक्रम का मज़ाक बना रखा है। केंद्र सरकार को इस संकट को लेकर गंभीरता से कदम उठाना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशों में जो वैक्सीन सफल साबित हो रही है केंद्र ने अबतक भारत में उन वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने दिसंबर 2020 में ही फाइजर, मोडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन को मंजूरी दे दी थी। लेकिन भारत में अबतक इनमें से किसी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी गई। रूस ने भी अगस्त 2020 में ही स्पुतनिक को मंजूरी दे दी थी और दिसंबर में अपने यहां मास-वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू कर दिया। आज 68 देशों ने स्पुतनिक वैक्सीन को मंजूरी दे रखी है लेकिन केंद्र सरकार की नींद महीनों बाद खुली है और अप्रैल 2021 में जाकर भारत सरकार ने स्पुतनिक को मंजूरी दी।
ब्रिटेन ने भी फाइजर को दिसंबर में मंजूरी दे दी और 85 अन्य देश फाइजर को अपने यहां मंजूरी दे चुके है लेकिन भारत में इसे मंजूरी नहीं मिली है। भारत के अलावा मोडर्ना को 46 देशों ने और जॉनसन एंड जॉनसन को 41 देशों ने मंजूरी दी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने भारत में वैक्सीनेशन कार्यक्रम को मजाक बना रखा है। एक ओर केंद्र राज्यों को वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर लाने के लिए कहती है दूसरी ओर विदेशी वैक्सीन को भारत में मंजूरी नहीं देती है। उन्होंने कहा कि जब पूरा विश्व ने वैक्सीन के उत्पादन पर नज़र बनाए रखा था और वैक्सीन के लिए एडवांस आर्डर कर दिया था उस दौरान केंद्र सरकार गहरी नींद में सो रही थी। एक आंकड़े के अनुसार नवंबर 2020 तक अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने अपने लिए 70 करोड़ वैक्सीन का आर्डर दे दिया था। आज अमेरिका के पास अपने सभी नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन है। ब्रिटेन के पास भी जनवरी में ही अपनी 75% आबादी के लिए वैक्सीन उपलब्ध था। लेकिन केंद्र सरकार अपने लोगों को वैक्सीन उपलब्ध करवाने की जगह उसका निर्यात करने में लगी रही।
नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा किया उसके बाद से अप्रैल तक सरकार की ओर से SII को कोई फण्ड नही दिया गया। और आज जब देश में राज्य वैक्सीन की मांग कर रहे है तो भाजपा के लोग ऊटपटांग बयान देते है। उपमुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि भारत के वैक्सीनेशन कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए गंभीरता से कदम उठाए। और एक जिम्मेदार सरकार की भूमिका निभाकर विदेशी वैक्सीनों को मंजूरी दे और राज्यवार राजनीति से ऊपर उठे।
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