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ममता के ब्राह्मण कार्ड खेलने पर भाजपा ने पूछा, क्या रोहिंग्याओं का गोत्र भी शांडिल्य है

कोलकाता| पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए प्रचार बंद होने से पहले से ममता बनर्जी ने मतदाताओं को लुभाने के लिए नंदीग्राम में गोत्र कार्ड खेला। उन्होंने नंदीग्राम में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनका गोत्र शांडिल्य है, जिसके बाद चुनावों के बीच राज्य में राजनीति गर्मा गई है। ऐसे समय में जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी हिंदुत्ववादी छवि के साथ ऐसे राज्य को जीतने के लिए प्रयासरत है, जहां उसे पहले कभी जीत नहीं मिली है, अब ममता दीदी भी बंगाली गौरव के साथ प्रचार अभियान में हिंदू ब्राह्मण का कार्ड खेल रही हैं।

ममता को हर प्रकार से चुनावी लाभ हो सके, इसलिए उनकी हिंदू ब्राह्मण पहचान को आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में दूसरे दौर के बीच तेज गति से बढ़ाया जा रहा है। ममता हाईप्रोफाइल नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां उनका मुकाबला उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी से है।

भाजपा ने ममता की टिप्पणी पर पलटवार किया और कहा कि इससे पता चलता है कि हार निश्चित है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ममता हताशा में अपने गोत्र की घोषणा कर रही हैं।

सिंह ने कहा, “मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मेरा गौत्र क्या है, क्योंकि मैं इसे लिखता हूं। लेकिन वह चुनाव हारने के डर से कह रही हैं। ममता बनर्जी, कृपया मुझे बताएं कि क्या रोहिंग्या और घुसपैठिए भी शांडिल्य गोत्र के हैं? उनकी हार निश्चित है।”

गिरिराज सिंह के जवाब में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया, “केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि ममता का गोत्र रोहिंग्याओं का है। हमें इस पर गर्व है। ये चुटियावाले राक्षस गोत्र से तो वे कहीं बेहतर हैं।”

पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल को मतदान है, लेकिन उससे पहले ही गोत्र को लेकर बंगाल की सियासत गर्म हो गई है। ममता बनर्जी ने जहां मंगलवार को अपना गोत्र बताया था, जिसके बाद गिरिराज सिंह से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक ने बयान दे डाला है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा है कि आखिर उन जैसे नेता क्या करें जो शांडिल्य नहीं हैं और जनेऊधारी भी नहीं हैं।

ओवैसी ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा, “मेरे जैसे लोगों को क्या होना चाहिए, जो शांडिल्य या जनेऊधारी नहीं हैं, देवताओं के भक्त नहीं हैं, चालीसा या किसी चीज का पाठ नहीं करते हैं? हर पार्टी को लगता है कि उसे जीतने के लिए अपनी हिंदू साख दिखानी होगी। अनैतिक, अपमानजनक। ..और यह सफल भी नहीं होगा।”

दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ममता बनर्जी ने एक रैली में अपना गोत्र बताया था। उन्होंने कहा था कि उनका गोत्र शांडिल्य है, लेकिन उन्होंने कई जगह मां-माटी-मानुष बताया है।

मुख्यमंत्री ने कहा था, “दूसरे चरण के लिए प्रचार के दौरान मैंने एक मंदिर गई, जहां पर पुजारी ने मुझसे मेरा गोत्र पूछा। मैंने उन्हें मां-माटी-मानुष बताया। यह मुझे उसकी याद दिलाता है, जब मैं त्रिपुरा के त्रिपुरेश्वरी मंदिर गई थी और वहां पर भी पुजारी ने मुझसे मेरा गोत्र पूछा था। उस दौरान भी मैंने मां-माटी-मानुष ही बताया था। वास्तव में मेरा गोत्र शांडिल्य है।”

–आईएएनएस

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