नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शनिवार को विकलांगों के सशक्तिकरण के लिए उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने के लिए महाराष्ट्र राज्य विकलांग वित्त एवं विकास महामंडल को दिव्यांगजन राष्ट्रीय पुरस्कार से पृरस्कृत किया। साथ ही इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले राज्य के 7 व्यक्तियों और 4 संस्थाओं को भी सन्मानित किया ।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से ‘अंतरर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय दिव्यांगजन पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया था। समारोह में राष्ट्रपति द्वारा देश की विकलांगों के सशक्तिकरण के लिए उत्कृष्ट उपलब्धियां और कार्य करने वाले 78 व्यक्तियों तथा संस्थाओं को सन्मानित किया गया। यह पुरस्कार 14 श्रेणियों में प्रदान किए गए। इस मौके पर महाराष्ट्र राज्य विकलांग वित्त एवं विकास महामंडल को प्राप्त पुरस्कार राज्य के सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले ने स्वीकार किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, केन्द्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले, कृष्णपाल गुर्जर तथा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव एन एस भांग मौजूद थे।
महाराष्ट्र राज्य विकलांग वित्त विकास महामंडल की ओर से प्रदेश के बेरोजगार विकलांग युवकों को स्वयंरोजगार शुरु करने के लिए अल्प दर पर ब्याज उपलब्ध कराने के साथ उन्हे कौशल विकास प्रशिक्षण देने का भी प्रभावी कार्य किया गया है। कर्ज मुहैया कराने की प्रक्रिया ऑनलाइन कराई गई। इसका परिणाम यह हुआ कि महामंडल के कर्ज वसूली में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। विभाग की ओर से गत 2 साल में 3 हजार से भी ज्यादा लोगों को कर्ज वितरित किया गया है। ऋण देने में पारदर्शिता बरतने के लिए राज्य में लाभार्थी मूल्यांकन परीक्षण लागू कराया गया है।
अल्प दृष्टि श्रेणी में लातुर जिले के अहमदपुर के रहने वाले गजानन बेलाले को राष्ट्रीय पुरस्कार से सन्मानित किया गया। बेलाले राज्य सरकार के उद्योग निदेशालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत है। बेलाले की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग विभाग की योजनाओं का प्रभावी रुप से क्रियान्वयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नागपुर के डॉ. महमंद इर्फानुर रहिम को चलन-वलन दिव्यांग श्रेणी में उल्लेखनीय कार्य के लिए सन्मानित किया गया। कमर के निचले भाग से पूरी तरह विकलांग डॉ. रहिम ने यहां के डागा स्मृति अस्पताल में वैद्यकीय अधिकारी के पद पर कार्रत है। उनके उल्लेखनीय कार्य को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भी उनका 2007 में उत्कृष्ठ कर्मचारी पुरस्कार से सन्मानित किया है। इसी तरह नागपुर की राधा बोर्डे (इखनकर) को देश की सर्वोत्तम दिव्यांग व्यक्ति की (गैर-व्यवसायिक) श्रेणी में सन्मानित किया गया। बोर्डे ने विकलांग व्यक्तियों के लिए दो कौशल विकास संस्थाए भी स्थापित की है। साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालय में मराठी विषय पढ़ाती है।
बहु विकलांग श्रेणी में पुणे के निशाद शहा को पुरस्कृत किया गया। बौद्धिक व श्रवण बहु विकलांगता होने के बावजुद उन्होने स्वयंरोजगार का रास्ता चुना। सड़क किनारे रुमाल, टोपी, मोजे बेचकर उदरनिर्वाह चलाने वाले शहा विकलांग लोगों के अधिकारों के लिए ‘जानिव संगठन’ के माध्यम से लड़ाई लढ़ रहे है। पुणे की ही अश्विनी मेलवाने को कर्ण बधिर की श्रेणी में सन्मानित किया गया। अपनी विकलांगता पर मात करते हुए अश्विनी ने फैशन स्टाइलिस्ट, सलाहकार, उद्योजक तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अश्विनी ने देश-विदेश स्तर पर आयोजित फैशन शो में भी भाग लिया है। मुंबई की योगिता तांबे को दिव्यांगत्व के साथ सर्जनशिल वरिष्ठ व्यक्तियों की श्रेणी में सन्मानित किया गया। नागपुर की रहने वाली और अब दिल्ली में स्थित देवांशी जोशी को सर्वोत्तम दिव्यांग कर्मचारी के लिए सन्मानित किया गया।
विकलांगों के सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाली राज्य की चार संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया। इसमें सेरेब्रल पाल्सी बिमारी से पीडित व्यक्तियों के लिए कार्य करने वाली लातुर की जनकल्याण समिति, सातारा जिले महाबलेश्वर में स्थित सनराईस कैन्डल्स, मुंबई विधिमंडल इलाके में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा, मुंबई के कुर्ला(पश्चिम) इलाके में स्थित एजीस लिमिटेड का समावेश है।
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