नई दिल्ली : ‘मानवाधिकार किसी भी समाज का अहम अंग हैं। लेकिन चिंता की बात है कि मानवाधिकारों को लेकर अभी भी जागरूकता की कमी है। ऐसे में जब युवा पीढ़ी इस दिशा में प्रयास करती दिखती है, तो खुशी भी होती है और भरोसा भी बढ़ता है।’ भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने गुरुवार को यह बात कही। केंद्रीय मंत्री आठवले राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन (एनएचआरओ) द्वारा राजधानी दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित आजाद भारत कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। एनएचआरओ के प्रेसिडेंट रवि जायसवाल, वाइस प्रेसिडेंट चंदन झा, जनरल सेक्रेटरी गौतम कुमार और कोषाध्यक्ष शिव शंकर चौधरी ने केंद्रीय मंत्री आठवले का सम्मान किया।
बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे केंद्रीय मंत्री आठवले ने मानवाधिकारों की दिशा में जागरूकता लाने के लिए एनएचआरओ की ओर से उठाए जा रहे कदमों की सराहना की। कार्यक्रम के दौरान एनएचआरओ की पत्रिका द राइट्स गैजेट का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा, ‘मानवाधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह पत्रिका एक अच्छा प्रयास है। इससे न केवल समाज में मानवाधिकारों को लेकर मौजूद चुनौतियों का पता चलेगा, बल्कि लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर जागरूक भी होंगे।’ उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के लोगों द्वारा मानवाधिकारों पर चिंतन और चर्चा से समाज में सकारात्मक बदलाव की तस्वीर बनेगी।
कॉन्क्लेव के दौरान प्रतिष्ठित हस्तियों ने अलग-अलग सत्रों में पैनल चर्चा में देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर व्यापक विमर्श किया। आजादी से पहले और आजादी के बाद मानवाधिकारों को लेकर आए बदलाव चर्चा का केंद्र रहे। सभी पैनलिस्ट इस बात पर एकमत दिखे कि देश में पहले की तुलना में मानवाधिकारों को लेकर व्यापक जागरूकता आई है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। इस मौके पर नेहरु युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल दिलावर सिंह, सरिता द्विवेदी, मीनाक्षी पाहुजा, एनएचआरओ के संरक्षक अब्दुल ताहिर और मेंटर शुभ्रो रॉय समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।
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