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मायावती

मायावती : प्रवासी मज़दूरों की व्यथा के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जिम्मेदार हैं

नई दिल्ली: 

बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज मीडिया वार्ता में कहा कि जब देश के
करोड़ों प्रवासी मजदूर/श्रमिक कोरोना महामारी लाॅकडाउन से उत्पन्न नई अव्यवस्थाित परिस्थ्तिि के कारण गरीबी व बेरोजगारी से बहुत ही दयनीय व दुदर्शा में है तथा अपने मूल राज्य पहुँचकर भी सरकारी उपेक्षाओं के कारण काफी बुरी तंग हालत में हैं, तो ऐसे में इनको लेकर कांग्रेस व बीजेपी तथा इनकी सरकारों को भी एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप
व घिनौनी राजनीति बन्द करके इन भूखे लाचार मजबूर लोगों की हर प्रकार से मदद के लिए आगे आना चाहिए वरना देश इन पार्टियों को कभी भी माफ करने वाला नहीं है।

देश में जारी लाॅकडाउन के आज 61वें दिन प्रवासी श्रमिकों की व्यथा/त्रासदी की लगातार खबरों/तस्वीरों के मद्देनजर अपनी गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए सुश्री मायावती जी ने प्रेसवार्ता में कहा कि वैसे तो अचानक घोषित किए गए लाॅकडाउन (देश में तालाबन्दी) के कारण समाज का हर वर्ग काफी ज्यादा दुःखी व परेशान है तथा हर तरफ तंगी, गरीबी व बेरोजगारी की भरमार एवं अफरातफरी है, लेकिन इस लाॅकडाउन से सबसे अधिक वे करोड़ो प्रवासी मजदूर/श्रमिक परिवार परेशान हैं जो अपने शहरों में स्थानीय स्तर पर रोजी-रोटी केअभाव में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूसरे राज्यों में मजबूरी में पलायन कर गए थे।

लगातार बढ़ते लाॅकडाउन के दौरान इन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता आदि नहीं मिलने के कारण इनके सामने भुखमरी की समस्या जब आने लगी तब मजबूर होकर इन्हें पैदल, साइकिल, रिक्शा आदि पर जैसे-तैसे करके हजारों किलोमीटर दूर सड़क से अपने घर वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। लाॅकडाउन से पहले अगर सरकार इन्हें 9-10 दिन का थोड़ा समय दे देती तो ये लोग अपनी व्यव्स्था खुद करके अपनी जान किसी प्रकार से बचाने का प्रयास करते। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और ना ही सरकार द्वारा उन कारोबारियों की उस समय कोई मदद की गई जिनके माध्यम से इन्हें प्रदेशों में रोजगार मिल रहा था अर्थात मजदूर व इनके नियोक्ता दोनों को सरकारों ने अपने बुरे हाल पर छोड़ दिया जिस कारण प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ सभी छोटे उद्योग-धंध भी चैपट हो गए व देश की अर्थव्यवस्था भी काफी दयनीय हालत् में आ गई है।

इन प्रवासी मजदूरों की दुदर्शा के मद्देनजर तथा हमारी लगातार माँग पर जब सरकार ने स्पेशल बस व रेल सेवा आदि शुरू की वह भी आज लाॅकडाउन के 61वें दिन भी प्रवासी लोगों की समस्या का समाधान पूरी तरह से नहीं कर पाई है। यह अति-दुःखद व बहुत चिन्तित करने वाली बात है, लेकिन इसपर भी कांग्रेस व बीजेपी द्वारा घिनौनी राजनीति की जा रही है। तो फिर ऐसे में अन्ततः मुझे मजबूरी में कांग्रेस व बीजेपी से बोलना पड़ा कि ये दोनों पार्टियाँ प्रवासी मजदूरों की व्यथा पर आरोप-प्रत्यारोप व घिनौनी राजनीति न करें और इसी क्रम में मैंने बताया कि इन करोड़ों प्रवासी मजदूरों का खासकर यूपी व बिहार से पलायन तब
हुआ था जब आजादी के बाद के लम्बे वर्षों में केन्द्र व राज्यों में कांग्रेस पार्टी का ही एकछत्र राज हुआ करता था और इस दौरान लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार की व्यवस्था कांग्रेस पार्टी सरकार नहीं कर पाई थी और फिर उन्हें मजबूरी में पलायन करना पड़ा।

इन प्रवासी श्रमिकों में समाज के हर वर्ग के लोग हैं लेकिन इनमें दलित, आदिवासी, पिछड़े, अक्लियत व अपरकास्ट समाज के गरीब लोगों के साथ-साथ गरीब किसान परिवार के लोग की संख्या काफी अधिक हैं, जो यहाँ जिन्दगी के हर क्षेत्र में हमेशा सताए व पछाड़े गए लोग हैं, जिनकी दुदर्शा व शोषण आदि के खिलाफ बी.एस.पी. की दिनांक 14 अप्रैल सन् 1984 में स्थापना की गई और फिर इनके हक व इंसाफ के लिए कांग्रेसी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष किया गया।

इसीलिए देश के वर्तमान खराब हालात के मद्देनजर मुझे बोलना पड़ा कि प्रवासी मजदूरों की बद से बदतर होती जा रही स्थिति के लिए वर्तमान की केन्द्र व राज्यों की बीजेपी सरकारें जितने जिम्मेवार हैं, उससे कहीं ज्यादा कांग्रेस पार्टी इसके लिए जिम्मेदार है। लेकिन मेरी इस सत्य परन्तु कड़वी बात को भी राजनीतिक रंग देकर स्वार्थ की पूर्ति करने की कोशिश की गई और यह अफवाह उड़ाई गई है कि हम लोग बीजेपी से मिल गये हैं। इसपर  मेरा आज फिरसे स्पष्ट कहना है कि बी.एस.पी., कांगे्रस व बीजेपी जैसी विरोधी पार्टियों की तरह धन्नासेंठों के स्वार्थ व गरीब-विरोधी जातिवादी राजनीति नहीं करती है, बल्कि इसी प्रकार की राजनीति के विरूद्ध संघर्ष करने के लिए ही बी.एस.पी. की स्थापना की गई है जो इसके सम्मान व स्वाभिमान की राष्ट्रीय पहचान भी है।

बी.एस.पी. देश में कहीं भी छोटा या बडा कोई भी चुनाव कांग्रेस अथवा बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी। वैसे भी  .एस.पीका रिकार्ड है कि उसने आजतक कभी भी बीजेपी के साथ मिलकर कभी चुनाव नहीं लड़ा है। बीजेपी व कांग्रेस आदि जातिवादी व पूँजीवादी मानसिकता वाली पार्टियाँ हैं, जिनकी गलत नीतियों के कारण ही देश के गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अक्लियातों व अपरकास्ट समाज के गरीबों का अभी तक कुछ भी खास भला नहीं हो पाया हैं तथा उनका जीवन नरकीय बना हुआ है बल्कि इन लोगों के पलायन की व्यथा, दुःख-तकलीफ इतनी ज्यादा है कि वे लोग अपने ही देश में शरणार्थी बनकर जानवर जैसे बदतर जीवन जीने को मजबूर है।

दूसरे प्रदेशों का होने के कारण इन प्रवासी लोगों के साथ हमेशा ही उपेक्षापूर्ण बर्ताव किया गया, जो आज तक जारी है और हर तरफ देखने को मिल रहा है। सुश्री मयावती जी ने कहा कि इन बेसहारा मजलूम व मजबूर प्रवासी श्रमिकों के साथ खासकर कांग्रेस व बीजेपी सरकारों का रवैया आज भी वहीं उपेक्षा व तिरस्कार का ही बना हुआ है। यही कारण है कि इन पर गलत लांछन लगाया जा रहा है कि अपने गाँवों में लौटकर ये लोग इनके मूल राज्यों में कोरोना की बीमारी को बढ़ा रहे हैं। यह सरासर गलत व अनुचित है। वास्तव में कोरोना बीमारी बढ़ने के लिए प्रवासी श्रमिक कतई जिम्मेवार नहीं हैं बल्कि इसके लिए सम्बंधित राज्य सरकारें ही असली जिम्मेवार है। क्योंकि इन प्रवासी मजदूरों को जहाँ उनके गाँवों से दूर 14 दिन के लिए अलग-थलग रखा गया है वहाँ की व्यवस्था हर प्रकार से इतनी ज्यादा खराब व दयनीय है कि अच्छा आदमी भी बीमार पड़ जा रहा है। अपनी बात समाप्त करने से पहले सुश्री मायावती जी ने मुस्लिम भाईयों व बहनों आदि
सभी को ईद उल फ़ित्र की दिली मुबारकबाद व शुभकामनाये भी दी।

 

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