मुंबई: पुरस्कार समारोह में भाग लिए बिना पुरस्कार जीतने से लेकर भारतीय सिनेमा में नए प्रयोग करने तक अभिनेता-फिल्म निर्माता आमिर खान ने पिछले 30 वर्षो में न केवल सिने जगत के तय नियमों को तोड़कर अपना परचम लहराया, बल्कि उद्योग में हो रहे बदलाव पर भी उनकी नजर बनी रही।
उनका मानना है कि कुछ दशकों में भारतीय दर्शकों की सोच और समझ में काफी बदलाव आया है, जो सिने जगत के लिए काफी अच्छा है।
आमिर ने बुधवार को मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा, “मेरा मानना है कि पिछले 30 वर्षो में जब से मैं अभिनय जगत से जुड़ा हूं, दर्शकों की सोच और समझ बदली है। मैं जानता हूं कि अगर ‘जो जीता वही सिकंदर’ जैसी फिल्में आज बनाईं जाएं तो, बॉक्स ऑफिस पर हिट होंगी क्योंकि आज के दौर के दर्शक ऐसी ही फिल्में पसंद करते हैं। जब मैं फिल्म उद्योग में आया, तो मैं ऐसे प्रयोग करने वालों में अकेला ही था।”
उन्होंने कहा, “मैं ऐसी फिल्में करता था, जिन पर मुझे भरोसा था, लेकिन बाजार और कई अन्य लोग इस तरह कि फिल्मों पर विश्वास नहीं करते थे। कुछ ही लोग उसमें काम करते थे। मैं लगातार प्रवाह के विपरित दिशा में बह रहा था। अब समय बदल गया है। अब ऐसी फिल्मों को मुख्यधारा का सिनेमा कहा जाता है।”
—आईएएनएस
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