लखनऊ/नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अकाली दल-शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी(एसजीपीसी) के प्रतिनिधिमंडल ने 2014 में सहारनपुर गुरुद्वारा झड़प के संबंध में सिखों के खिलाफ उनके संज्ञान में लाए गए सिख समुदाय के सभी लंबित मुददों को हल करने का आश्वासन दिया तथा कहा कि किसी भी सिख किसान को पीड़ित नही होने दिया जाएगा।
यह आश्वासन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को दिया। अकाली दल के वरिष्ट नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
मीटिंग के बारे पत्रकारों को जानकारी देते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक माहौल में हुई , जिसमें विभिन्न विभागों के संबंधित अधिकारियों को भी मुख्यमंत्री ने बुलाया ताकि मौके पर ही सिखों की भलाई से संबंधित सभी मुददों के बारे सीधी प्रतिक्रिया मिल सके। सरदार बादल ने लंबित मामलों को हल करने के लिए विशेष रूचि लेने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह उत्तर प्रदेश में सिख समुदाय के मनोबल बढ़ाने का काम करेगा।
इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए सरदार बादल ने कहा कि हालांकि योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप से 2020 में अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर 2020 में सिखों द्वारा खेती की जा रही जमीन से सिखों के विस्थापन को रोका गया था, लेकिन कुछ मामलों में सिख किसानों को फिर से बेदखली के नोटिस जारी किए गए थे। मुख्यमंत्री ने धैर्यपूर्वक सुनने के बाद घोषणा की कि वह उत्तर प्रदेश में किसी भी सिख किसान यां पंजाबी को पीड़ित नही होने देंगें। उन्होने अकाली दल अध्यक्ष की इस बात से सहमति जताई कि सिख किसानों ने उस बर्जर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए खून-पसीने से मेहनत की थी। मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख से सभी मामलों की जांच करने के लिए कहा ताकि उन्हे सौहार्द्रपूर्ण ढ़ंग से हल किया जा सके। इन मामलों में मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ सर्कल में सिख किसानों को बेदखली नोटिस जारी करना शामिल है।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को यह भी अवगत कराया कि 2014 में सहारनपुर के एक गुरुद्वारे की जमीन को लेकर में दो समुदायों के बीच झड़प से संबंधित कुछ मामले अभी भी अनसुलझे हैं, जिनके प्रमुख सदस्यों के बीच मध्यस्ता की जाने के बाद यह तय किया गया था कि दोनों समुदायो के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ दर्ज केस वापिस ले लेंगें। इसने कहा कि कुछ मामले वापिस ले लिए गए और कुछ मामले बने रहे और इस मुददे का समाधान करने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की , जिस पर योगी आदित्यनाथ सहमत हो गए।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को 1991 के पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ के बारे में भी अवगत कराया, जिसमें पीएसी पुलिस कर्मियों ने तीर्थयात्रियों की बस को रोकने और पुरूष सदस्यों को उनके परिवारों से अलग कर उन्हे ‘मुठभेड़’ में मार दिया गया था। इसमें कहा गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में 43 पीएसी कर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उन्हे सात साल की सजा सुनाई थी। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सिख समुदाय ने महसूस किया कि इस मामले में कड़ी सजा दी जानी चाहिए क्योंकि निर्दोष लोगों को आंतकवादी कहकर मारा गया था। इसने यूपी सरकार से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने मामले को सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और मामले में न्याय सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
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