✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

राजस्थान के विधानसभा उपचुनाव में किसका पलड़ा भारी?

अर्चना शर्मा

जयपुर। राजस्थान की तीन विधानसभा सीटों पर 17 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव को दो साल बाद 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। इनके परिणाम सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड माना जा रहा है।

परिणाम के बाद साबित होगा कि तमाम फूट के बावजूद खुद को ‘एकजुट’ दिखाने की कोशिश कर रही कांग्रेस का असली चेहरा सामने आएगा तो दूसरी ओर इसके रिजल्ट बंटे हुए विपक्ष की वास्तविकता की जाँच भी होगी। जिन तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें शहादा, सुजानगढ़ और राजसमंद शामिल हैं।

कांग्रेस में गहलोत खेमा और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों एक साथ संयुक्त रूप से चुनाव प्रचार और चुनावी रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं। इसके जरिये कांग्रेस अपनी ओर से् ‘एकजुट चेहरा’ दिखाने में सफल रही है, तो दूसरी ओर बीजेपी खेमे की ओर से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ना तो चुनावी अभियानों में नजर आ रही हैं और ना ही नामांकन रैलियों में ।

कांग्रेस के सूत्रों ने इन खबरों की पुष्टि की है कि सचिन पायलट को गहलोत कैम्प में समायोजित किया गया है। इसका लाभ उपचुनाव में मिलने की संभावना है क्योंकि इन तीन सीटों में से दो सीटों पर गुर्जर समुदाय का प्रभाव है। बीजेपी के सूत्रों ने पुष्टि की कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जानबूझकर चुनावी अभियानों से दूरी बनाए हुए हैं।

हालांकि, बीजेपी की ओर से राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने सभी वरिष्ठ नेताओं से पूछा है कि वे पार्टी में कैसे योगदान दे रहे हैं।

कांग्रेस की ओर से एकजुट रहने की हकीकत का खुलासा उस वक्त हुआ जब मंगलवार को सुजानगढ़ में आखिरी मौके पर मंच पर सचिन पायलट की तस्वीर लगाई गई।

हालांकि, अभी भी कई सवाल ऐसे हैं जिनका समाधान नहीं हुआ है। मसलन राजस्थान में पिछले साल जुलाई में जो राजनीतिक संकट की स्थिति उप्पन्न हुई थी उसके बाद हाईकमान की ओर से पायलट खेमे के जितने भी मंत्रियों के विभाग छीने गए थे, उनको अपना पुराना विभाग गहलौत सरकार में हासिल नहीं हुआ है।

हालांकि पिछले साल जुलाई में पायलट खेमे के विधायकों को मंत्रालय में वापस करने के बायदे किए गए थे। इसके बावजूद पायलट कैम्प चुप्पी साधे हुए है।

दूसरी ओर वसुंधरा राजे के समर्थक मुखर हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर टीम वसुंधरा राजे 2023 नाम का एक ग्रुप सक्रिय है। इसकी ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि इन चुनावों में तमाम पोस्टरों से वसुंधरा राजे की तस्वीरें गायब क्यों हैं। हालांकि, बीजेपी नेताओं का दावा है कि पोस्टर के लिए एक प्रोटोकॉल है।

उनका कहना है कि पीएम और पार्टी अध्यक्ष की तस्वीरें हर जगह लगाई जाती हैं, उसके बाद सीएम / राज्य अध्यक्ष / नेता प्रतिपक्ष के पोस्टर लगाए जाते हैं। ऐसे में इस मसले पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।

–आईएएनएस

About Author