नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर शोक जताया। कोविंद ने शोक जताते हुए ट्वीट कर कहा, “कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। हमारे देश ने एक आध्यात्मिक नेता और सामाजिक सुधारक खो दिया है। मेरी संवेदनाएं उनके असंख्य शिष्यों और अनुयायियों के साथ हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने शंकराचार्य के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शोक जताया।
मोदी ने ट्वीट कर कहा, “श्री कांची कामकोटि पीठ के आचार्य जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन पर गहरा दुख हुआ। वह अपनी अनुकरणीय सेवा और नेक विचारों की वजह से लाखों भक्तों के दिलो-दिमाग में जीवित रहेंगे। उनकी आत्मा को शांति मिले।”
मोदी ने कहा, “जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य असंख्य सामुदायिक अभियानों के अगुवा थे। उन्होंने गरीबों और वंचितों के जीवन में बदलाव लाने वाले संस्थानों का विकास किया।”
राहुल गांधी ने कहा कि वह कांची शंकराचार्य के निधन की खबर सुनकर दुखी हैं।
राहुल ने ट्वीट कर कहा, “मैं कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं।”
राहुल ने कहा, “उन्हें दुनियाभर में उनकी शिक्षाओं के लिए लाखों भक्तों द्वारा पूजा गया। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री एल.के. आडवाणी ने शोक जताते हुए कहा कि उन्होंने बाबरी मस्जिद विवाद पर हिंदू और मुसलमान समुदायों के बीच कटुता को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आडवाणी ने लिखित संदेश में कहा, “मुझे जयेंद्र सरस्वती स्वामी जी को बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में राजग-1 के कार्यकाल के दौरान जब मैं गृहमंत्री था, हमारा संबंध मजबूत हुआ।”
उन्होंने कहा, “स्वामी जी ने सौहार्दपूर्ण तरीके से अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए मुसलमान समुदाय के विभिन्न धार्मिक और सामाजिक नेताओं के साथ सक्रिय रूप से चर्चा शुरू की। इस वार्ता ने हिंदू और मुसलमान समुदायों के बीच आपसी विश्वास और सद्भावना बढ़ाने में मदद की।”
–आईएएनएस
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