नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व प्रमुख विक्रम सिंह की उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने कोरोनावायरस महामारी के दौरान किए गए छोटे-मोटे अपराधों और लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने पर दर्ज 75,000 एफआईआर को निरस्त करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने सिंह के वकील से पूछा, “आप चाहते हैं कि कोई एफआईआर नहीं होनी चाहिए और आईपीसी की धारा 188 को नहीं लगाना चाहिए..फिर लॉकडाउन को कैसे लागू किया जा सकता है।”
पीठ ने आश्चर्य जताया कि इस तरह की याचिकाएं कैसे आ जाती हैं। सिंह ने पीआईएल में आईपीसी की धारा 188 के तहत दर्ज 75,000 एफआईआर और कोविड-19 लॉकडाउन के तहत नियमों के उल्लंघन के मामलों को निरस्त करने की मांग की थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि यह व्यक्ति फील्ड में रहा है और इन्हें अनुभव भी है।
अधिवक्ता ने कहा, “बात यह है कि हमारे पास ऐसा कोई काननू नहीं हो सकता है, जो चयनात्मक हो। आपके पास उनके लिए कोई कानून नहीं हो सकता है, जिन्हें चार्टर विमानों से यात्रा करनी है।”
न्यायमूर्ति कौल ने इसपर कहा, “मैं इसमें एक एजेंडा देख सकता हूं।” इसके बाद अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कानून एफआईआर करने की इजाजत नहीं देता है, क्योंकि एनडीएमए कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने पीठ से कहा कि प्रवासियों और एटीएम से पैसे निकालने वालों तक के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
–आईएएनएस
और भी हैं
डालमिया उद्योग 3000 करोड़, महान एनर्जन लिमिटेड 2500 करोड़, अल्ट्राटेक सीमेंट 3000 करोड़ तथा पतंजलि आयुर्वेद 1000 करोड़ रूपये का करेगा निवेश
इंदौर को मिला सर्वश्रेष्ठ जिले का राष्ट्रीय जल पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने किया सम्मानित
रीवा एयरपोर्ट से यात्री विमान के साथ मालवाहक विमान भी उड़ेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. यादव