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कमिश्नर पुलिस

शराब तस्कर पुजारी का रिश्तेदार पुलिस की मिलीभगत से छूट गया ? पुलिस कमिश्नर जांच कराएं/कार्रवाई करें

इंद्र वशिष्ठ

कालका जी मंदिर के पुजारी को शराब तस्करी में गिरफ्तार करने के मामले में बहुत ही चौंकाने वाली संगीन और खतरनाक जानकारी सामने आई हैं। शराब तस्करी में शामिल एक युवक को पुलिस द्वारा छोड़ देने की जानकारी मिली है।

पुलिस कमिश्नर सच्चिदानंद श्रीवास्तव को किसी ईमानदार अफसर से इसकी जांच करानी चाहिए।

यह ऐसी जानकारी है जिससे पता चलता है कि पुलिस की मिलीभगत से ही अपराधी बेख़ौफ़ होकर अपराध कर रहे हैं।

इससे पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।

IPS चुप-

 इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने के लिए विशेष पुलिस आयुक्त सतीश गोलछा (कानून एवं व्यवस्था), संयुक्त पुलिस आयुक्त सुवाशीष चौधरी और डीसीपी मोनिका भारद्वाज को मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई।

व्हाट्सएप और एसएमएस पर मैसेज भी किया गया।

लेकिन इनमें किसी ने भी न तो फोन रिसीव किया और न ही मैसेज का जवाब दिया।

शराब तस्कर के रिश्तेदार को छोड़ दिया-

हैरानी की बात यह है कि यह जानकारी खुद उस युवक ने दी है जो यह दावा करता है कि  सत्यनारायण उर्फ पोनी  के साथ शराब की तस्करी के समय वह भी उसके साथ था लेकिन पुलिस से सैटिंग करके वह छूट गया।

 इस बात से यह भी पता चलता है कि पुलिस की मिलीभगत के चलते अपराधी इतने दुस्साहसी हो गए हैं कि वह इस पत्रकार को खुद फोन करके बड़ी शान से बिना डरे बेशर्मी से यह बात बता रहा है।

अपनी पुलिस से सैटिंग हैं-

पुजारी के रिश्तेदार हिमांशु गोयल उर्फ़ आशु ( त्री नगर, शांति नगर निवासी ) ने बीती रात करीब 12 बजे इस पत्रकार को फोन कर कहा कि आप को असली कहानी नहीं पता। उसने दावा किया कि सत्यनारायण उर्फ पोनी के साथ उस समय कार में वह भी था।

 उसे पुलिस ने कैसे छोड़ दिया ? इस पर उसने कहा कि अपनी पुलिस में सैटिंग हैं।

कितने पैसे देकर वह छूटा ? इस बारे में बताने से उसने यह कह कर इंकार कर दिया कि सारी कहानी बता दी तो आप छाप देंगे। उसने कहा कि मिल कर सारी कहानी बता दूंगा।

इस पत्रकार ने उसे कहा कि अगर तुम ग़लत काम करते हो तो मुझे दोबारा फोन मत करना। ग़लत काम करने वाले से मै कोई वास्ता नहीं रखता हूं।

मोबाइल फोन बोलेंगे सारे राज़ खोलेंगे-

पुलिस कमिश्नर को इस गंभीर और हैरतअंगेज मामले की किसी ईमानदार अफसर से ही जांच करानी चाहिए।

आशु और सत्य नारायण के मोबाइल फोन के डिटेल से दोनों के उस समय साथ होने का आसानी से पता चल जाएगा। यह भी पता चल जाएगा कि पोनी और उसके साथी एक ही कार में थे या आगे पीछे अलग-अलग कारों में थे।

इनके फ़ोन रिकॉर्ड की जांच से ही यह भी पता चल जाएगा कि किस-किस पुलिस वाले की इनसे सांठ-गांठ हैं। उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ के किस पुलिसकर्मी के साथ सैटिंग करके आशु गिरफ्तार होने से बच गया।

सीसीटीवी फुटेज-

इसके अलावा हरियाणा (बहादुर गढ) से लेकर  बुराड़ी तक के रास्तों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी यह आसानी से पता चल जाएगा कि शराब की तस्करी में शामिल कुल कितने तस्कर कार में सवार थे।

जखीरा में पोनी के घर पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हुए बताए जाते हैं। उसकी फुटेज से भी यह पता चल सकता है कि वहां पर शराब तस्करी और सट्टेबाजी से जुड़े कौन-कौन लोग और मिलीभगत वाले पुलिस वाले आते जाते रहते थे।

शराब तस्करी में कौन-कौन शामिल-

पोनी के जानकार बताते हैं कि वह अकेला तो कहीं पर भी नहीं जाता है। शराब तस्करी करने भी वह अकेला नहीं जा सकता। ऐसे में उसके साथ कौन-कौन था इसका खुलासा होना चाहिए।

पुलिस को असलियत का पता लगाने के लिए पोनी के बेटों/दोस्तों आदि  के मोबाइल फोन रिकॉर्ड की भी जांच करनी चाहिए।

पुलिस हिरासत में पोनी से कौन कौन मिलने गया और क्या वहां पर आशु भी गया था। इसका पता भी उत्तरी जिला पुलिस के स्पेशल स्टाफ के दफ्तर में पूछताछ और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी लगाया जा सकता है।

पुलिस से सैटिंग कर बेख़ौफ़- 

वैसे लगता है कि पुलिस से मिलीभगत के कारण उपजे अहंकार के कारण आशु ने बेख़ौफ़ हो कर बेशर्मी से यह सच्चाई  बताने का दुस्साहस किया होगा।

क्योंकि वैसे तो कोई भी अपराधी किसी पत्रकार के सामने इस तरह की बात करने की मूर्खता नहीं करेगा। वह शायद यह भी दिखाना चाहता होगा कि उसकी पुलिस में कितनी जबरदस्त सैटिंग हैं।

कार मालिक कौन है ?-

 उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज ने इस मामले में मीडिया में जो जानकारी दी वह भी आधी अधूरी है।

जिस सफेद रंग की सैंत्रो कार (DL-4C-AJ 6854) में शराब बरामद हुई, उसके मालिक के बारे में मीडिया में जानकारी नहीं दी गई।

पुलिस की भूमिका-

सत्य नारायण ने अपना पता त्री नगर शांति नगर बताया है जो कि ग़लत है। वह अपने परिवार के साथ जखीरा में सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में रहता है। पुलिस को बताए गए पते को वैरीफाई करना चाहिए था। अगर त्री नगर के पते को वैरीफाई करने भी पुलिस चली जाती तो भी उसे सच्चाई पता चल सकती थी।

घर/ ठिकाने की तलाशी नहीं ली-

पुलिस ने बताया कि पोनी शराब के अंतराज्यीय गिरोह से जुड़ा हुआ है।

उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज बताएं कि सत्य नारायण को पकड़ने के बाद क्या उसके घर या किसी अन्य ठिकाने की तलाशी ली गई ?

पुलिस ने अगर उसके घर/ ठिकाने की तलाशी ली होती तो शायद और शराब भी बरामद हो सकती थी।  इसके अलावा शराब की तस्करी से जुड़े सबूत भी वहां से मिल सकते थे।

इसके साथ ही पुलिस को यह भी पता चल जाता कि सत्य नारायण का स्थायी घर कहां पर है। ऐसा लगता है कि सत्य नारायण ने जो भी बताया पुलिस ने बिना वैरीफाई किए उस पर विश्वास कर लिया।

सरकारी जमीन पर कब्जा-

अगर पुलिस जखीरा जाती तो उसे पता चल जाता कि वहां पर उसने तो सरकारी जमीन पर कब्जा भी किया हुआ है।

जखीरा (मोती नगर थाना क्षेत्र) में रेलवे लाइन के  पास जमीन पर कब्जा कर बनाए घर में रहता है। रेलवे लाइन के पास स्थित इस सरकारी जमीन पर पोनी, उसके भाइयों सोहन लाल उर्फ़ सोनू भारद्वाज और मनमोहन उर्फ़ टीटू का कब्जा है।

तो जाहिर सी बात है कि बिजली के मीटर भी ग़लत तरीके से लगवाए गए होंगे।

ऐसे में पुलिस को शराब तस्कर के खिलाफ ज़मीन पर कब्जा करने के आरोप में भी कार्रवाई करने का मौका मिला है।

पुलिस को खुद कार्रवाई करने के साथ-साथ संबंधित सरकारी एजेंसियों को भी कार्रवाई करने के लिए रिपोर्ट भेजनी चाहिए।

पुलिस को पूछताछ के दौरान पोनी के सट्टेबाजी से जुड़े होने का भी पता चला है।

पुलिस अगर गंभीरता से जांच करें तो सत्य नारायण उर्फ़ पोनी का पूरा कच्चा चिट्ठा पुलिस को पता चल जाएगा।

पुलिस ऐसा करें तभी अपराध और अपराधी पर अंकुश लग सकेगा।

कमिश्नर चाहें तो एक दिन में सच्चाई सामने आ जाए-

पुलिस कमिश्नर अगर‌ गंभीरता से कोशिश करें तो एक दिन में ही इस मामले की सारी सच्चाई का पता लगाया जा सकता है।

इसके बाद अपराधियों को छोड़ने का अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही इस मामले में छोड़े गए अपराधियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

IPS सबक लें-

पुलिस कमिश्नर और आईपीएस अफसर को इस मामले से सबक लेना चाहिए। मातहत जिस भी अपराधी को पकड़ते हैं उसका प्रचार कराने तक ही उनको सीमित नहीं रहना चाहिए। आईपीएस अधिकारियों को हर मामले में मातहतों पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए। अफसरों को अपने स्तर पर और अपने विवेक से खुद भी पता लगाना चाहिए कि मातहत ने किसी अपराधी को छोड़ तो नहीं दिया या मातहत ने अपराधी के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने में लापरवाही तो नहीं बरती।

किसी अपराधी को सांठ-गांठ कर  छोड़ देने के कारण ही अपराधी बेख़ौफ़ हो कर अपराध कर रहे हैं।

सट्टा और शराब पुलिस की मिलीभगत बिना संभव नहीं-

इलाके में कौन-कौन सट्टा, अवैध शराब या अन्य ग़ैर क़ानूनी काम करता है इसकी जानकारी पुलिस को न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। बिना पुलिस की मिलीभगत के सट्टा और अवैध शराब का धंधा भला कोई  कर सकता है।  त्री नगर और जखीरा इलाके में भी वर्षों से सट्टा खेलने/ खिलाने वाले जगजाहिर/ बदनाम है। कल तक बहुत ही मामूली-सी आर्थिक स्थिति वाले अब सट्टे के कारण मकान और महंगी कारों के मालिक बन चुके हैं।

पुलिस हाजिरी लगाती है-

पोनी अपने रिश्तेदारों के सामने बड़े रौब से बताता भी  है कि पुलिस वाले तो उसके यहां हाजिरी लगाने आते हैं। शायद यही वजह है कि पुलिस ने पहले कभी पोनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

पुलिस का दावा-

 उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक सूचना के आधार पर स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा, सब इंस्पेक्टर प्रवीण शर्मा, एएसआई यशपाल सिंह, हवलदार अंसार ख़ान और सिपाही रवींद्र सिंह की टीम ने एक सूचना के आधार पर  बाहरी रिंग रोड पर बुराड़ी चौक के पास बैरीकेड लगा कर चेकिंग शुरू कर दी।

मुकरबा चौक की ओर से आई सफेद रंग की सैंत्रो कार को पुलिस ने बैरीकेड लगा कर रोक लिया।

कार में से शराब की 23 पेटी जब्त की गई। इन पेटियों में देसी और अंग्रेजी शराब के कुल 1140 पव्वे बरामद हुए हैं। कार सवार सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ़ पोनी( 50) निवासी जखीरा (मोती नगर थाना क्षेत्र) को गिरफ्तार कर लिया गया।

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