लखनऊ | जब योगी आदित्यनाथ सरकार लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद करने वाले पुलिसकर्मियों की वीडियो और तस्वीरें जारी करके राज्य में पुलिस की एक जन-हितैषी छवि पेश करने की कोशिश कर रही है, तब भी पुलिस के दुर्व्यवहार की कहानियां सामने आ रही हैं। इस बार एक ऐसी रिपोर्ट रायबरेली से आई है, जहां एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने कथित तौर पर एक युवक को फटकार लगाई जो अपनी गर्भवती पत्नी के लिए दवाएं खरीदने के लिए बाहर गया था।
जिले में सख्ती से लॉकडाउन का पालन करा रहे अधिकारी ने युवक से कहा, “सबकी बीवियां गर्भवती हो गई हैं क्या?”
इसी तरह एक अन्य युवक पास की आटा चक्की में पीसने के लिए गेहूं देने गया था, उससे रसीद देने के लिए कहा गया। यह बताने पर कि मालिक ने कोई रसीद नहीं दी गई थी, अधिकारियों ने पुलिसकर्मी को उसे पुलिस स्टेशन ले जाने का आदेश दिया।
युवा प्रवासी कामगारों का एक समूह, जो वापस अपने घर पैदल जा रहा था, को नोएडा में रोककर युवकों को पीठ पर लदे बैग सहित उठक-बैठक करने के लिए कहा गया।
आगरा में, पुलिस ने सड़क पर युवकों के गले में तख्तियां लगवाईं, जिसमें लिखा था ‘मैं समाज का दुश्मन हूं’।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पूछे जाने पर कहा, “मैं इस बात से सहमत हूं कि कुछ चीजें गलत हो सकती हैं, लेकिन सभी को समझना चाहिए कि हमारे रक्षा बल इस परिस्थिति में कितने दबाव में काम कर रहे हैं। वे एक असामान्य स्थिति से निपट रहे हैं और लोगों को लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन करना चाहिए और हमें सहयोग करना चाहिए।”
–आईएएनएस
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