सीबीआई ने शराब माफिया से पांच लाख रुपए मांगने वाले सिपाही को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
दिल्ली पुलिस “दिल की पुलिस” के सिपाही तक दिल खोल कर लाखों रुपए मांगते हैं।
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस “दिल की पुलिस” शराब और नशीले पदार्थ बेचने वालों से दिल खोल कर रिश्वत लेती हैं । इसलिए अवैध शराब और नशीले पदार्थों का धंधा बदस्तूर जारी है।
“दिल की पुलिस” कितना दिल खोल कर रिश्वत मांगती है इसका अंदाजा इस मामले से लगाया जा सकता है। तिलक नगर थाने के एक सिपाही और हवलदार ने अवैध शराब का धंधा करने वाले से पांच लाख रुपए मांगे। लेकिन दिल खोलकर मांगना इस बार पुलिस वाले को उल्टा पड़ गया।
सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड बताया कि दिल्ली पुलिस के सिपाही जितेंद्र और दुकानदार संदीप को 70 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
5 लाख मांगे-
तिलक नगर के रवि नगर निवासी दीपक चंद्र से रिश्वत लेते हुए इनको गिरफ्तार किया गया है।
दीपक ने सीबीआई को दी अपनी शिकायत में कहा है कि 4 अक्टूबर को हवलदार विनोद यादव और सिपाही जितेंद्र उसके घर आए और उसकी बहन से कहा कि दीपक की गाड़ी में से शराब की चार पेटियां बरामद हुई हैं।
दीपक के अनुसार उसका बडा भाई अनिल हवलदार विनोद यादव और सिपाही जितेंद्र से मिला। इन दोनों पुलिसकर्मियों ने पांच लाख रुपए रिश्वत मांगी और धमकी दी कि पैसे न देने पर उनकी पंद्रह लाख कीमत की कार को क्रेन से उठा कर ले जाएंगे और थाने में जमा कर देंगे। अनिल की विनती पर पुलिसकर्मी डेढ़ लाख रुपए पर मान गए। अनिल ने पचास हजार रुपए उन्हें दे दिए। इसके बाद जितेंद्र ने फोन कर अनिल को धमकाया। सिपाही जितेंद्र के कहने पर अनिल ने 5 अक्टूबर को तीस हजार रुपए संदीप जनरल स्टोर वाले को दिए। अब दोनों पुलिसकर्मी रिश्वत के शेष सत्तर हजार रुपए देने के लिए उसे धमकी दे रहे हैं।
सीबीआई ने इस शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच की दीपक और सिपाही जितेंद्र के बीच रिश्वत को लेकर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद सात अक्टूबर को सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया।
सीबीआई ने सिपाही जितेंद्र को रंगे हाथों पकडऩे के लिए जाल बिछाया।
सात अक्टूबर को दीपक से रुपए लेते हुए संदीप और सिपाही जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार दीपक अवैध शराब का धंधा करता है। वह तिलक नगर थाने का पुलिस बैड करैक्टर (बीसी) यानी घोषित अपराधी भी है।
दिल्ली में बदमाश ही नहीं पुलिसकर्मी भी बेखौफ होकर अपराध तक कर रहे हैं।
थाने में रिश्वत लेते पकड़े-
पुलिस मेंं भ्रष्टाचार का आलम यह है कि सीबीआई ने 13 अक्टूबर को गाजीपुर थाने के अंदर ही रिश्वत लेते हुए सब-इंस्पेक्टर हरी मोहन गौतम और हवलदार महीपाल ढाका को गिरफ्तार किया। पिछले साल ही पुलिस में भर्ती हुआ सब-इंस्पेक्टर हरी मोहन एक महीना पहले ही इस थाने में तैनात किया गया। हथियार के लाइसेंस के वैरीफिकेशन के लिए इन पुलिसवालों ने पचास हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। शिकायकर्ता से दस हजार रुपए लेते हुए सीबीआई ने दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया।
पुलिसवालों ने ही 163 किलो गांजा बेच दिया-
11 सितंबर को जहांगीर पुरी थाना पुलिस ने अनिल को 164 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके पास से केवल नौ सौ ग्राम गांजा ही बरामद दिखाया। मामला हल्का और थाने से ही जमानत देने योग्य बनाने की एवज में अनिल की मां से डेढ़ लाख रुपए ऐंठ लिए।
इसके बाद पुलिस वालों ने 163 किलो गांजा खुद ही नशे के किसी दूसरे सौदागर को बेच दिया। इस मामले का खुलासा होने पर सब-इंस्पेक्टर शेखर खान,सब-इंस्पेक्टर सपन, हवलदार सोनू राठी और हरफूल मीणा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चारों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन इनको अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
दिल्ली पुलिस मेंं रक्षक ही बने भक्षक-
पुलिस यानी रक्षक, लेकिन रक्षक के भेष मेंं छिपे भक्षकों की पैसे की भूख जब उगाही और रिश्वत से भी नहीं मिटती तो वे अपराध करने मेंं अपराधियों को पीछे भी छोड़ देते है। शराब और मादक पदार्थ तस्करों से पुलिस अफसरों तक की मिलीभगत और पुलिस वालों द्वारा हत्या और लूटपाट करने के मामले लगातार सामने आ रहे है।
एक एडशिनल डीसीपी के खिलाफ तो सीबीआई ने जाली कागजात के आधार पर पुलिस अफसर बनने का ममला दर्ज किया है।
जागो IPS जागो-
इन मामलों से आईपीएस अफसरों की कार्यप्रणाली/ काबिलियत/ भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। लोग पुलिस वालों के खिलाफ आला अफसरों तक से शिकायत करते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस वजह से ही पुलिस मेंं भ्रष्टाचार और अपराध दिनोंदिन बढ रहा है। निरंकुश पुलिस वाले आम लोगों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते हैं।
पुलिस वालों द्वारा इस साल किए गए अपराध-
FIR के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगानी पडी –
भलस्वा थाने के तत्कालीन एस एच ओ मनोज त्यागी के खिलाफ करोड़ों की जमीन कब्जा करने के आरोप में इसी थाने में अब जाकर मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस मामले में शिकायतकर्ता सुजीत कुमार का आरोप है कि इस इंस्पेक्टर मनोज त्यागी के खिलाफ आउटर नार्थ जिले के डीसीपी गौरव शर्मा से लेकर पुलिस मुख्यालय में आला अफसरों तक शिकायत की गई थी मगर कही भी उसकी सुनवाई नहीं हुई।
आरोप है कि इंस्पेक्टर उसके सौ गज के प्लाट पर तरह तरह के हथकंडे अपना कर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।
इसके बाद उसने दस्तावेजों के साथ प्रधानमंत्री को शिकायत भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।
एडशिनल डीसीपी पर जालसाजी का मुकदमा-
पूर्वी जिले के एडशिनल डीसीपी संजय सहरावत के खिलाफ सीबीआई ने 7 सितंबर 2020 को जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि श्रम मंत्रालय में क्लर्क रह चुके संजय सहरावत ने पुलिस अफसर बनने के लिए किसी दूसरे का जन्म प्रमाणपत्र इस्तेमाल किया था। सीबीआई ने शिकायत मिलने के ढाई साल बाद मामला दर्ज किया है।
सब-इंस्पेक्टर ने महिला दोस्त और ससुर को गोली मारी –
लाहौरी गेट थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर संदीप दहिया ने 27 सितंबर को अलीपुर थाना इलाके में सर्विस पिस्तौल से अपनी महिला दोस्त को गोलियां मार दी और सडक़ पर फेंक कर भाग गया। महिला की हालत गंभीर बताई जाती है।
इसके बाद 28 सितंबर को उसने रोहतक मेंं अपने ससुर की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अलावा एक राहगीर को भी गोली मारकर घायल कर दिया।
हवलदार ने गोली मारकर हत्या की-
बुध विहार इलाके में 20अगस्त को हवलदार सुरेंद्र ने अपने दोस्त दीपक अहलावत की गोली मारकर हत्या कर दी।
लुटेरे पुलिस वाले-
8 अगस्त – वसंत कुंज थाना इलाके में नवीन सहरावत के कॉल सेंटर में घुस कर पुलिस वालों ने लूटपाट की कोशिश की लेकिन नवीन सहरावत और उसके कर्मचारियों ने उनको पकड़ लिया। इस मामले में मालवीय नगर थाने के सिपाही अमित, मनु और स्पेशल सेल के सिपाही संदीप को गिरफ्तार किया गया।
चोरों से 5 लाख लूट लिए-
अगस्त में सिविल लाइन थाने में तैनात एक हवलदार ने ठक ठक गिरोह के चोरों को पकड़ा था चोरों से बरामद पांच लाख रुपए हवलदार ने खुद हड़प लिए और अपराधियों को छोड़ दिया। हवलदार के मेरठ के घर से रकम बरामद हो गई।
एसीपी, एसएचओ ने शराब तस्कर को छोड़ दिया-
इस साल अप्रैल में कंझावला पुलिस ने एक शराब तस्कर को पकड़ा था लेकिन पुलिस से सांठगांठ कर वह छूट गया और अपनी गाडी भी छुडवा ली। शराब तस्कर ने अपनी जगह अपने नौकर को गिरफ्तार करवा दिया। पुलिस ने शराब भी कम बरामद दिखाई। इस मामले में सतर्कता विभाग की जांच के बाद एसीपी, एस एच ओ समेत आठ पुलिस वालों का केवल तबादला किया गया।
शराब तस्कर के साथियों को छोड़ दिया-
इस साल 27 मई को उत्तर जिला के स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा की टीम ने कालका जी मंदिर के पुजारी सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ पोनी को शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया। इस मामले में भी पुलिस ने सांठगांठ करके उसके साथियों को छोड़ दिया।
रिश्वत लेते सिपाही गिरफ्तार-
14 जुलाई को सीबीआई ने सुभाष प्लेस थाने के सिपाही विक्रम को 35 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। सिपाही विक्रम और हवलदार कपिल ने शिकायतकर्ता से उसके नौकर को छोडऩे की एवज में एक लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।
रिश्वत लेते एसएचओ गिरफ्तार-
सीबीआई ने 17 जून को विजय विहार थाने के एस एच ओ सुरेंद्र सिंह चहल,सिपाही बद्री प्रसाद और जितेंद्र को दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। रिठाला निवासी सुनील वत्स से प्लाट पर चारदीवारी करने की एवज में पांच लाख रुपए रिश्वत की मांग की गई थी।
महिला सब-इंस्पेक्टर की हत्या करआत्महत्या कर ली।-
8 फरवरी – रोहिणी मेट्रो स्टेशन के पास सब इंस्पेक्टर दीपांशु ने सब इंस्पेक्टर प्रीति की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दीपांशु ने हरियाणा जाकर गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
आला अफसर ध्यान नहीं देते- आला पुलिस अफसर पुलिस के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों को अगर गंभीरता से सुने और उस पर तुरंत कार्रवाई करें तो पुलिसकर्मियों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
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