✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए 14 साल में 11 सर्कुलर

ब्यास देव रल्हन, नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पिछले 14 साल में 11 अलग-अलग सर्कुलर जारी किए हैं, जो बताता है कि स्कूलों में सुरक्षा कितना महत्व रखती है। फायर सेफ्टी मैनेजमेंट, स्ट्रक्च रल सेफ्टी, स्कूलों में हिंसा और रैगिंग से कैसे निपटें, यौन उत्पीड़न से बच्चों को कैसे बचाएं और किस तरह स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.. यह इन सर्कुलरों के विषय थे।

सितंबर 2017 में जारी हालिया सर्कुलर के मुताबिक, स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा और कल्याण में उल्लंघन या खामियां उस स्कूल का पंजीयन और मान्यता रद्द कर सकती है।

सीबीएसई ने अपने संबंद्ध स्कूलों को स्कूलों के भीतर और बाहर के सभी संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश जारी किया था। बोर्ड ने स्कूलों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि टीचिंग के साथ-साथ नॉन-टीचिंग स्टॉफ, जैसे कि बस ड्राइवर्स, कंडक्टर, चपरासी और अन्य सपोर्ट स्टॉफ की नियुक्ति अधिकृत एजेंसियों से ही की जाए। उनका प्रॉपर रिकॉर्ड मेंटेन किया जाए।

बोर्ड ने स्कूलों को यह भी निर्देश दिया कि वे स्टाफ, पैरेंट्स और स्टूडेंट्स की शिकायतों के निवारण के लिए अलग-अलग समितियां बनाएं। साथ ही प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों पर सुनवाई के लिए एक आंतरिक समिति गठित करें।

सीबीएसई ने अपने संबंद्ध स्कूलों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि उनकी इमारतों को भूकंपरोधी डिजाइन किया गया हो और बुनियादी अग्नि सुरक्षा उपकरण लगाए गए हों। स्कूलों की संरचनात्मक सुदृढ़ता और इमारतों की सुरक्षा पर बिना समझौता किए कम लागत और पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर फोकस करने को कहा गया है।

स्कूलों में नीति निर्माण प्रक्रिया में जोखिम प्रबंधन के प्रति प्रिवेंशन, प्रिपेयर्डनेस, रिस्पांस एंड रिकवरी, बचाव, तैयारी, प्रतिक्रिया और रिकवरी के मॉडल का अनुसरण करना चाहिए। बाल सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर यह मॉडल स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को सजग बनाए रखने में मददगार होगा। सिक्योरिटी कैमरा स्कूल सेफ्टी इन्वेस्टिगेशंस में प्रभावी होते हैं या किसी गलत घटना या हरकत को रोकने में भी कारगर होते हैं।

सीबीएसई ने 2014 में सभी स्कूलों से बच्चों को लाने, ले जाने के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिए स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम इंस्टॉल करना अनिवार्य किया था। हालांकि इस समय जरूरत इस बात की है कि स्कूल प्रबंधन ऐसा आसानी से इस्तेमाल किया जाने वाला सिस्टम लागू करें, जिसके जरिये रियलटाइम में पेरेंट्स को अपने बच्चों के बारे में जानकारी तत्काल मिल सके। जीपीएस इंटिग्रेशन से ड्राइवर के प्रदर्शन को भी मापा जा सकता है जबकि लाइव व्हीकल ट्रैकिंग एप की मदद से पेरेंट्स अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।

जब बात शिक्षकों, प्रशाससकों और अन्य स्कूल स्टॉफ की नियुक्ति की आती है तो उन्हें नौकरी पर रखने से पहले बैकग्राउंड चेक करने के कई अच्छे कारण हैं। जांच में निवास स्थान, पुराना रोजगार और किसी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड होने की जांच करना शामिल है। यह स्कूलों को उन लोगों की जांच करने में मदद मिलती है जो स्कूल परिसर में बच्चों के सीधे संपर्क में आते हैं। इनमें शिक्षक, प्रशसाक, स्पोर्ट्स कोच, क्लीनिंग स्टाफ और स्वयंसेवक शामिल हैं।

विजिटर्स के लिए जेनेरिक टैग्स और स्टूडेंट्स के लिए हाथ से लिखी लेट स्लिप्स और परमिशन स्लिप्स सूचना को रिकॉर्ड और विश्लेषित करने के उद्देश्य को पूरा नहीं करती। विजिटर साइन-इन इंफर्मेशन और फोटो आईडी बैज के साथ डिजिटल विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम स्कूलों में सुरक्षा का स्तर बढ़ाता है। कॉन्ट्रेक्टर्स, वॉलेंटियर्स, पैरेंट्स और स्टाफ से साइन-इन और साइन-आउट प्रक्रिया के जरिये स्कूल इंफर्मेशन जुटा सकते हैं। इसके लिए उन्हें जीपीआरएस और एसएमएस/ईमेल नोटिफिकेशंस का सिम्पल मिक्स इस्तेमाल करना होगा।

(लेखक नेक्स्टएजुकेशन के सहसंस्थापक और सीईओ हैं।)

–आईएएनएस

About Author