चेन्नई: उद्यमिता एवं सूचना प्रौद्योगिकी के लिए यूरोपीय राष्ट्रों की मंत्री उर्व पालो ने कहा कि एस्टोनिया भारतीय छात्रों को पढ़ाई और कारोबारियों को कारोबार शुरू करने के लिए आमंत्रित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एस्टोनिया के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), लकड़ी, हेल्थकेयर/फार्मास्युटिकल जैसे क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं।
पालो ने यहां शनिवार देर शाम आईएएनएस को बताया, “एस्टोनिया भारत को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, ई-गर्वनेंस और स्मार्ट शहरों के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता प्रदान कर सकता है, लेकिन पहले हमें भारत में अपने राष्ट्र को पेश करना है।”
एस्टोनिया की आाबदी 13 लाख है, यह दुनिया में ई-वोटिंग और डिजिटल हस्ताक्षर की सुविधा प्रदान करने वाला पहला देश हैं।
आर्थिक एवं संचार मंत्रालय के उपमंत्री विल्जर लुबी ने आईएएनएस को बताया, “एस्टोनिया में वर्तमान में करीब 250 भारतीय छात्र स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। वहां छात्रों के लिए कोई ट्यूशन फीस नहीं लगता। स्नातक की पढ़ाई तक शिक्षा प्रदान करने की भाषा एस्टोनियाई है, इसलिए भारतीय छात्रों के लिए सिर्फ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम हैं।”
पालो ने कहा कि एस्टोनिया में 1,000 से ज्यादा भारतीयों ने ई-रेसीडेंसी ले रखी है, जिससे वे कंपनियां स्थापित कर सकते हैं, कारोबार कर सकते हैं और कर का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन एक नागरिक के रूप में नहीं बस सकते हैं।
पालो के मुताबिक, एस्टोनिया भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने में दिलचस्पी रखता है, जो वर्तमान में 20 करोड़ डॉलर के आसपास है।
एडेमेशन के निदेशक रेवियो रेस्तिक ने कहा कि एस्टोनियाई कंपनी भारत में स्मार्ट सिटी परियोजना का हिस्सा बनना चाहेगी।
अपनी भारत यात्रा के दौरान पालो ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी, उद्योग मंत्री एम.सी. संपत और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री एम. मणिकनंदन से मुलाकात की। उन्होंने शुक्रवार को वाणिज्य दूतावास का भी उद्घाटन किया।
–आईएएनएस
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