ओम कुमार, नई दिल्ली। दिल्ली में एक अजीब तरिके का तलाक होने का मामला सामने आया है। पति के कहने पर पत्नी चाय-नाश्ता बनाकर नहीं देती थी इस बात को क्रूरता मानकर दिल्ली हाईकोर्ट ने पति के तलाक की अर्जी को मंजूरी दे दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली हाइकोर्ट की जस्टिस दीपा शर्मा जस्टिस हीमा कोहली की बेंच ने यह फैसला सुनाया।
तीस हजारी कोर्ट में पति ने याचिका दायर कर तलाक की गुजारिश की थी। याचिका में पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी उसे चाय, नाश्ता और खाना बनाकर नहीं देती थी इस वजह से उसे पत्नी से अलग होने की अनुमति दी जाए। इस मामले में निचली अदालत ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया था।
महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी, जहां निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया। जस्टिस दीपा शर्मा जस्टिस हीमा कोहली की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि पति-पत्नी पिछले 10 साल से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं और उनका साथ रहना अब मुमकिन नहीं है, इसलिए उनकी तलाक की अर्जी मंजूर की जा रही है।
पति-पत्नी के बीच साल 2006 से ही अनबन थी। बेंच ने ये भी कहा कि शादी के 13 साल के दौरान पति-पत्नी दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश समेत 14 अलग-अलग जगहों पर रहे। इस दौरान पत्नी ने कभी भी पति पर प्रताड़ना या दुर्व्यवहार का आरोप नहीं लगाया।
कोर्ट का तर्क: सुनवाई के दौरान महिला जजों की बेंच ने कहा कि शारीरिक क्रूरता का प्रमाण तो दिया जा सकता है, लेकिन मानसिक क्रूरता को साबित करना मुश्किल है।
पति-पत्नी में से जब किसी एक का व्यवहार दूसरे के लिए परेशानी बनने लगे किसी एक के व्यवहार से जब दूसरा असहज होने लगे, अपमानित होने लगे, दुखी रहने लगे तो यह क्रूरता का आधार है।
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