लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 17 फरवरी को शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटाए गए डॉ. निशीथ राय ने कहा कि जिस कुलपति को उसके कामों की वजह से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली बुलाकर पुरस्कार दिया था, उसे यहां की सरकार ने झूठे आरोप लगाकर हटा दिया। अच्छे काम का शायद यही नतीजा मिलता है। राय ने सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। सामान्य परिषद की जिस बैठक में यह फैसला लिया गया, वह अवैध तरीके से बुलाई गई थी।
पूर्व कुलपति ने बताया, “डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की सामान्य परिषद में जो प्रस्ताव पारित किया गया, वह पूरी तरह से राजनीतिक दुर्भावनावश एवं एकपक्षीय तरीके से उठाया गया।”
उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने अपने चहेते शख्स को कुलपति बनाने के लिए यह कदम उठाया है। इसके साथ ही सामान्य परिषद की जो बैठक बुलाई गई थी, वह भी उच्च न्यायालय के 16 नवम्बर को पारित आदेश की अवहेलना है।
राय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने पिछले आदेश में यह साफ तौर पर कहा था कि अगर मेरे खिलाफ प्रथम दृष्टतया कोई आरोप बनता है तो तीन माह के भीतर कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाए। सामान्य परिषद ने तीन माह का समय बीत जाने के बाद बैठक कर यह निर्णय लिया, जो उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे क्योंकिबैठक में कानून की अवहेलना की गई।
उन्होंने कहा, “अच्छे काम का यही पुरस्कार मिलता है। पूरे प्रदेश में इस समय मैं ही एकमात्र ऐसा कुलपति रहा जिसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली बुलाकर राष्ट्रीय पुरस्कार दिया था। 28 जनवरी 2014 को जब मैंने इस विश्वविद्यालय की कमान संभाली थी तब इस विश्वविद्यालय में कुल 478 छात्र, 3 संकाय और 11 विभाग थे।”
राय ने कहा कि इस समय विश्वविद्यालय में 5,000 से अधिक छात्र, 11 संकाय और 29 विभाग हो गए हैं। इस प्रदेश का दुर्भाग्य है कि सब कुछ केवल राजनीति के आधार पर देखा जाता है। इस प्रवृत्ति से उप्र कहां जाएगा, यह सोचने वाला विषय है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 17 फरवरी को हुई डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की गर्वनिंग काउंसिल की बैठक में कुलपति निशीथ राय को हटाने का फैसला लिया गया। हालांकि इससे पहले भी सरकार ने एक बार उन्हें हटाया था लेकिन तब राय ने उच्च न्यायालय से स्टे ले लिया था और अपने पद पर बहाल हो गए थे।
निशीथ राय के स्थान पर राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीण कुमार को कार्यवाहक कुलपति बनाए जाने का भी फैसला लिया गया था।
पूर्व कुलपति निशीथ राय पर अनियमित तरीके से नियुक्तियां करने के साथ ही कई अन्य आरोप हैं। पिछले साल अगस्त में भी इन आरोपों के चलते प्रदेश सरकार ने उन्हें हटा दिया था लेकिन जांच में कोई ठोस सुबूत न मिलने के बाद फिर से उन्हें चार्ज दे दिया गया था।
–आईएएनएस
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