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आजादी के 75 साल के बाद ही सही, दिल्ली सरकार बाबा साहब और भगत सिंह के सपनों को पूरा कर रही: केजरीवाल

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली सचिवालय में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आजादी के 70 साल के बाद ही सही, दिल्ली सरकार बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर और भगत सिंह के सपनों को पूरा कर रही है। बाबा साहब का सपना था कि इस देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी उनका सपना पूरा नहीं हुआ। मुझे खुशी है कि बाबा साहब का सपना पूरा करने का काम दिल्ली में शुरू हो गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले सात साल में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी काम किए। सरकार बनते ही हमने शिक्षा का बजट बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया और सारे स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने का काम शुरू किया। अब हम अपने स्कूलों में बच्चों को अच्छा इंसान व कट्टर देशभक्त बना रहे हैं और बिजनेस करना सीखा रहे हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने ऐलान करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के दफ़्तरों में अब किसी नेता की नहीं, बल्कि बाबा साहब और भगत सिंह की तस्वीरें लगाई जाएंगी और उनके वसूलों पर हमारी दिल्ली सरकार चलेगी। अगर आज बाबा साहब डॉ. अंबेडकर जिंदा होते, तो हमें खूब आशीर्वाद देते और हमें गले से लगा लेते।
दिल्ली ने सबसे ज्यादा कोरोना की मार झेली है और बहुत अच्छे से इस महामारी से निपटा है-केजरीवाल
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली सचिवालय में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर दिल्ली समेत पूरे देश वासियों को शुभकामनाएं दी। भारत माता की जय और बंदे मातरम् के जयघोष के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दो साल से केवल दिल्ली और देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया कोरोना नाम की बीमारी से जूझ रही है। पिछले दो साल से ढेर सारी गतिविधियां बंद पड़ी हैं। बहुत सारे लोग बीमार पड़े और बहुत सारे लोगों की मौत हुई। देश में कोरोना की यह तीसरी लहर चल रही है, लेकिन दिल्ली में पांचवीं लहर है और सबसे ज्यादा कोरोना की मार दिल्ली वालों ने झेली है। क्योंकि कोरोना का यह वायरस अपने देश का तो है नहीं, यह बाहर से आया है। बाहर से अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स सबसे ज्यादा दिल्ली आती हैं, तो सबसे पहले कोरोना दिल्ली में आया। दिल्ली के लोगों ने सबसे ज्यादा कोरोना की मार झेली, लेकिन दिल्ली निवासियों, अधिकारियों, डॉक्टरों ने बहुत अच्छे तरीके से इस पूरी कोरोना महामारी से निपटा है। दिल्ली की जनता ने जिस अनुशासन और धैर्य के साथ इसका सामना किया है, वह वाकई काबिले तारीफ है।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ओमिक्रॉन की यह लहर बहुत ज्यादा तेजी से फैलती है, लेकिन थोड़ी माइल्ड बताई जाती है। 13 जनवरी को लगभग 29 हजार केस आए थे। जो दूसरी लहर आई थी, उसमें भी अधिकतम मामले लगभग इतने ही आए थे। लेकिन जब 13 जनवरी को 29 हजार केस थे, तब भी दिल्ली में बेड ढाई से तीन हजार ही भरे थे। 15 जनवरी को सबसे अधिक पॉजिटीविटी रेट लगभग 30 फीसद आया था। 15 जनवरी को 30 फीसद पॉजिटीविटी दर थी और 10 दिन के बाद आज 25 जनवरी को यह घट कर लगभग 10 से 10.50 फीसद के करीब रह गया है। इन 10 दिनों में करीब 20 फीसद पॉजिटीविटी रेट कम हो गया है। उसी तरह से केस में भी कमी आ रही है। यह इस बात का भी नतीजा है कि इस बार की लहर बहुत माइल्ड है। दूसरा, युद्ध स्तर पर दिल्ली में वैक्सीनेशन किया गया। अगर वैक्सीनेशन किया जाए, तो कोरोना का असर थोड़ा माइल्ड होता है। आज हमारे सभी डॉक्टर, नर्सेज, पैरा मेडिकल स्टॉफ, स्टॉफ और अधिकारियों ने मिलकर वैक्सीनेशन पर शानदार काम किया है। 100 फीसद पूरी दिल्ली को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। साथ ही, 82 फीसदी दिल्ली के लोगों को दूसरी डोज भी लग चुकी है। मुझे लगता है कि यह शायद पूरे देश में रिकॉर्ड है। शायद पूरी दुनिया में भी यह रिकॉर्ड है। और अब बूस्टर डोज भी बहुत तेजी से लग रही है।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना जब भी बढ़ता है, हम लोगों को कुछ पाबंदियां लगानी पड़ती है। मार्केट बंद करने पड़ते हैं, आर्थिक गतिविधियां बंद हो जाती हैं, स्कूल और कॉलेज बंद हो जाते हैं। हम समझते हैं कि इससे लोगों को तकलीफ होती है। लोगों की रोजी-रोटी खराब होती है। लेकिन आप हमारे उपर यह भरोसा रखिए कि हम उतनी ही पाबंदी लगाते हैं, जिनती जरूरत होती है। हम नहीं चाहते हैं कि आपकी रोजी-रोटी खराब हो। हम नहीं चाहते हैं कि आपकी आर्थिक गतिविधियों में किसी भी तरह की बांधा आए। लेकिन आपकी जान और सेहत जरूरत है न। उसको ध्यान में रखते हुए हमें यह पाबंदियां लगानी पड़ती है। पिछले हफ्ते मेरे पास कुछ व्यापारी आए। उन सभी ने कहा कि ऑड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू कर रखा है, इससे बड़ी दिक्कत हो रही है। मैंने उनको भरोसा दिलाया कि जैसे ही संभव होगा, हम इसको खोलेंगे। हमने एलजी साहब के पास कुछ प्रस्ताव भेजे, उनमें से कुछ प्रस्ताव एलजी साहब ने माने और कुछ नहीं माने। मैंने देखा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने एलजी साहब से नाराजगी जाहिर की। मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं कि एलजी साहब बहुत अच्छे हैं, वो आपकी सेहत और आपकी जिंदगी को लेकर चिंतित हैं। हम सब लोगों को कोई प्रतिबंध लगाने में मजे नहीं आते हैं। हम सब मिलकर, जिनती जल्दी हो सकेगा, प्रतिबंधों को हटाएंगे और आपकी जिंदगी को दोबारा ढर्रे पर लाने की कोशिश करेंगे। आपकी जिंदगी सुचारू रूप से चले, यह हमारा पूरा प्रयास रहेगा।
बाबा साहब और भगत सिंह के रास्ते अलग थे, लेकिन दोनों की मंजिल और सपने एक थे
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस है। पवित्र दिन है। आज के दिन हमें सभी स्वतंत्रता सेनानियों की याद आती है। जिन लोगों ने देश के लिए कुर्बानियां दीं, आज के दिन उन सब लोगों को हम याद करते हैं। किसी भी स्वतंत्रता सेनानी के योगदान और उसके शौर्य को कम नहीं आंका जा सकता है। हर एक ने अपने-अपने स्तर पर खूब कुर्बानियां दीं, खूब संघर्ष किया। लेकिन दो स्वतंत्रता सेनानी ऐसे हैं, जिनसे मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हूं। मैं समझता हूं कि वे बाकी सब में एक हीरे की तरह चमकते हैं। एक बाबा साहब डॉ. अंबेडकर हैं और दूसरे शहीद-ए- आजम भगत सिंह हैं। दोनों के रास्ते अलग थे, लेकिन दोनों की मंजिल और सपने एक थे। बाबा साहब अंबेडकर ने बहुत संघर्ष किया। आइनस्टाइन ने एक बार महात्मा गांधी के लिए एक बार कहा था कि आने वाली पीढ़ियां यकीन नहीं करेगा कि कोई ऐसा व्यक्ति हाड़-मांस में इस पृथ्वी पर कभी पैदा हुआ था। मैं जितना ही बाबा साहब के जीवन और संघर्ष के बारे पढ़ता हूं, उतना ज्यादा मुझे लगता है कि आइनस्टाइन की यही लाइन पूरी तरह से बाबा साहब अंबेडकर पर भी लागू होती है। मैं जितना ज्यादा पढ़ता हूं मुझे यकीन नहीं होता है कि कभी ऐसा व्यक्ति पैदा हुआ था और इतना संघर्ष कर सकता है और इस किस्म का काम कर सकता था।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब महार जाति में 1891 में पैदा हुए। उन दिनों में महार जाति को अछूत माना जाता था। उनके घर मंें खाने को नहीं था। वो बहुत गरीब परिवार से थे। स्कूल जाते थे, तो उनको क्लास में नहीं बैठने दिया जाता था, उनको बाहर बैठाते थे। उनको घड़े से पानी नहीं पीने देते थे, उनको पीने के लिए उपर से पानी डाला जाता था। वो सख्स, जिसके घर में कुछ भी खाने को नहीं था, जिसने कदम-कदम पर छुआछूत को बर्दाश्त किया। युवा बनने के बाद वो लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल से पीएचडी करके आता है। यह कोई छोटी बात नहीं है। आज से 100 साल पहले, 1914-15 के आसपास की बात है, जब उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। तब कोई इंटरनेट नहीं था, कोई जानकारी नहीं थी। मैं सोच रहा था कि उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फार्म भी कैसे मंगाए होंगे और आवेदन कैसे किया होगा। पहली बात तो यह कि ऐसा बच्चा, जो इतने गरीब और पिछड़े वर्ग से आता है, उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी का नाम भी कैसे सुना होगा। मैं तो यह सोच-सोच कर अचम्भित रह जाता हूं। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। इसके बाद वे लंदन ऑफ इनकोनॉमिक स्कूल में जाते हैं और वहां से दूसरी पीएचडी करते हैं। आज इंटरनेट के जमाने में इतनी सुविधाओं के बावजूद हमारे अपने बच्चे लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल में एडमिशन लेना चाहे, तो आसान बात नहीं है। उस दौरान बाबा साहब की जेब में चवन्नी नहीं थी। फिर भी वहां जाकर पढ़े। लंदन ऑफ इकोनॉमिक स्कूल में पढ़ते-पढ़ते उनके पैसे खत्म हो गए, उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़कर आना पड़ा। उन्होंने वापस आकर पैसे इकट्ठे किए और वापस अपनी डिग्री पूरी करने गए। इसके बाद बाबा साहब देश का संविधान लिखते हैं और देश के पहले कानून मंत्री बनते हैं।
बाबा साहब की जिंदगी से हमें बड़े और देश की तरक्की के लिए सपने देखने की सीख मिलती है
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब की जिंदगी से एक सीख यह मिलती है कि सपने देखो। देश के लिए सपने देखे, तरक्की के लिए सपने देखो। बड़े सपने देखे, छोटे-मोटे सपने मत देखो। विकास के लिए सपने देखो और सबके लिए सपने देखो। इस कायनात की सारी शक्तियां आपकी मदद करने लगती हैं। सब आपकी मदद करते हैं। बाबा साहब का एक सपना था कि इस देश के हर बच्चे को, चाहे वो गरीब का बच्चा हो या अमीर का बच्चा हो, सबको अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत मुसीबतें झेली थीं। वो चाहते थे कि देश आजाद होने के बाद एक गरीब परिवार के बच्चे को इतनी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। हर बच्चे को, चाहे गरीब का हो, चाहे गरीब हो, चाहे दलित का हो, चाहे ब्राह्मण का हो, हर बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। अच्छी से अच्छी शिक्षा हर बच्चे का अधिकार होना चाहिए। लेकिन आज आजादी के 75 साल के बाद क्या हम बाबा साहब के सपने को पूरा कर पाए हैं? नहीं कर पाए हैं। आज गणतंत्र दिवस है, शुभ दिन है, पवित्र दिन है। आज हम सब लोग शपथ लेते हैं कि बाबा साहब का सपना हम पूरा करेंगे। बाबा साहब ने जो सपना देखा था कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए, उस सपने को हम पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत तभी विकसित होगा, जब हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी। भारत तभी विश्व में नंबर वन बनेगा, जब हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। चाहे चुनाव के दौरान हम बड़ी-बड़़ी बातें कर दें। लेकिन रास्ता बड़ा लंबा और कठिन है, हमें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। उस मेहनत में सबसे महत्वपूर्ण हर बच्चे को अच्छी शिक्षा देना है। दुनिया में कोई भी ऐसा चिकसित देश नहीं है, जहां पर सारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है। मुझे खुशी है कि बाबा साहब का सपना पूरा करने का काम दिल्ली में शुरू हो गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले सात साल के अंदर दिल्ली में जो सरकारी स्कूलों और शिक्षा के अंदर काम किए हैं, वो किसी क्रांति से कम नहीं है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति अगर दिल्ली आते हैं, तो उनकी धर्मपत्नी मेलानिया ट्रम्प दिल्ली के सरकारी स्कूल को देखने आती हैं। यह बहुत बड़ी बात है। हमारे सभी शिक्षकों और शिक्षा विभाग, सभी बच्चों और अभिभावकों के लिए गर्व की बात है। यह एक तरह से प्रमाणपत्र है। अगर हम कहें कि हमने शिक्षा व्यवस्था अच्छी कर दी है, तो सारे अपना ढिंढोरा पीटते ही हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति तो पूरी दुनिया में घूमते हैं। मुझे नहीं लगता है कि वो किसी देश में जाकर सरकारी स्कूल देखने जाते होंगे। लेकिन भारत में आकर दिल्ली में सरकारी स्कूल देखने आते हैं।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में शिक्षा क्रांति की यह यात्रा 2015 में शुरू हुई। हमारी नई-नई सरकार बनी थी। मैं और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी बैठकर सोच रहे थे कि क्या करें और कैसे करें। सपना तो था, मंजिल तो थी, लेकिन रास्ता आसान नहीं था। हमने पहला निर्णय यही लिया कि शिक्षा को बजट खूब देते हैं। पहले शिक्षा को 5-10 फीसद बजट दिया जाता था, लेकिन हमने एकदम से शिक्षा का बजट बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया और सारे स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने का काम शुरू कर दिया। उससे एक माहौल बनने लगा। सारे शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों को लगने लगा कि यह सरकार स्कूलों पर कुछ तो कर रही है। अगला काम जो मुश्किल था, वह शिक्षकों को पढ़ाने के लिए के लिए कैसे प्रेरित किया जाए। फिर शिक्षकों पर काम शुरू किया गया और उनको प्रशिक्षण देने के लिए बाहर भेजा गया। शिक्षकों से सभी मसलों को ठीक किया गया। जब शिक्षक अमेरिका, कनाडा, अमेरिका, लंदन, सिंगापुर से प्रशिक्षण लेकर वापस लौटे, तो उनका भी हौसला बढ़ा हुआ था। उनको भी लगने लगा कि अब कुछ कर के दिखाना है। धीरे-धीरे नतीजे अच्छे आने लगे। बच्चों के उत्तीर्ण होने के प्रतिशत बढ़ने लगे। इस साल 12वीं कक्षा में 99.6 फीसद नतीजे आए हैं, लोगों को यकीन नहीं होता है। दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से कहीं ज्यादा अच्छे नतीजे आए। हम सुना करते थे कि 50-70 फीसद सरकारी स्कूलों में नतीजे आते हैं। बच्चे फेल होते हैं।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब हम अगले कदम पर जा रहे हैं। बच्चों को अभी जो पढ़ाया जाता था, उसको ठीक किया, लेकिन अब क्या पढ़ाया जाता है, हमारे बच्चे पढ़कर जो निकलते हैं, उनकी क्वालिटी कैसी है। इसमें तीन चीजों पर काम किया जा रहा है। एक, दिल्ली के स्कूलों से जो भी हमारे बच्चे निकलें, वो अच्छे इंसान बनें। उसके लिए हैप्पीनेस क्लासेस शुरू की गई है। उनको थोड़ी सी मेडिटेशन कराया जाता है। उनको थोड़ी सी मोरल स्टोरी सुनाते हैं। उनको अच्छा इंसान बनाने की कोशिश की जा रही है। यह केवल औपचारिकता भर नहीं है। जो बच्चे हैप्पीनेस क्लस ले रहे हैं, उनके अभिभावक आकर बता रहे हैं कि बच्चों के अंदर कितना व्यापक परिवर्तन आ रहा है। घर जाकर वही बच्चे जब अपने माता-पिता से बात करते हैं, जो बच्चे आज तक अपने माता-पिता से लड़ा करते थे, अब वो अपने माता-पिता की इज्जत करने लगे हैं। हमारे बच्चों में बहुत बड़ा परिवर्तन आ रहा है। दूसरा, एंटरप्रिन्योरशिप क्लास शुरू किया। हमारे यहां बच्चे डिग्री पर डिग्री लेते हैं। डिग्रियां लेने पर नौकरी मिलती नहीं है। अगर शिक्षा पूरी करने के बाद भी बच्चा दो रोटी न कमा पाए, अपने परिवार को न पाल पाए, तो शिक्षा का क्या फायदा हुआ। हम 9वीं कक्षा से ही बच्चों को बिजनेस करना सीखा रहे हैं। बच्चे अब 24 घंटे यह सोचते हैं कि मैं क्या बिजनेस करूंगा, कैसे बिजनेस करूंगा। अब हमारे बच्चे कहते हैं कि मुझे नौकरी लेने वाला नहीं, नौकरी देना वाला बनना है। यह सोच में जो बदलाव आया है, यह बहुत बड़ी बात है। तीसरा, जो बच्चा हमारे स्कूलों से निकले, वो कट्टर देशभक्त होना चाहिए। अपने देश के लिए मर-मिटने को तैयार होना चाहिए। इसके लिए हम लोगों ने अपने स्कूलों में देशभक्ति क्लास शुरू की है।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक और बड़ी बात हुई है। हमने दिल्ली में अपना स्कूल एजुकेशन का बोर्ड शुरू किया है। उसका गठजोड़ अंतर्राष्ट्रीय एजुकेशन बोर्ड से किया है, जो पूरी दुनिया का एजुकेशन बोर्ड है। इंटरनेशनल एजुकेशन बोर्ड एक ऐसा बोर्ड है, जिससे पढ़ने के लिए अमीरों के बच्चे तरसते हैं। अब दिल्ली के बच्चे इंटरनेशनल एजुकेशन बोर्ड की शिक्षा प्राप्त किया करेंगे। यह बहुत बड़ी बात हुई है। हम टीचर यूनिवर्सिटी बना रहे हैं। दिल्ली अब पूरे देश के लिए शानदार शिक्षक तैयार करेगी। मैं सोच रहा था कि आज बाबा साहब की आत्मा जहां कहीं पर भी होगी और उपर से देख रही होगी, तो हमें जरूर खूब आशीर्वाद दे रही होगी। मैं सोच रहा था कि अगर आज बाबा साहब जिंदा होते, तो हमें खूब आशीर्वाद देते। हमें गले से लगा लेते।
मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे दूसरे आदर्श शहीद-ए-आजम भगत सिंह हैं। 23 साल की उम्र में एक युवा अपनी जिंदगी के सपने देखता है। आने वाले भविष्य और कैरियर के बारे में सोचता है। लेकिन भगत सिंह ने अपने बारे में नहीं सोचा और 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए। आज किसी भी युवा से बात कर लो, रोंगटे खड़े हो जाते हैं, जैसे ही हम भगत सिंह के बारे में सोचते हैं। बाबा साहब और भगत सिंह के रास्ते अलग थे, लेकिन इनके सपने एक ही थे। दोनों ने एक विकसित भारत का सपना देखा था। जहां सबको बराबरी का अधिकार होगा। दोनों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां भेदभाव नहीं होगा। दोनों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां आप की सफलता आपकी जाति पर आधारित नहीं होगी। दोनों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां एक गरीब आदमी को यह नहीं सोचना पड़ेगा कि मैं एक बच्चे को स्कूल भेज दूं और दूसरे को कमाने भेज दूं। दोनों एक ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलेगी। दोनों ने एक सपना क्रांति का देखा था। आज वही क्रांति हम लोगों का भी सपना है। मुझे खुशी है कि चाहे आजादी के 75 साल बाद ही सही, लेकिन दिल्ली के अंदर इन लोगों का सपना अब धीरे-धीरे पूरा होने लगा है। अब जब दिल्ली के स्कूल खुलते हैं, तो उनकी यह क्रांति दिल्ली के हर स्कूल के अंदर जीवंत हो जाती है। आज दिल्ली के हर बच्चे की आंखों के अंदर वह क्रांति नजर आती है।
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं यह ऐलान करता हूं कि दिल्ली सरकार के हर दफ्तर के अंदर, बाबा साहब अंबेडकर और शहीद-ए-आजम की तश्वीरें लगाई जाएंगी। अब हम नेताओं की तश्वीरें नहीं लगाएंगे। अब मुख्यमंत्री की तश्वीर नहीं लगानी है। अब हमें इन दो महानुभावों बाबा साहब डॉ. अंबेडकर और भगत सिंह की तश्वीरें लगानी हैं। इन दोनों के वसूलों के उपर हमारी दिल्ली सरकार चलेगी और ये दोनों हम लोगों को हर कदम पर प्रेरणा देते रहेंगे।

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