संदीप पौराणिक
भोपाल। देश में नोटबंदी (विमुद्रीकरण) का फैसला हुए लगभग ढाई माह गुजर गए हैं, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अब तक यह तय नहीं कर पाया है कि अमान्य नोटों का निपटान किस तरीके से होगा और इसका ठेका किसे दिया जाएगा?
केंद्र सरकार ने 9 नवंबर को 1000 और 500 रुपये के नोट अमान्य किए जाने का ऐलान किया था। उसके बाद अमान्य किए गए नोट बैंकों में जमा कराए गए। सामान्य नागरिकों से पुराने नोट अब नहीं लिए जा रहे हैं, विशेष वर्ग (एनआरआई) को 31 मार्च तक आरबीआई की शाखाओं में पुराने नोट जमा कराने की सुविधा दी गई है। वहीं आरबीआई ने 2000 और 500 रुपये के नए नोट जारी किए हैं, जो अभी प्रचलन में हैं।
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर आम लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसी के चलते मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सूचना के अधिकार कार्यकर्ता जिनेंद्र सुराना ने आरटीआई के तहत आरबीआई से जानकारी चाही।
उन्होंने आरबीआई से जानना चाहा कि अमान्य किए गए नोटों का किस विधि से निस्तारण होगा, निस्तारण का ठेका क्या किसी व्यक्ति या एजेंसी को दिया जाएगा? इस सवाल पर आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी सुमन राय ने छह जनवरी को सुराना को जो जवाब भेजा है, उसमें कहा गया है कि ‘इस विषय में भविष्य की घटना के ब्यौरे की अपेक्षा की गई है, सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा दो (एक) के तहत यह सूचना नहीं है।’
सुराना ने आरबीआई से जानना चाहा कि डाकघर और बैंकों में जमा किए जा रहे 1000 व 500 रुपये के पुराने नोटों को आरबीआई तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए परिवहन के क्या तारीके अपनाए गए हैं? इस सवाल को आरबीआई ने संवेदनशील करार देते हुए इसे सूचना के अधिकार के तहत प्रतिबंधित श्रेणी का बताया। लिहाजा, जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इसी तरह आरबीआई ने अमान्य नोटों के भंडारण, नोट के प्रदूषण मुक्त निस्तारण के लिए पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति का ब्यौरा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह संवेदनशील मामलों से जुड़ी जानकारी है।
इतना ही नहीं, नोटों में विभिन्न धातुओं का उपयोग किया जाता है, इसी के चलते सुराना ने जानना चाहा था कि नोट निस्तारण से कितनी और कौन-कौन सी धातु, कितनी मात्रा में प्राप्त होगी और उससे होने वाली अनुमानित आय क्या होगी, इसका ब्यौरा दिया जाए, तो आरबीआई ने इस सूचना को ‘काल्पनिक’ करार दिया।
सुराना ने आईएएनएस से कहा कि नोटबंदी के बाद से उनके दिमाग में सवाल उठ रहे थे कि केंद्र सरकार ने इतना बड़ा फैसला लिया है, इसके लिए आरबीआई ने क्या प्रबंध किए हैं। इसी को लेकर आरटीआई लगाई थी, क्योंकि नकली नोट खपाने के तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। मगर नए निजाम में अपनी स्वायत्तता खो चुके आरबीआई ने जानकारी को छुपाने में ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है, तभी तो अधिकांश सवालों को ‘संवेदनशील’ करार देते हुए जवाब नहीं दिया है।
सुराना का कहना है कि वह एक भारतीय नागरिक होने के नाते यह जानना चाहते हैं कि आखिर इतने बड़े फैसले को अमल में लाने से पहले कोई प्रबंध किया गया या सीधे नोटों को अमान्य कर दिया गया और अपने खाते से पैसे निकालने के मौलिक अधिकार का हनन किया गया।
(आईएएनएस)
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