मोहित दुबे,
लखनऊ| भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की भारी-भरकम और सुस्त नौकरशाही की रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया है, जब से गेरुआ वस्त्र पहनने वाले योगी आदित्यनाथ ने 21वें मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है।
’44 वर्षीय योगी ने जब से वीवीआईपी गेस्ट हाउस के अपने कमरे से बाहर निकलकर काम करना शुरू किया है तब से नौकशाहों के बीच उनकी निगाह में आने और पूर्ववर्ती सरकार की ‘गलतियों’ को ठीक करने की होड़ मच गई है, और आदित्यनाथ द्वारा शास्त्री भवन के निरीक्षण ने राज्य भर के अस्त-व्यस्त कार्यालयों को वापस पटरी पर लाने का काम किया है।’
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही अधिकारियों ने बगैर समय गवाएं स्वच्छता की कसम खाकर फटाफट हाथ में झाड़ू लेकर सभी कार्यालयों और प्रांगणों को साफ कर डाला।
वहीं, राज्य के गाजियाबाद (निधी केशरवानी), ललितपुर (रूपेश कुमार), गोंडा (आशुतोष निरंजन), संत रविदास नगर (सुरेश कुमार सिंह) और हाथरस (अविनाश कृष्ण सिंह) के जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय तहसील और कलेक्टर कार्यालयों में साफ-सफाई और यहां आने वालों के लिए पानी की व्यवस्था को लेकर पूरी तरह से सक्रिय मोड में हैं।
वहीं, आदित्यनाथ का राज्य की राजधानी के हजरतगंज पुलिस थाने के औचक निरीक्षण ने भी खाखी को सतर्क कर दिया है। इसके प्रभाव में कई पुलिस कर्मी हाथों में झाड़ू पकड़े और पुलिस स्टेशनों की सफाई करते नजर आए।
वहीं, पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के हाथ में झाड़ू पकड़े देख जनता के दिल को सुकून आया तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इससे जरा खफा नजर आए। उन्होंने पिछले हफ्ते मीडियाकर्मियों से यह तक कह दिया कि उन्हें नहीं पता था “अधिकारी इतनी अच्छी झाड़ू लगाते हैं वरना मैं इनसे खूब झाड़ू लगवाता।”
योगी आदित्यनाथ के आने के बाद से ही राज्य भर के अधिकारियों के नाक-कान खड़े हो गए हैं। पुलिस महानिरीक्षक (लखनऊ) ए. सतीश गणेश विभिन्न पुलिस थानों पर दैनिक निरीक्षण साफ-सफाई और शिकायतकर्ताओं की समस्याओं के उचित तरीके से समाधान होने की निगरानी कर रहे हैं।
‘नए मुख्यमंत्री की अधिकारियों से 18-20 घंटों तक काम कराने की ‘इच्छा’ ने भी बाबू समुदाय में खलबली व परेशानी पैदा कर दी है।
वहीं, साफ-सफाई की बात की जाए तो राज्य के कार्यालयों में जमी धूल और रद्दी का ही सफाया नहीं, बल्कि अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव की तस्वीरों को भी स्टोर रूम में पहुंचा दिया गया है और आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्कुराते हुए चित्र अब सभी प्रमुख कार्यालयों की दीवारों की शोभा बढ़ाते हुए दिख रहे हैं।
एक समय में जब लोहिया और जनेश्वर मिश्र पार्क में नीली बत्ती वाली सरकारी गाड़ियां सुबह 10 बजे तक देखी जाती थीं, वह नजारा अब गायब है। नौकरशाहों में फिटनेस के जुनूनी अब अपनी सुबह की सैरों को भूल सुबह 9.30 बजे कार्यालय पहुंच रहे हैं। वहीं, गुटका, पान और पान मसाला के शौकीनों पर भी कम गाज नहीं गिरी है, जो अब प्रतिबंधित हैं और अगर कोई इन निषिद्ध सामग्रियों को चबाते हुए मिलता है तो वह दंड का अधिकारी होगा।
ताजा घटना शुक्रवार की है, जब सचिवालय परिसर में तंबाकू चबाने के लिए सचिवालय प्रशासन विभाग (एसएडी) ने वीवीआईपी बेड़े के एक ड्राइवर को 500 रुपये का जुर्माना लगाया था।
एक धार्मिक और गाय प्रेमी, आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद से पूरे राज्य भर में आवारा गायों को गोशाला में ले जाकर उनकी विशेष खातिर की जा रही है।
2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का मुख्य एजेंडा रहा अवैध बूचड़खानों को बंद करना। अधिकारियों ने इसे भी अधिक गंभीरता से लिया है।
वहीं, मुख्यमंत्री को प्रभावित करने के चक्कर में एक-दूसरे से होड़ कर रहे अधिकारियों ने राज्य भर में वैध और लाइसेंस धारी मांस दुकानों को भी बंद कर दिया। इसके कारण यहां काम करने वाले हजारों लोग बेरोजगार और लोगों की थाली से मांस दूर हो गया, जिससे खुद मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करने को मजबूर हुए और अधिकारियों को किसी भी ज्यादती के खिलाफ चेतावनी दी और वैध मांस व्यापारियों को परेशान करने से रोकने का आदेश दिया।
वहीं, एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि आदित्यनाथ ने 15 जून तक राज्य भर की सड़कों को गढ्ढा-मुक्त करने का आदेश दिया है, जिससे अधिकारियों ने शीघ्र इसे पूरा करने के लिए ‘विस्तृत कार्य योजना’ पर काम शुरू कर दिया है।
एक अधिकारी ने कहा, “हम मुख्यमंत्री को अच्छी तरह से नहीं जानते हैं, वह अभी भी हमारी समझ से बाहर हैं।”
–आईएएनएस
और भी हैं
बुलडोजर का इतिहास : निर्माण से लेकर तोड़फोड़ की मशीन बनने तक की यात्रा
वेश्यालय से भीख मांगकर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए लाई जाती है मिट्टी, जानें इसके पीछे की कहानी
हिंदी दिवस: क्या हिंदी सिर्फ बोलचाल की भाषा बची है?