मुंबई | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को गुरुवार को निर्विरोध राज्य विधान परिषद का सदस्य चुन लिया गया, जो सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए एक बड़ी राहत है। उद्धव का परिषद के लिए चुनाव छह माह पुरानी शिवेसना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-और कांग्रेस गठबंधन सरकार को स्थिरता प्रदान करेगा।
बेटे आदित्य ने वर्ली विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी।
उद्धव ठाकरे (59) राज्य विधान मंडल का सदस्य बनने वाले इस शक्तिशाली राजनीतिक परिवार के दूसरे सदस्य बन गए हैं। अक्टूबर 2019 में उनके बेटे आदित्य ने वर्ली विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। वह अब पर्यावरण और पर्यटन मंत्री हैं। उद्धव ठाकरे के अलावा गुरुवार को आठ अन्य सदस्य भी विधान परिषद के लिए चुने गए, जिसमें सेना की डॉ. नीलम गोरे, कांग्रेस के राजेश राठौड़, राकांपा के शशिकांत शिंदे और अमोल मिटकरी शामिल हैं।
28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी से परिषद के लिए रंजीतसिंह मोहिते-पाटील, प्रवीण डटके, गोपीचंद पदालकर और रमेश कराड चुने गए हैं। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस वक्त वह राज्य विधान मंडल के किसी भी सदन का हिस्सा नहीं थे और उन्हें छह माह के भीतर दोनों में से किसी एक सदन के लिए चुना जाना अनिवार्य था।
ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संकटपूर्ण स्थिति के लिए बात की।
शिवसेना ने उन्हें ‘अप्रैल द्विवार्षिक चुनाव’ के लिए विधान परिषद के लिए नामित करने की योजना बनाई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण, सभी चुनावों को भारत निर्वाचन आयोग ने स्थगित कर दिया था। बाद में, एमवीए सरकार ने परिषद के लिए राज्यपाल के कोटे से खाली पड़ी दो सीटों के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया। हालांकि कुछ तकनीकी समस्या थी, इसलिए उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संकटपूर्ण स्थिति के लिए बात की।
उसके बाद शिवसेना ने आपात स्थिति का हवाला दिया और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से चुनाव आयोग से परिषद चुनाव करवाने के लिए कहने का आग्रह किया, ताकि राज्य में संभावित राजनीतिक संकट को टाला जा सके। बाद में चुनाव की घोषणा हुई और एमवीए और विपक्षी भाजपा ने यह सुनश्चित किया कि यह बिना कंटेस्ट की ही संपन्न हो।
–आईएएनएस
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