नई दिल्ली| ऐसा होता नहीं है कि एक झटके में सात कैबिनेट मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा दिया जाता हो। लेकिन बुधवार एक ऐसा ही एक दिन था, जब नरेंद्र मोदी सरकार में बड़ी सर्जरी के कारण कई दिग्गज मंत्रियों को प्रमुख विभागों से हटा दिया गया। इनमें से अधिकांश के इस्तीफे अप्रत्याशित थे और सामान्य अटकलों का हिस्सा नहीं थे जो कि कैबिनेट में फेरबदल के लिए होता है।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कोविड की दूसरी लहर के कथित कुप्रबंधन के कारण फायरिंग लाइन में थे, क्योंकि लाखों लोगों की जान चली गई।
आगामी स्थिति के लिए हर्षवर्धन की व्यापक रूप से आलोचना की गई, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविड स्थिति और वैक्सीन प्रशासन के प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में देखा जाता है।
वरिष्ठ मंत्रियों में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा और श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने भी इस्तीफा दे दिया है।
कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है, जबकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार से कुल 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं।
इस्तीफा देने वाले राज्य मंत्रियों में देबाश्री चौधरी (महिला एवं बाल विकास), रतन लाल कटारिया (जलशक्ति और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता), संजय धोत्रे (शिक्षा), प्रताप चंद्र सारंगी (पशुपालन), बाबुल सुप्रियो (पर्यावरण) और रावसाहेब दानवे पाटिल (उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण) शामिल हैं।
–आईएएनएस
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