नई दिल्ली, 6 अक्टूबर । हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव समाप्त होने के साथ ही एग्जिट पोल के अनुमान सामने आ चुके हैं। हालांकि, यह सवाल उठना लाजमी है कि इन एग्जिट पोल पर कितना भरोसा करना चाहिए, खासकर जब पिछले पांच साल में कई मौकों पर उनके अनुमान गलत साबित हुए हैं। हालांकि एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियां दावा करती हैं कि वे मतदाताओं के मूड के आधार पर अपना पूर्वानुमान तैयार करती हैं, लेकिन पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर करीब से नजर डालें तो एक अलग तरह की तस्वीर सामने आती है। एग्जिट पोल अक्सर चुनाव के नतीजों का सही अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं जिसके चलते अब उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे हैं। आईएएनएस ने पिछले कुछ एग्जिट पोलों का विश्लेषण किया है। एक नजर डालते हैं कि कब-कब एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं। 2014 लोकसभा चुनाव: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए को प्रचंड बहुमत से जीत मिली।
इसका अंदाजा एक्सिस माय इंडिया, चाणक्य समेत कई एग्जिट पोल नहीं लगा पाए थे। हालांकि एग्जिट पोल यह जरूर बताया गया था कि एनडीए सत्ता में आ रही है, इतनी बड़ी जीत का अंदाजा लगाने से वे चूक गए। आठ एग्जिट पोल ने औसतन एनडीए को 283 और यूपीए को 105 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था जबकि नतीजों में एनडीए को 336 सीटें मिलीं। वहीं, भाजपा को 282 सीटें, यूपीए को 60 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। इससे पता चलता है कि एग्जिट पोल जीत के पैमाने का अनुमान नहीं लगा सके। 2019 लोकसभा चुनाव: 2019 के लोकसभा चुनावों में अनुमान लगाया गया था कि एनडीए को 306 और यूपीए की 120 सीटों सीटें मिलेंगी। लेकिन, जब हकीकत में नतीजे आए तो एग्जिट पोल गलत साबित हुए। एनडीए को 353 सीटें मिलीं और अकेले भाजपा को 303 सीटों पर जीत मिली। यूपीए को 93 सीटें और कांग्रेस को महज 52 सीटें मिलीं। एक बार फिर एग्जिट पोल मतदाताओं के मूड को भांपने में नाकाम साबित हुए। वोटरों ने एनडीए को अनुमान से कहीं ज्यादा वोट दिए। 2024 लोकसभा चुनाव: इस साल के लोकसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल ने भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बंपर जीत की भविष्यवाणी की थी। साथ ही अनुमान लगाया था कि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा सीटें जीतेगी जिसमें एनडीए को 361 से 401 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था।
हालांकि, एग्जिट पोल के परिणाम गलत साबित हुए। एनडीए को 293 सीटें मिलीं और भाजपा के खाते में 240 सीटें आईं। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया ने एनडीए को 361-401 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। न्यूज 24-टुडेज चाणक्य ने एनडीए को 400 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। एबीपी न्यूज-सी वोटर ने एनडीए को 353-383 सीटें, रिपब्लिक भारत-पी मार्क ने एनडीए को 359 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। एग्जिट पोल के अनुमान में यह एक बड़ी चूक थी। साल 2014 और 2019 के विपरीत, भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में भी विफल रही और 2019 के बाद से 303 सीटों में से उसकी 63 सीटें घटकर 240 रह गईं। एग्जिट पोल के अनुमान सिर्फ लोकसभा चुनाव में ही नहीं गलत साबित हुए, बल्कि कई विधानसभा चुनावों में भी गलत निकले। साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया था कि भाजपा को 61 सीटें मिलेंगी जबकि कुछ एग्जिट पोल में 75-80 सीटों जीतने का भी अनुमान लगाया गया था। हालांकि नतीजे एग्जिट पोल से बिल्कुल अलग आए। भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली। वहीं कांग्रेस 31 सीटें जीतने में सफल रही। जो एग्जिट पोल के भाजपा के स्पष्ट बहुमत के अनुमान से उलट था।
सी वोटर ने भी भाजपा के 72 सीटों जीतने की भविष्यवाणी की थी, जो गलत साबित हुई। इसी तरह 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल ने कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की भविष्यवाणी की थी। एग्जिट पोल में राज्य में दोबारा कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा किया गया था। लेकिन चुनाव के परिणाम आए तो भाजपा ने सत्ता में वापसी की। एक बार फिर एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित हुए। भाजपा 90 विधानसभा सीटों में से 54 जीतकर सरकार बनाई। साल 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें पार्टी को 140 से 162 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। भाजपा ने 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें जीतकर राज्य में लगातार पांचवीं बार सरकार बनाई। साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में कई एग्जिट पोल ने 294 विधानसभा सीटों में से भाजपा के ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान जताया था। मगर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और 215 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। वहीं, भाजपा को सिर्फ 77 सीटों पर जीत मिली।
–आईएएनएस
और भी हैं
रॉन्ग साइड चलने वाले वाहनों के खिलाफ विशेष कार्रवाई की जाएगी : लक्ष्मी सिंह
जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश
मुस्लिम महिलाओं और शिया धर्मगुरु ने वक्फ बिल का किया समर्थन