इंद्र वशिष्ठ
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू को गिरफ्तार किया है।
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में हनी बाबू को गिरफ्तार किया गया है।
प्रोफेसर पर माओवादियों से कथित संपर्क और गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू मुसलियारवीती थारयिल(54) हाईड पार्क, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश के निवासी हैं।
जातियों में दुश्मनी पैदा की-
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 31 दिसंबर 2017 को कबीर कला मंच कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ और विभिन्न जातियों के लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने / बढ़ाने वाले भाषण दिए गए। जिसके परिणामस्वरूप वहां पर हिंसा/दंगे हुए जिसमें जान माल का काफी नुकसान हुआ। राज्य भर में आंदोलन हुए।
माओवादियों से संपर्क-
इस मामले की जांच के दौरान पता चला कि गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक कानून के तहत प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के नेता एल्गार परिषद के आयोजकों और इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों के संपर्क में थे। इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों पर आरोप है कि वह माओवादी विचारधारा और नक्सलवादी गतिविधियों को फैला कर ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने में शामिल है। पुणे पुलिस द्वारा इस मामले में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं ।
एनआईए को जांच-
इस मामले की जांच 24 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई। एनआईए ने इस मामले में अप्रैल में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को गिरफ्तार किया।
ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों का आरोप-
एनआईए की प्रवक्ता डीआईजी सोनिया नारंग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार तफ्तीश में पता चला कि हनी बाबू माओवादी विचारधारा / नक्सलवादी गतिविधियों को फ़ैलाने/ प्रचार और ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने के साथ ही गिरफ्तार अभियुक्तों का सह-साजिशकर्ता भी है।
रिमांड-
हनी बाबू को मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। इसके बाद हनी बाबू को पूछताछ के लिए रिमांड में लिया जाएगा।
पुणे पुलिस का छापा-
पिछले साल सितंबर में पुणे पुलिस ने विश्राम बाग थाने में दर्ज एल्गार परिषद से संबंधित मामले के सिलसिले में प्रोफेसर हनी बाबू के घर पर छापा मारा था। पुलिस ने तलाशी के दौरान प्रोफेसर हनी बाबू के घर से लेपटॉप, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव जब्त की थी।
मराठों पर जीत का जश्न-
हर वर्ष नए साल के मौके पर दलित लाखों की संख्या में पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एकत्रित होकर 1818 में निम्न जाति के महार सैनिकों की जोकि ब्रिटिश सेना का हिस्सा थे, ब्राह्मण पेशवा नेतृत्व वाले मराठा शासकों के खिलाफ जीत का उत्सव मनाते है। इसे दलितों के जाति के आधार पर हो रहे भेदभाव की लंबी लड़ाई में बड़ी सफलता के रूप में देखा जाता रहा है। साल 2017 में इसकी 200 वीं जयंती पर भड़की हिंसा के बाद कई सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
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