नई दिल्ली: नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने एनडीसीसी कन्वेंशन सेंटर, जय सिंह रोड, नई दिल्ली में आज स्कूलों के प्रमुखों के लिए ”शारीरिक दंड रोकने”, ‘बच्चों के साथ प्यार, सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करने’ और ‘नशे की रोकथाम के लिए स्कूल आधारित शिक्षा’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष, श्री अमित यादव ने निदेशक (शिक्षा) – श्री आर.पी. सती, एनसीईआरटी से डॉ. रुचि शुक्ला, शिक्षा निदेशालय से सुश्री वंदना आनंद, मनोवैज्ञानिक – सुश्री वीनू गौड़, सभी अटल आदर्श विद्यालय और नवयुग विद्यालयों के प्राचार्यों, उप-प्राचार्यों, प्रधानाध्यापक की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अध्यक्ष-एनडीएमसी, श्री यादव ने कहा कि सभी स्कूलों को न केवल अच्छे बुनियादी ढांचे, संकाय सदस्यों, सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों की आवश्यकता है बल्कि बिना किसी तनाव के छात्रों के संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए प्यार, सम्मान और गरिमा के माहौल की भी आवश्यकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि स्कूलों में शारीरिक दंड को शिक्षा का अधिकार अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और इस संबंध में समय-समय पर जारी किए गए कुछ दिशानिर्देशो में शारीरिक दंड को छात्रों पर इसके प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रभाव के कारण अवैध घोषित किया है।
एनडीएमसी अध्यक्ष ने ऐसी घटनाओं, यदि कोई हो, को स्वीकार कर इस मुद्दे पर मानसिकता बदलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल कक्षाओं में कैमरे लगाना या स्कूल के गलियारों में सीसीटीवी लगाना शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्यार, सम्मान और गरिमा बनाकर छात्रों के समग्र विकास के लिए मानसिकता में बदलाव करना इस समय की आवश्यकता है।
श्री यादव ने किशोर उम्र में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की घटनाओं की रोकथाम के मुद्दे पर भी जोर दिया और स्कूलों के प्रमुखों और शिक्षकों को छात्रों के साथ नियमित बातचीत करने और प्रारंभिक चरण में उपाय करने के लिए शुरुआती संकेतों और लक्षणों को पहचानने का सुझाव दिया। उन्होंने आगे कहा कि नशीली दवाओं की रोकथाम के लिए शीघ्र परामर्श करना एक बड़ा कदम है। उन्होंने स्कूलों के आसपास के क्षेत्र में तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री और खरीद इत्यादि गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए विद्यालय प्रमुखों और प्रिंसिपल्स को निर्देश दिए।
अपने स्वागत भाषण में निदेशक (शिक्षा) श्री आर.पी. सती ने कौशल सिखाने, ज्ञान प्रदान करने और नशीली दवाओं के उपयोग को रोकने और शारीरिक दंड को रोकने के लिए एक ठोस मूल्य आधारित व्यवस्था स्थापित करने में स्कूल की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला अद्भुत, ज्ञानवर्धक, और गहन रूप से सशक्त सत्र था।
शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुए, एनसीईआरटी की प्रोफेसर डॉ. रुचि शुक्ला ने सकारात्मक वातावरण के महत्व और छात्रों और इसे शिक्षकों के लिए एक वरदान बताते हुए विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यशाला ने शिक्षण संकाय की सोच प्रक्रिया में नए आयाम खोले हैं और छात्रों पर शारीरिक दंड के प्रभाव के बारे में और अधिक जानने के लिए प्रेरित किया है।
प्रथम सत्र में शिक्षा निदेशालय की सुश्री वंदना आनंद ने मादक द्रव्यों के दुरुपयोग की रोकथाम पर जोर दिया। उन्होंने अनुशासन बनाए रखने के वैकल्पिक तरीकों के बारे में भी विस्तार से बताया।
इस कार्यशाला में मनोवैज्ञानिक सुश्री वीनू गौड़ ने कक्षा व्यवहार के प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियों पर जोरदार ढंग से बात की।
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