पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं। सुशील पहलवान पर यह कहावत चरितार्थ हुई है।
दिल्ली के माडल टाउन में छत्रसाल स्टेडियम में मंगलवार रात को एक पहलवान की हत्या कर दी गई। दो लोग घायल हुए हैं। इस मामले में ओलंपिक पदक विजेता सुशील पहलवान का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया गया है। सुशील और उसके साथियों को पुलिस तलाश कर रही है।
स्टेडियम में हुई इस हत्या/ गैंगवारवार/झगड़े के लिए पुलिस जिम्मेदार है।
इस स्टेडियम के पहलवानों की बदमाशों से सांठगांठ/दोस्ती इस पत्रकार द्वारा पहले ही उजागर की गई थी। इसके बावजूद पुलिस आंख मूंदे रही। इससे पता चलता है कि पुलिस की सुशील से या तो सांठगांठ थी या यह पुलिस का जबरदस्त निकम्मापन है। दोनों ही सूरत में पुलिस दोषी है। इलाके मेंं होने वाली छोटी छोटी सी गतिविधियों का पुलिस को पता चल जाता है। तो ऐसा हो नहीं सकता कि स्टेडियम में गुंडों के आने जाने और पहलवानों की संदिग्ध गतिविधियों से पुलिस अनभिज्ञ हो।
आशंका सही साबित-
ओलंपिक पदक विजेता सुशील के साथ बंदूकधारी पहलवानों/ बदमाशों का जमावड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। यह आशंका इस पत्रकार ने साल 2017 नवंबर में अपने लेख में जाहिर की थी। जिले के डीसीपी से लेकर वरिष्ठ आईपीएस अफसरों और स्पेशल सेल,अपराध शाखा के अफसरों समेत एक तरह से पूरी दिल्ली पुलिस को अनेक बार लेख साझा करके यह सूचना दी गई।
पुलिस अगर गंभीर होती और छत्रसाल स्टेडियम पर नजर रखती तो वहां आने जाने वाले बदमाशों को गिरफ्तार भी कर सकती थी। पुलिस अगर लापरवाही/निकम्मापन नहीं करती तो वहां गोलियां नहीं चलती और एक पहलवान की हत्या नहीं होती।
पहलवानों में गैंगवार-
पुलिस को चार मई को आधी रात के बाद स्टेडियम में गोलियां चलने की सूचना मिली।
घायल पहलवान सागर धनखड़ ( 23) निवासी माडल टाउन, सोनू निवासी एमसीडी कालोनी और अमित कुमार निवासी रोहतक को पीसीआर अस्पताल ले गई। सागर की मौत हो गई। सागर के पिता अशोक दिल्ली पुलिस में हवलदार हैं। स्टेडियम में पांच कारें फॉच्र्यूनर, होंडा सिटी, ब्रेजा, स्कार्पियो और अल्टो मिली। स्कार्पियो से एक दोनाली बंदूक और तीन कारतूस बरामद हुए हैं।
हत्या में सुशील शामिल-
पुलिस का कहना है कि आरंभिक तफ्तीश में मालूम हुआ कि सुशील पहलवान और उसके साथियों ने इस वारदात को अंजाम दिया है।
उत्तर पश्चिम जिला पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त डाक्टर गुरइकबाल सिंह सिद्धू ने बताया कि
पुलिस को पता चला कि सुशील कुमार,अजय,प्रिंस, सोनू,सागर ,अमित और अन्य के बीच झगड़ा हुआ था।
पुलिस ने इस मामले में हरियाणा के आसोदा गांव निवासी प्रिंस दलाल को गिरफ्तार किया है। उसके पास से एक दोनाली बंदूक और कारतूस भी बरामद हुए हैं।
अभियुक्तों का पता लगाने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है। इस घटना से संबंधित तकनीकी सबूत प्राप्त किए गए हैं। बरामद वाहनों के विवरण के बारे में संबंधित ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से पता लगाया जा रहा है।
सुशील आदि के पकड़े जाने के बाद ही पता चलेगा कि असल में किस बात या मामले को लेकर पहलवानों के बीच यह खूनी गैंगवार हुई।
तभी यह भी पता चल पाएगा कि इस में पहलवानों के साथ और कौन कौन से बदमाश शामिल थे।
वैसे यह कहा जा रहा है कि एक फ्लैट को खाली करने को लेकर यह हुआ है। इस मामले में सोनीपत के जठेड़ी गांव के बदमाश काला का नाम भी चर्चा में आया है। बताया जाता है कि काला का स्टेडियम में आना जाना रहता है।
पुलिस को पता चला है कि सुशील के साथ हरियाणा के कुख्यात काला जठेड़ी गिरोह के बदमाश थे। सभी के पास हथियार थे। झगड़े के दौरान कई पहलवानों को गंभीर चोट लगी। अस्पताल में सागर की मौत हो गई। पुलिस को प्रॉपर्टी विवाद के कारण झगड़ा होने की जानकारी मिली है।
स्टेडियम से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि फरारी के दौरान पुलिस से बचने के लिए बदमाश स्टेडियम में शरण लेते रहते है। बदले में पहलवान उन्हें इस्तेमाल करते हैं।
करोड़ों के फ्लैट का मालिक कौन है ?-
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सागर और उसके दोस्त मॉडल टाउन इलाके में स्टेडियम के पास सुशील से जुड़े एक घर में रह रहे थे और हाल ही में उन्हें घर खाली करने के लिए कहा गया था।
यह फ्लैट किसका है यानी इसका मालिक कौन है यह पता नहीं चल पाया है। सूत्रों का कहना है कि सागर पहले स्टेडियम में ही रहता था। उपरोक्त फ्लैट पर कब्जा करने के लिए सुशील ने सागर आदि पहलवानों को वहां ठहराया हुआ था। आजकल सुशील की गुटबाजी के चलते सागर से बिगड़ गई थी। इसलिए सुशील ने फ्लैट खाली करने को कहा। बताया जाता है कि सागर ने सुशील से कह दिया कि फ्लैट कौन सा तुम्हारा खरीदा हुआ है। जैसे तुमने कब्जा किया वैसे ही अब हमने कर लिया। सागर ने फ्लैट खाली करने से इंकार कर दिया।
बताया जाता है कि सागर और उसके साथियों को माडल टाउन थर्ड के इस फ्लैट से उठा कर ही स्टेडियम ले जाया गया। पहले काफी देर तक उनकी पिटाई की गई।
पुलिस पर सवालिया निशान-
इस मामले से पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है।
दिल्ली में लॉक डाउन लगा हुआ है उसके बावजूद पांच गाड़ियों में सवार हथियारबंद पहलवान और बदमाश स्टेडियम में कैसे पहुंच गए ? ये सब जिन रास्तों से आए वहां पर मौजूद पुलिस ने वाहनों की चेंकिंग की होती तो यह तभी पकडे़ जा सकते थे।
एक गाड़ी से दोनाली बंदूक बरामद हुई अगर पुलिस कार की चेकिंग करती तो बंदूक आसानी से दिखाई दे जाती। पुलिस को स्टेडियम के अंदर और बाहर सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से भी सुराग मिलेंगे।
पहलवान के फोन से खुलासा-
सुशील पहलवान के मोबाइल फोन के रिकॉर्ड से यह भी पता लग जाएगा कि उसके किस किस बदमाश या संदिग्ध लोगों से संबंध हैंं।
वैसे यह भी कहा जा रहा है कि सागर इस स्टेडियम से ही जुड़ा हुआ था। वारदात में शामिल पहलवान और बदमाशों में से कौन कौन इस स्टेडियम में ही रह रहा था इसका खुलासा भी तफ्तीश में हो ही जाएगा।
सुशील के खिलाफ एफआईआर-
साल 2018 में भी सुशील पहलवान और उसके साथियों के खिलाफ पहलवान प्रवीण राणा की शिकायत पर आईपी स्टेट थाने में मारपीट,धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था। इंदिरा गांधी स्टेडियम में कुश्ती ट्रायल के दौरान पहलवान प्रवीण और उसके साथियों के साथ मारपीट की गई थी।
सतपाल की गुंडे से यारी-
वैसे इस स्टेडियम से बदमाशों का पुराना नाता है। एक बार दिचांऊ के कुख्यात गुंडे कृष्ण पहलवान को जबरन वसूली के मामले में पुलिस तलाश कर रही थी। उस दौरान कृष्ण स्टेडियम में आयोजित समारोह में सतपाल पहलवान के साथ पुरस्कार बांट रहा था। इसका खुलासा उस समय इस पत्रकार ने किया था। कृष्ण पहलवान को गिरफ्तार करने के बाद अपराध शाखा के तत्कालीन डीसीपी कर्नल सिंह ने भी यह बात मीडिया को बताई। सतपाल दिल्ली सरकार में खेल निदेशक के पद पर था। एक सरकारी अफसर की इस तरह की हरकत बहुत ही गंभीर अपराध है। लेकिन नामी पहलवान होने के कारण उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
डेपुटेशन से डेपुटेशन-
सतपाल पहलवान का दामाद सुशील पहलवान मूल रुप से रेलवे का अधिकारी है रेलवे से वह उत्तर दिल्ली नगर निगम में डेपुटेशन पर गया और वहां से वह दिल्ली सरकार में डेपुटेशन पर चला गया। डेपुटेशन से ही दूसरी जगह डेपुटेशन पर इस तरीक़े से जाना भी उसके रसूख को दिखाता है। करीब पांच साल से वह छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी (खेल) के पद पर है।
नोएडा के बदमाश सुंदर भाटी के साथ संबंधों को लेकर भी सुशील के बारे में खबर छपी थी।
महिला डायरेक्टर से अश्लीलता-
एक बार महिला डिप्टी डायरेक्टर के बारे में इस स्टेडियम में उनके दफ्तर की दीवार पर अश्लील टिप्पणी लिखी गई थी जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टेडियम में गुंडे बे रोक टोक आते जाते हैं।
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